उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में 18 जून की रात को स्थानीय लोगों की भीड़ ने एक मुस्लिम शख़्स को चोरी के संदेह में पीटा था, जिसके बाद उनकी मौत हो गई. अब पुलिस ने मृतक के ख़िलाफ़ डकैती और एक महिला पर हमले के आरोप में एफआईआर दर्ज की है.
जम्मू कश्मीर में राजौरी ज़िले में 22 और 23 नवंबर को आतंकियों साथ हुई मुठभेड़ में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के रहने पैराट्रूपर सचिन लौर शहीद हो गए थे. इससे पहले इसी मुठभेड़ में शहीद कैप्टन शुभम गुप्ता के घर 50 लाख का चेक देने पहुंचे उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय की शहीद की मां के मना करने के बाद उनके साथ फोटो खिंचाने की आलोचना हुई थी.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ज़िला मजिस्ट्रेट को उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम और उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम द्वारा प्रदत्त असाधारण और असामान्य शक्तियों का प्रयोग करने से पहले पूरी सावधानी बरतनी चाहिए, लेकिन हम देख रहे हैं कि इनके प्रावधानों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग हो रहा है.
घटना रतलाम ज़िले की है, जहां जमुनिया गांव के पास हाईवे पर रेलिंग ठीक करने का काम कर रहे कई मज़दूर एक तेज रफ़्तार कार की चपेट में आ गए. बताया गया है कि घटना में आठ मज़दूरों के अलावा कार में सवार पांच लोग भी घायल हुए हैं. घायल मज़दूरों की हालत गंभीर है.
कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद ने अलीगढ़ में आयोजित एक कार्यक्रम में एक धर्म विशेष के ख़िलाफ़ भड़काऊ टिप्पणी कीं, जिसके बाद उनके साथ-साथ अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय महासचिव पूजा शकुन पांडे और उनके पति के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
आरोप है कि बंगाल के मालदा के रहने वाले अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के तीन छात्र जब अपने परिचितों को रेलवे स्टेशन पर छोड़कर जा रहे थे तो रेलवे पुलिस ने उन्हें रोककर पूछताछ की. छात्रों के पास प्लेटफॉर्म टिकट नहीं थे, जिस पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें यह कहते हुए पीटना शुरू कर दिया कि यहां 'बाबा' का राज चलता है, 'ममता दीदी' का नहीं कि तुम जो चाहे वो करो.
पैगंबर के ख़िलाफ़ भाजपा नेताओं की टिप्पणियों को लेकर उत्तर प्रदेश में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद आरोप है कि प्रशासन ने हिंसा में शामिल आरोपियों के घरों को बुलडोज़र का इस्तेमाल करके गिरा दिया था. इस संबंध में प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की थी. इधर, अलीगढ़ शहर में फ्लैग मार्च में पुलिस द्वारा बुलडोज़र शामिल किए जाने का मामला सामने आया है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के महुआ खेड़ा थाना क्षेत्र में स्थित एक मस्जिद की दीवार पर ‘इस्लाम के पैगंबर’ के ख़िलाफ़ टिप्पणी लिखने के आरोप में एक अज्ञात व्यक्ति के पर पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज की है. पुलिस ने कहा कि इस संबंध में कई लोगों से पूछताछ की जा रही है.
अखिल भारतीय हिंदू महासभा की राष्ट्रीय महासचिव पूजा शकुन पांडे ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कथित तौर पर खून से पत्र लिखकर शुक्रवार की नमाज़ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. उनका कहना है कि जुमे की सामूहिक नमाज़ देश में शांति के लिए ख़तरा है.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में अलीगढ़ के वार्ष्णेय डिग्री कॉलेज में सहायक प्रोफेसर एसआर ख़ालिद कॉलेज परिसर के बगीचे में नमाज़ पढ़ते दिख रहे हैं. कॉलेज प्रवक्ता ने बताया कि भाजयुमो द्वारा प्रोफेसर के ख़िलाफ़ अनुशासनहीनता और शांति भंग के आरोप लगाए जाने के बाद मामले की जांच शुरू की गई है.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि पीएचडी छात्रा ने कुलपति से की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि उनके दो शोध सुपरवाइज़रों द्वारा उनकी पीएचडी थीसिस जमा करने से मना कर दिया, जिससे उन्होंने यह क़दम उठाया. मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित कर उसे तीन दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है.
यह पहली बार है जब 2-11 अप्रैल तक मनाए जा रहे नवरात्रि पर्व के दौरान दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) ने अपने अधिकार क्षेत्र में मांस की दुकानों को बंद करने के लिए कहा है. इधर, उत्तर प्रदेश के कुछ ज़िलों में मांस की दुकानें बंद किए जाने की ख़बरों के बीच राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.
धर्म संसद की प्रवक्ता पूजा शकुन पांडेय ने बताया कि प्रस्तावित कार्यक्रम को कोविड महामारी और राज्य में जारी विधानसभा चुनावों के कारण स्थगित किया गया है. उन्होंने कहा कि धार्मिक संस्था की प्रमुख मांग देश के हर ज़िले में धर्म गुरुओं की नियुक्ति का प्रावधान करना है, जो सरकार में सलाहकारों के रूप में काम करेंगे.
22-23 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ‘सनातन धर्म संसद’ के आयोजन का ऐलान किया गया है. बीते दिसंबर महीने में हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित ऐसे ही धर्म संसद कार्यक्रमों में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ कथित तौर पर नफ़रत भरे भाषण देने के साथ उनके नरसंहार का आह्वान किया गया था.