अंत्योदय का नारा देने वाले दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिंदू संस्कृति है.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि उपद्रव की घटना बाहरी लोगों की देन है.
साढ़े पांच साल पहले मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत नाबालिग आदिवासी लड़की का विवाह एक शादीशुदा व्यक्ति से करा दिया गया था.
कैंपस में छात्राओं के साथ बढ़ती छेड़खानी के विरोध में छात्राएं दो दिन से धरने पर बैठीं थीं.
रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था, ‘मैं जीवन भर गांधी और मार्क्स के बीच झटके खाता रहा हूं. इसलिए उजले को लाल से गुणा करने पर जो रंग बनता है, वही रंग मेरी कविता का है. मेरा विश्वास है कि अंततोगत्वा यही रंग भारत के भविष्य का रंग होगा.’
उत्तर पूर्वी राज्यों में काम का कोई अनुभव न होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के रसड़ा से बसपा विधायक उमाशंकर सिंह की कंपनी को नगालैंड के वोखा-मैरापानी रोड बनाने का ठेका दिया गया है.
उच्च न्यायालय ने ज्योतिषपीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य का चुनाव तीन महीने के भीतर करने का निर्देश दिया.
जन गण मन की बात की 123वीं कड़ी में विनोद दुआ साइबर क्राइम और जेएनयू पर चर्चा कर रहे हैं.
कैंपस में लड़कियों की सुरक्षा के मुद्दे पर लड़कियां शुक्रवार सुबह 6 बजे से विश्वविद्यालय के मेन गेट पर प्रदर्शन कर रही हैं.
किसान आंदोलन को रोकने के लिए छत्तीसगढ़ के पांच जिलों में धारा 144 लगा दी गई थी.
जन गण मन की बात की 122वीं कड़ी में विनोद दुआ जीडीपी में गिरावट और नोटबंदी से सोना आयात में हुई बढ़ोतरी पर चर्चा कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि ऐसे सांसदों और विधायकों को खुद को दोषी ठहराए जाने के फैसले के ख़िलाफ़ अपील करने का एक अवसर मिलना चाहिए.
केेंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जब म्यांमार रोहिंग्या लोगों को वापस लेने के लिए तैयार है, तो कुछ लोग क्यों उन्हें वापस भेजे जाने पर आपत्ति जता रहे हैं.
संगठनों का कहना है कि प्रस्तावित इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड के ज़रिये सरकार मज़दूरों के हड़ताल और विरोध करने के बुनियादी अधिकारों को छीनना चाहती है.
गुज़रे ज़माने की चीज़ क़रार दिए जाने के बाद भी न सिर्फ ‘दास कैपिटल’ बल्कि मार्क्स भी जीवित हो उठे हैं. इस बार उनका अवतार किसी धर्मशास्त्र या गुरु की तरह नहीं हुआ है, बल्कि पूंजीवाद के समकालीन संकट की व्याख्या करने के उपयोगी औज़ार के तौर पर हुआ है.