कांग्रेस ने मणिपुर में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना घोटाले का आरोप लगाते हुए मामले की सीबीआई जांच कराने के अलावा इस भ्रष्टाचार में शामिल मंत्रियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की भी मांग की. आरोप लगाया कि कई सड़कों का धन आवंटन के बावजूद कोई काम नहीं हुआ है और दस्तावेज़ों में कार्य पूर्ण होने की बात दर्ज की गई है.
मणिपुर से भारतीय जनता पार्टी के सांसद एम. सनाजाउबा लेशेम्बा ने राज्यसभा में मणिपुर-म्यांमार सीमा विवाद पर चर्चा करते हुए कहा कि राज्य पहले ही ज़मीन का बड़ा हिस्सा खो चुका है. अब भारत सरकार को इस मामले को म्यांमार के साथ राजनीतिक स्तर पर उठाना चाहिए.
मणिपुर में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा के लिए निर्धारित 177 करोड़ रुपये का इस्तेमाल नहीं हो सका है. प्रजनन बाल स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य प्रणाली सुदृढ़ीकरण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के लिए 13.23 करोड़ रुपये और राष्ट्रीय आयुष मिशन के लिए जारी अतिरिक्त 15.83 करोड़ रुपये की राशि बिना उपयोग के बची हुई हैं.
मणिपुर सरकार ने दिवंगत ब्रिगेडियर सुशील कुमार शर्मा की किताब 'द कॉम्प्लेक्सिटी कॉल्ड मणिपुर: रूट्स, परसेप्शन्स एंड रियलिटी' में दर्ज जानकारियों को भ्रामक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया है. किताब में मणिपुर रियासत के भारत के विलय का इतिहास बताया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हाईकोर्ट से कहा कि वह 2000 से 2012 तक मणिपुर में कथित गै़र-न्यायिक हत्याओं के आरोपी सुरक्षाकर्मियों पर मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी देने के मुद्दे पर छह महीने के भीतर फैसला करे. अदालत ऐसी हत्याओं के 1,528 मामलों की जांच की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध प्रवासियों की आमद पर गंभीर चिंता जताते हुए मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि उन स्थानीय लोगों के ख़िलाफ़ क़दम उठाए जाएंगे, जो विदेशियों को किराये पर अपने घरों में रहने की अनुमति दे रहे हैं.
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिए जाने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सीमित संसाधनों को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया गया है. इससे पहले ऐसा ही नियम असम सरकार द्वारा लागू किया जा चुका है.
एक ख़बर के प्रकाशन पर एक उग्रवादी संगठन द्वारा जारी फ़रमानों और धमकियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते हुए मणिपुर में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों ने सोमवार से काम बंद कर दिया है.
मणिपुर की भाजपा सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा है कि राज्य के इतिहास, संस्कृति, परंपरा और भूगोल पर प्रकाशित कुछ पुस्तकों की सामग्री तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करती है. इसलिए, इन किताबों को 'सही जानकारी' के साथ प्रकाशित करने पर निगरानी रखने के लिए एक 15 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.
जदयू ने इन पांच विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए हाईकोर्ट जाने की बात कही है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने मणिपुर में वही किया जो उसने पहले दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में किया था.
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से कॉमिक बुक ‘अमर चित्र कथा’ ने ‘स्वतंत्रता संग्राम के आदिवासी नेता’ नामक एक संग्रह प्रकाशित किया था, जिसमें ब्रिटिशराज के मणिपुरी सेनानायक पाउना ब्रजवासी की कहानी को भी शामिल किया था. मणिपुर के छात्र संगठनों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि ब्रजवासी न तो आदिवासी थे और न ही उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था.
मणिपुर सरकार ने अपने कर्मचारियों को उन सोशल मीडिया समूहों से बाहर निकलने का निर्देश दिया है, जो ‘अलगाववादी’, ‘राष्ट्र-विरोधी’ और ‘सांप्रदायिक’ एजेंडे के प्रचार में लिप्त हैं. विशेष गृह सचिव द्वारा जारी एक पत्र में कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को 12 अगस्त शाम छह बजे तक वॉट्सऐप और फेसबुक पर ऐसे समूहों से बाहर निकलना होगा.
मणिपुर के घाटी क्षेत्रों का समान विकास सुनिश्चित करने के लिए पहाड़ी इलाकों को अधिक वित्तीय और प्रशासनिक स्वायत्तता देने हेतु ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर प्रदर्शन कर रहा है. प्रदेश महिला कांग्रेस ने कहा है कि इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है, क्योंकि लोग भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं. लोकतंत्र की हत्या भाजपा के शासन में रोज़ का मामला है.
बीते कुछ समय से मणिपुर में अवैध घुसपैठ का दावा करते हुए एनआरसी की मांग तेज़ी से सिर उठा रही है. विधानसभा में जदयू विधायक के. जॉयकिशन ने दावा किया कि पर्वतीय क्षेत्रों में 1971 से 2001 के बीच जनसंख्या में 153.3% की वृद्धि हुई और 2002-11 में यह दर 250.9 फीसदी हो गई. उन्होंने कहा कि इसकी वजह बाहर से लोगों की कथित घुसपैठ हो सकती है.
मणिपुर की भाजपा सरकार ने बीते दो जुलाई को मणिपुर (पर्वतीय क्षेत्र) जिला परिषद छठे एवं सातवें संशोधन विधेयक पेश किए थे. पर्वतीय क्षेत्र का राज्य के घाटी वाले इलाकों के समतुल्य विकास सुनिश्चित करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों का दावा है कि ये विधेयक उनकी मांगों के अनुरूप नहीं हैं.