सेना के दिग्गज मानद कैप्टन और परमवीर चक्र से सम्मानित कैप्टन बाना सिंह ने केंद्र सरकार द्वारा रक्षाकर्मियों की भर्ती संबंधी ‘अग्निपथ’ योजना की आलोचना करते हुए कहा है कि देश को इस योजना के लिए 'बड़ी क़ीमत चुकानी' होगी. उन्होंने कहा कि सेना के साथ खिलौनों जैसा बर्ताव नहीं होना चाहिए.
रोहतक के सांपला में हुई खाप प्रतिनिधियों और किसान नेताओं की बैठक के बाद खाप नेता ओपी धनखड़ ने कहा कि वे इस भर्ती के लिए आवेदन करने वालों को सामाजिक रूप से अलग-थलग करने का प्रयास करेंगे. वे इस योजना का बहिष्कार कर रहे हैं जो 'अग्निवीर' के नाम पर युवाओं को मज़दूरों के तौर पर रखना चाहती है.
वीडियो: रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के 14 जून 2022 को अग्निपथ योजना के ऐलान के बाद से देश के कई राज्यों में इसके ख़िलाफ़ युवाओं ने व्यापक प्रदर्शन किए. आख़िर क्यों सरकार की इस योजना का विरोध किया जा रहा है, क्या चाहते हैं युवा? द वायर के याक़ूत अली की रिपोर्ट.
आठ सालों से नरेंद्र मोदी उसी राजनीति को पोषित करते आए हैं, जिसका अधिकांश 'होने वाले' अग्निवीर प्रतिनिधित्व करते हैं. और किसी को हैरानी नहीं होगी अगर वे व्यक्तिगत तौर पर इस योजना की निगरानी करें और 2024 के चुनावों से पहले ही इसमें उचित बदलाव भी कर दें.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की अग्निपथ योजना के ख़िलाफ़ दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए वर्षों पुरानी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है और इसके लिए संसद की मंज़ूरी भी नहीं ली गई है. याचिका में 14 जून की अधिसूचना को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की गई है.
सेना ने कहा कि ‘अग्निवीर’ नाम से भारतीय सेना में एक अलग रैंक बनाया जाएगा, जो कि किसी भी अन्य मौजूदा रैंक से अलग होगा. अग्निवीर के लिए शासकीय गोपनीयता अधिनियम, 1923 के तहत किसी भी अनधिकृत व्यक्ति या स्रोत को चार साल की सेवा अवधि के दौरान प्राप्त विशिष्ट जानकारी का खुलासा करने पर रोक रहेगी. अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए जाने वाले कर्मचारियों को ‘अग्निवीर’ के रूप में जाना जाएगा.
केंद्र की मोदी सरकार ने दशकों पुरानी प्रक्रिया में बदलाव करते हुए थलसेना, नौसेना और वायुसेना में भर्ती संबंधी अग्निपथ नामक योजना की बीते 14 जून को घोषणा की थी, जिसके तहत सैनिकों की भर्ती सिर्फ़ चार साल की कम अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी. इस योजना के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में युवा प्रदर्शन कर रहे हैं.
थलसेना, नौसेना और वायुसेना में संविदा आधारित भर्ती योजना ‘अग्निपथ’ के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स में अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि सरकार योजना लागू करने के अपने रुख़ पर कायम है. भारतीय सेना की नींव अनुशासन है. जो युवा आगज़नी और तोड़फोड़ में लिप्त हैं, वे सशस्त्र बलों की तीनों सेवाओं में नहीं शामिल हो पाएंगे.
सरकार ऐसी सोशल मीडिया गतिविधियों पर नज़र रख रही हैं, जिसका उद्देश्य ग़लत सूचना और अफ़वाह फैलाकर ‘अग्निपथ’ विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के लिए भीड़ को जुटाना है. केंद्र ने दशकों पुरानी भर्ती प्रक्रिया में बदलाव करते हुए थलसेना, नौसेना और वायुसेना में भर्ती संबंधी अग्निपथ योजना की घोषणा की है, जिसके तहत भर्ती सिर्फ चार साल की कम अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी.
अगर मोदी सरकार हर साल दो करोड़ नौकरियां देने के 2014 के लोकसभा चुनाव के अपने वादे पर ईमानदारी से अमल करती, तो इन आठ सालों में सोलह करोड़ युवाओं को नौकरियां मिल चुकी होतीं! अब एक ओर बेरोज़गारी बेलगाम होकर एक के बाद एक नए कीर्तिमान बना रही है, दूसरी ओर उसके प्रति सरकार की ‘गंभीरता’ का आलम यह है कि समझ में नहीं आता कि उसे लेकर सिर पीटा जाए या छाती.
विभिन्न राज्यों में अग्निपथ योजना को लेकर विरोध प्रदर्शनों के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि लघु संविदा पर सेना में काम करने के बाद 'अग्निवीरों' को सीएपीएफ और असम राइफल्स में भर्ती के लिए दस फीसदी आरक्षण के साथ ऊपरी आयु सीमा में छूट भी दी जाएगी.
केंद्र सरकार की नई अग्निपथ योजना को लेकर जारी देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन के बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विवादित कृषि क़ानूनों को वापस लेना पड़ा था, उसी तरह उन्हें ‘अग्निपथ’ योजना को वापस लेना पड़ेगा. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस योजना को 'दिशाहीन' बताया है.
केंद्र सरकार द्वारा रक्षाकर्मियों की भर्ती संबंधी 'अग्निपथ' योजना के विभिन्न राज्यों में व्यापक विरोध के बीच विपक्ष ने इस योजना को देश की सुरक्षा और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ बताया है. बिहार में भाजपा की सहयोगी जदयू और पंजाब में भाजपा के साथ जुड़े अमरिंदर सिंह ने भी योजना पर पुनर्विचार की मांग की है.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, इस संभावित निर्णय के तहत सैनिकों को तीन साल के अनुबंध पर रखकर प्रशिक्षित किया जाएगा. साथ ही वे उग्रवाद विरोधी अभियानों, ख़ुफ़िया जानकारी इकट्ठा करने सहित विभिन्न क्षेत्रों में सेवा देंगे. तीन साल होने पर अधिकांश सैनिकों को सेवामुक्त कर दिया जाएगा.
उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले में केद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक चुनावी रैली का संबोधित कर रहे थे, जब सेना में नौकरी तलाश रहे नाराज़ युवाओं ने नारेबाज़ी की. राजनाथ सिंह ने युवाओं को शांत कराते हुए भर्ती का आश्वासन दिया और फ़िर भारत माता की जय के नारे लगाने का आग्रह किया.