ईरान के धार्मिक और राजनीतिक नेता रहे अयातुल्लाह खामेनेई को कक्षा 6 की एक पाठ्यपुस्तक में 'दुनिया के सबसे बुरे लोगों' में सूचीबद्ध किया गया था. किताब का प्रकाशन उत्तर प्रदेश के एक्यूबर बुक्स इंटरनेशनल द्वारा किया गया है, जिसने इस बारे में विवाद होने के बाद माफ़ी मांगी और इस ग़लती को सुधारने का वादा किया है.
जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद यह पहली बार है कि मानवाधिकार का मुद्दा आधिकारिक स्तर पर उठाया जाएगा. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक नोटिस में कहा गया है कि इसकी एक समिति 7 फरवरी से 9 फरवरी तक श्रीनगर में कथित मानवाधिकार उल्लंघनों के संबंध में आम जनता की शिकायतों पर सुनवाई करेगी.
जम्मू कश्मीर में एक आईएएस ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोप लगाए थे और सीबीआई को पत्र लिखा था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन की ओर से कहा गया है कि अकाट्य तथ्यों और आंकड़ों की गहन जांच अधिकारी के पत्र में किए गए आधारहीन दावों को झुठलाती है.
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने की चर्चा के बीच उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि अगर सर्वे किया जाता है तो 80 फीसदी लोग वोट देंगे कि वर्तमान प्रणाली (केंद्रीय शासन) जारी रहनी चाहिए और किसी अन्य प्रणाली की ज़रूरत नहीं है. विपक्षी दलों ने उनके इस दावे को ‘ग़ैर-ज़िम्मेदाराना’ बताते हुए भारत के ‘लोकतांत्रिक प्रकृति के लिए चुनौती’ क़रार दिया है.
कश्मीर में पत्रकारों और रिपोर्टिंग की स्थिति पर बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में घाटी के कुछ पत्रकारों और संपादकों से बातचीत की है, जिन्होंने बताया है कि घटनाओं की रिपोर्टिंग को लेकर अधिकारियों द्वारा बनाए गए ‘डर और धमकी’ के माहौल के कारण वे ‘घुटन’ महसूस करते रहे हैं.
स्वतंत्र मीडिया संस्थान ‘द कश्मीर वाला’ के संस्थापक-संपादक फहद शाह आतंकवाद के आरोप में 18 महीने से जम्मू जेल में बंद हैं, जबकि इसके ट्रेनी पत्रकार सज्जाद गुल भी जनवरी 2022 से जन सुरक्षा अधिनियम के तहत उत्तर प्रदेश में जेल में बंद हैं. संस्थान ने एक बयान में कहा है कि सरकार की इस कार्रवाई के अलावा उन्हें श्रीनगर में अपने मकान मालिक से दफ़्तर ख़ाली करने का नोटिस भी मिला है.
जिन पत्रकारों के पासपोर्ट निलंबित किए गए हैं, उनमें श्रीनगर के एक वरिष्ठ पत्रकार भी शामिल हैं जिन्होंने नई दिल्ली में हिंदुस्तान टाइम्स के साथ संपादक स्तर पर भी काम किया है, जबकि दूसरे दिल्ली की एक पत्रिका में काम करते हैं. उन्होंने बताया कि उनमें से कोई भी किसी आपराधिक मामले में आरोपी नहीं हैं.
केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश एक विधेयक में जम्मू कश्मीर के भाषाई अल्पसंख्यक पहाड़ी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की बात की है. इसके विरोध में गुर्जर और बकरवाल समुदाय ने कहा कि सरकार सूबे में एक समुदाय को दूसरे समुदाय के ख़िलाफ़ खड़ा करके ‘मणिपुर जैसे हालात’ पैदा कर रही है.
जम्मू कश्मीर के प्रशासन द्वारा जारी वर्तमान आदेश की तरह ही पिछले वर्ष भी यहां स्वतंत्रता दिवस पर लोगों को अपने घरों में तिरंगा फहराने के लिए कहा गया था, जिसके बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया था.
पहलगाम विकास प्राधिकरण के सीईओ ने पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील पहलगाम क्षेत्र के बाहरी इलाके में बनाए जा रहे एक होटल द्वारा उसे मिली प्रशासनिक मंज़ूरी की शर्तों के उल्लंघन के बारे में अनंतनाग के डिप्टी कमिश्नर को बताया था. इसके बाद उनका तबादला कर दिया गया.
एक स्थानीय अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा संचालित जम्मू कश्मीर प्रशासन को उस भूमि को ख़ाली करने का आदेश दिया है, जिसका उपयोग किश्तवाड़ ज़िले में स्थित मचैल चंडी माता मंदिर तक तीर्थयात्रियों को ले जाने के लिए दो निजी विमानन कंपनियों द्वारा हेलीपैड संचालित करने के लिए किया जा रहा है.
घाटी के प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में से एक कश्मीर विश्वविद्यालय ने इसके एमए अंग्रेज़ी पाठ्यक्रम से आगा शाहिद अली की तीन कविताओं और लेखक-पत्रकार बशारत पीर के एक संस्मरण को हटा दिया है. वहीं, क्लस्टर यूनिवर्सिटी श्रीनगर ने भी अली की दो कविताओं को कोर्स से बाहर किया है.
जम्मू क्षेत्र के किश्तवाड़ ज़िले में दो मदरसों को एफसीआरए मानदंडों का उल्लंघन करने वाले एक ट्रस्ट से जुड़ाव रखने के चलते स्थानीय प्रशासन ने बंद करने का आदेश जारी किया था, हालांकि इस आदेश को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने स्थगित कर दिया था. इसके बावजूद भी मदरसों को सील कर दिया गया.
अबाया मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला एक ढीला-ढाला लबादा होता है. श्रीनगर स्थित विश्व भारती हायर सेकेंडरी स्कूल के अबाया पहनने पर कथित तौर पर आपत्ति जताने पर राजनीतिक दलों और धार्मिक नेताओं ने नाराज़गी जताई थी और छात्राओं ने प्रदर्शन किया था. बाद में स्कूल ने स्पष्ट किया कि अबाया पर प्रतिबंध नहीं है.
जम्मू कश्मीर के बारामूला के रहने वाले 25 वर्षीय मुज़म्मिल मंज़ूर वार को 17 अगस्त 2020 को ‘देश की सुरक्षा और संप्रभुता’ के लिए ख़तरा पैदा करने के आरोप में ‘कठोर’ पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था. इसे उनके पिता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन रिहाई के दो आदेश के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया गया था.