160 शिक्षाविदों, फिल्मकारों, अभिनेताओं, कार्यकर्ताओं ने बयान जारी कर उमर खालिद और सीएए का विरोध करने के लिए गिरफ़्तार किए लोगों की रिहाई की मांग करते हुए कहा कि अत्यधिक न्यायिक देरी ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है, जहां लोग बिना किसी सुनवाई के, बिना दोषी साबित हुए, लंबे समय तक हिरासत में सज़ा भुगत रहे हैं.
नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) में विश्वविद्यालयों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों में 2016-17 और 2022-23 के बीच पूर्णकालिक पीएचडी पाठ्यक्रमों में नामांकित छात्रों की संख्या में गिरावट आई है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी विश्वविद्यालयों से अपने छात्रों और फैकल्टी सदस्यों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण सुनने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा है. मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये ‘विकसित भारत@2047: युवाओं की आवाज़’ परामर्श कार्यक्रम में बोलेंगे. कुछ शिक्षाविदों और सांसदों ने इस क़दम की आलोचना की है.
यूएपीए के तहत दर्ज एक मामले में पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस ने बीते 3 अक्टूबर को समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और प्रशासक अमित चक्रवर्ती को गिरफ़्तार कर लिया था. वर्तमान एफ़आईआर की जड़ें कथित तौर पर बीते अगस्त माह में न्यूयॉर्क टाइम्स में आई एक रिपोर्ट से जुड़ी हुई है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: परम स्वतंत्रता न तो जीवन में संभव है और न ही सृजन में. फिर भी सृजन में ऐसी स्वतंत्रता पा सकना संभव है जो व्यापक जीवन में नहीं मिलती या मिल सकती.
दिल्ली स्थित साउथ एशियन यूनिवर्सिटी ने बीते जून महीने में अपने चार फैकल्टी सदस्यों को निलंबित कर दिया था. इन पर विश्वविद्यालय के ‘हितों के ख़िलाफ़ छात्रों को भड़काने’ का आरोप लगाया गया है. यह कार्रवाई स्नातकोत्तर छात्रों के लिए मासिक वज़ीफ़े में कटौती के विरोध में पिछले साल छात्रों के कई महीने चले विरोध प्रदर्शन के बाद की गई है.
कनाडा के कार्लटन विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वालीं डॉ. नवशरण सिंह रोहतक विश्वविद्यालय, नेशनल काउंसिल फॉर एप्लाइड इकोनॉमिक्स रिसर्च और इंटरनेशनल डेवलपमेंट रिसर्च काउंसिल में काम कर चुकी हैं. बीते माह प्रवर्तन निदेशालय ने उनसे लंबी पूछताछ की थी.
2002 के गुजरात दंगों से संबंधित विवादित डॉक्यूमेंट्री के मद्देनज़र भारत में समाचार वेबसाइट बीबीसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने संबंधी याचिका में कहा गया था कि डॉक्यूमेंट्री भारत और इसके प्रधानमंत्री के वैश्विक उदय के ख़िलाफ़ गहरी साज़िश का परिणाम है.
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री सीरीज़ ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ पर भारत सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को 500 से अधिक भारतीय वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने देश की संप्रभुता और अखंडता को कम करने वाला बताया है. उन्होंने कहा कि डॉक्यूमेंट्री पर रोक लगाना भारतीय नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन करता है.
केंद्र सरकार ने पहली बार छात्रों को एक ही विश्वविद्यालय या अलग-अलग संस्थानों से समान स्तर के दो पूर्णकालिक डिग्री कार्यक्रमों में एक साथ प्रत्यक्ष तरीके से पढ़ाई करने की अनुमति देने का निर्णय लिया है. हालांकि कई शिक्षाविदों ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता कमतर हो सकती है.
दिल्ली विश्वविद्यालय शैक्षणिक परिषद ने पिछले महीने बीए के अंग्रेज़ी ऑनर्स पाठ्यक्रम में बदलावों को मंज़ूरी देते हुए महाश्वेता देवी की लघुकथा ‘द्रौपदी’ सहित दो दलित महिला लेखकों बामा और सुकीरथरिणी की कृतियों को हटा दिया था. इन्हें पाठ्यक्रम में वापस शामिल करने की मांग के साथ 1,150 से अधिक शिक्षाविदों, लेखकों और संगठनों ने संयुक्त बयान जारी किया है.
वीडियो: वरिष्ठ पत्रकार और लेखक उर्मिलेश के संस्मरणों का संकलन ‘ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफर कॉडवेल’ हाल ही में आया है. इसमें उन्होंने अपनी जीवन यात्रा बताते हुए देश के उच्च शैक्षणिक संस्थानों और मीडिया जैसे दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बेहद प्रतिष्ठित माने जाने वाले कुछ लोगों की जातिवादी प्रवृत्ति को रेखांकित किया है. इस किताब को लेकर उनसे विशाल जायसवाल की बातचीत.
साक्षात्कार: हाल ही में आए अपने संस्मरणों के संकलन ‘ग़ाज़ीपुर में क्रिस्टोफर कॉडवेल’ में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक उर्मिलेश ने अपने अनुभवों के माध्यम से देश के उच्च शैक्षणिक संस्थानों और मीडिया में बरते जाने वाले जातिवादी रवैये को रेखांकित किया है. इस किताब को लेकर उनसे बातचीत.
अकादमिक जगत के कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि जब भी जांच एजेंसियां डिजिटल डिवाइस ज़ब्त करती हैं, तब कई वर्षों में तैयार किए गए उनके शोध कार्यों पर ख़तरा बढ़ जाता है, वे ख़राब हो जाते हैं या ग़ायब हो जाते हैं. याचिका में इस संबंध में दिशानिर्देश बनाने का आग्रह किया गया है.
भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं के वकील निहालसिंह राठौड़ ने बताया कि पेगासस सॉफ्टवेयर पर काम करने वाली सिटिजन लैब के शोधकर्ता ने उनसे संपर्क कर डिजिटल ख़तरे को लेकर चेताया था. मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया और डीपी चौहान ने भी दावा किया है कि उनकी भी जासूसी की गई थी.