मोदी सरकार और उनके समर्थक लगातार मीठा-मीठा गप और कड़वा-कड़वा थू की कहावत को चरितार्थ करते नज़र आ रहे हैं. विचार या निष्कर्ष उनके अनुकूल हुए तो उसके सौ खोट भी सिर माथे और प्रतिकूल हुए तो ईमानदार विश्लेषण भी टके सेर.
वाराणसी के समाजसेवी शिवप्रसाद गुप्त को आज उनके शहर के बाहर कोई जयंती या पुण्यतिथि पर भी याद नहीं करता, लेकिन कभी देश की आज़ादी की लड़ाई के साथ समाज के उत्थान में उनके योगदान के चलते महात्मा गांधी उन्हें राष्ट्ररत्न कहा करते थे.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार संस्कृत के उत्थान के लिए सचमुच फिक्रमंद होती तो संस्कृत में प्रेस विज्ञप्तियां जारी करने के अपने फैसले पर अमल से पहले उन कारणों का गंभीरतापूर्वक अध्ययन करवाती, जिनके चलते संस्कृत अपने लोक से लगातार कटती गई है.
भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार हो या केंद्र की मोदी सरकार, अपने फ़ैसलों में दोनों कदम-दर-कदम पुराने दिनों वाली कांग्रेसी सरकार के निर्णयों की ही पुनरावृत्ति करती दिखाई दे रही हैं. योगी सरकार ने ट्वीट के लिए गिरफ़्तारी करवाई है, वहीं इसी प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के जीबी पंत ने गीतकार शैलेंद्र की एक कविता पर प्रतिबंध लगाया था.
यह देखना दिलचस्प होगा कि नरेंद्र मोदी सारी सत्ता व अधिकार अपनी मुट्ठी में क़ैद रखने की अपने पिछले कार्यकाल की रीति-नीति बदलने में कोई दिलचस्पी रखते हैं या नहीं?
क्या नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार जल्द ही उन्हें हासिल जनादेश की ग़लत व्याख्या करने और उसको अपनी सारी कारस्तानियों पर जनता की मुहर मान लेने की ग़लती करने लगेगी?
एक एक्ज़िट पोल में पश्चिम बंगाल में भाजपा को 4 से लेकर 22 सीटों तक का आकलन दिया, जिसमें 5 गुने का फर्क है. तमिलनाडु में एनडीए को 2 से 15 सीटें दी गईं, जिसमें सात गुने का फर्क है. एक चैनल ने पंजाब में भाजपा को उतनी सीटें दीं, जितनी वह लड़ ही नहीं रही. उत्तराखंड में उस आम आदमी पार्टी को भी कुछ प्रतिशत वोट दिला दिए जो वहां चुनाव मैदान में ही नहीं है.
पिछले 21 वर्षों में चंदौली सीट के मतदाताओं ने किसी भी पार्टी या प्रत्याशी को लगातार दो बार नहीं चुना है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडे दोबारा जीत दर्ज कर अपनी प्रतिष्ठा बचा पाते हैं या नहीं.
गनीमत है कि अपनी स्वनामधन्य विशेषज्ञता को मतदाताओं को फांसने के जाल की तरह इस्तेमाल करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरस्ट्राइक पर जा रहे पायलटों को राम का नाम लेने, कोई मंत्र बुदबुदाने या हनुमान चालीसा पढ़ने का सुझाव नहीं दिया.
पूर्वांचल की घोसी लोकसभा सीट अरसे तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, फिर कांग्रेस और सपा-बसपा का गढ़ रही है, इस बार यहां से भाजपा से नाराज़ उसकी सहयोगी सुभासपा ने अपना उम्मीदवार उतारकर 'कमल न खिलने देने' की ठान ली है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश की कुशीनगर लोकसभा सीट पर भाजपा से विजय दुबे, कांग्रेस से आरपीएन सिंह और सपा-बसपा गठबंधन की ओर से नथुनी प्रसाद कुशवाहा चुनाव मैदान में हैं.
पूर्वी उत्तर प्रदेश की आम्बेडकरनगर लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपने वर्तमान सांसद हरिओम पांडेय का टिकट काटकर प्रदेश सरकार में मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा को प्रत्याशी बनाया है.
चुनावी बातें: 1977 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद जनसंघ के सांसद चाहते थे कि बाबू जगजीवन राम के रूप में पहला दलित प्रधानमंत्री देकर देश को नया संदेश दिया जाए, लेकिन राजनीतिक जटिलताओं के चलते ऐसा हो न सका.
चुनावी बातें: तीसरी लोकसभा के कार्यकाल के दौरान देश ने अपने पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान के आक्रमणों का मुक़ाबला किया और अपने दो प्रधानमंत्रियों को गंवाया.
चुनावी बातें: उत्तर प्रदेश के अयोध्या ज़िले की फ़ैज़ाबाद लोकसभा सीट के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में स्थित इस गांव का नाम पूरे बोध तिवारी है.