लोग ये बहस कर सकते हैं कि फिल्म में दिखाई गई घटनाएं असल में हुई थीं और कुछ हद तक वे सही भी होंगे. लेकिन किसी भी घटना के बारे में पूरा सच, बिना कुछ भी घटाए, जोड़े और बिना कुछ भी बदले ही कहा जा सकता है. सच कहने के लिए न केवल संदर्भ चाहिए, बल्कि प्रसंग और परिस्थिति बताया जाना भी ज़रूरी है.
सिनेमाघरों में द कश्मीर फाइल्स देखने वालों के नारेबाज़ी और सांप्रदायिक जोश से भरे वीडियो तात्कालिक भावनाओं की अभिव्यक्ति लगते हैं, लेकिन ऐसे कई वीडियो की पड़ताल में कट्टर हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं और संगठनों की भूमिका स्पष्ट तौर पर सामने आती है.
विवेक रंजन अग्निहोत्री भाजपा के पसंदीदा फिल्मकार के रूप में उभर रहे हैं और उन्हें पार्टी का पूरा समर्थन मिल रहा है.
वीडियो: ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ नामक किताब के लेखक अशोक कुमार पांडे ने हाल ही में रिलीज़ फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बारे में बात की. उन्होंने समझाया कि 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ, वह स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा का माहौल बनाने के लिए फिल्म का इस्तेमाल किया जाता है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का कारण रहीं परिस्थितियों की जांच के लिए एक समिति गठित करने की भी मांग की. उन्होंने मुसलमानों के प्रति नफ़रत की भावना नहीं रखने की अपील करते हुए कहा कि दिल्ली दंगे और 2002 में गुजरात में हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए ज़िम्मेदार परिस्थितियों की भी जांच होनी चाहिए.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में दिखाया गया है कि उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, जबकि ऐसा नहीं है. यह बाद दोहराते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि उस समय कश्मीरी पंडितों के विस्थापन और हत्याओं की भाजपा ने निंदा तक नहीं की थी.
कश्मीरी पंडितों के ख़िलाफ़ हिंसा ऐसी त्रासदी है जिस पर बात करते समय सिर्फ उसी पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए. किसी त्रासदी को तुलनीय बनाना उसका अपमान है. ‘कश्मीर फ़ाइल्स’ के निर्माताओं को यह सवाल करना चाहिए कि क्या वास्तव में कश्मीरी पंडितों की पीड़ा ने उन्हें फिल्म बनाने को प्रेरित किया या उसकी आड़ में वे अपनी मुसलमान विरोधी हिंसा को ज़ाहिर करना चाहते थे?
कश्मीरी पंडितों का विस्थापन भारत की गंगा-जमुनी सभ्यता के माथे पर बदनुमा दाग़ है और उसे मिटाने के लिए तथ्यों के धार्मिक सांप्रदायिक नज़रिये वाले फिल्मी सरलीकरण की नहीं बल्कि व्यापक और सर्वसमावेशी नज़रिये की ज़रूरत है. दुर्भाग्य से यह ज़रूरत अब तक नहीं पूरी हो पाई है और पंडितों को राजनीतिक लाभ के लिए ही भुनाया जाता रहा है.
हालिया रिलीज़ फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में कश्मीरी पंडितों के बरसों पुराने दर्द को कंधा बनाकर और उस पर मरहम रखने के बहाने कैसे एक पूरे समुदाय विशेष को ही निशाना बनाया जा रहा है.
अभिनेता नाना पाटेकर ने फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए यह बात कही. हालांकि, पाटेकर ने यह भी कहा कि उन्होंने अभी फिल्म नहीं देखी है और इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर पाएंगे, लेकिन किसी फिल्म को लेकर विवाद खड़ा होना अच्छा नहीं है.
फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बीते दिनों रिलीज़ के बाद उपजे राजनीतिक विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से यह क़दम उठाया गया है. फिल्म को भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं विपक्ष ने फिल्म को एकतरफा और बेहद हिंसक बताया है.
मुंबई की फिल्म निर्माता पायल कपाड़िया ने 2015 में भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के अध्यक्ष के रूप में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति के ख़िलाफ़ चार महीने तक चले विरोध प्रदर्शन की अगुवाई की थी. यह प्रदर्शन एफटीआईआई में सबसे लंबे चले प्रदर्शनों में से एक था. पुणे पुलिस ने पायल कपाड़िया और 34 अन्य छात्रों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज भी की थी. उनकी छात्रवृत्ति ग्रांट में भी कटौती कर दी गई थी.
अभिनेता अनुपम खेर ने ट्विटर पर एक वीडियो साझा कर बताया है कि उनमें कोरोना वायरस का लक्षण नहीं पाया गया है, लेकिन उनकी मां के अलावा अभिनेता भाई राजू खेर, उनकी पत्नी और भतीजी में संक्रमण के हल्के लक्षण मिले हैं.
‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के निर्देशक विजय रत्नाकर गुट्टे से जुड़ी कंपनी वीआरजी डिजिटल कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड को न केवल भारतीय कर कानूनों के उल्लंघन के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है बल्कि उस पर ब्रिटेन में भी टैक्स छूट के लिए धोखाधड़ी करने का आरोप है.
भाजपा के आधिकारिक फेसबुक और ट्विटर एकाउंट पर फिल्म का ट्रेलर साझा किया गया. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि फिल्म पार्टी के ख़िलाफ़ भाजपा का दुष्प्रचार है. महाराष्ट्र यूथ कांग्रेस ने रिलीज़ से पहले स्पेशल स्क्रीनिंग की मांग की. मध्य प्रदेश सरकार ने फिल्म पर प्रतिबंध की ख़बर को ग़लत बताया.