बंगनामा: बंगाली पिकनिक मनाते नहीं, रचाते हैं

आप किसी बड़े कस्बे, या छोटे-बड़े शहर के रहने वाले हों या कलकत्ता के बाशिंदे, सर्दियों के आते ही उनका मन मचलने लगता. पश्चिम बंगाल में पंखों के बंद होते और बंदर टोपी के निकलते ही पिकनिक रचाने की इच्छा कुलाचें भरने लगती है. बंगनामा स्तंभ की सोलहवीं क़िस्त.

बांग्लादेश में हिंदुओं के ख़तरे में होने के दावों की सच्चाई क्या है?

वीडियो: बांग्लादेश में वैष्णव संत चिन्मय कृष्ण दास की राजद्रोह के आरोप में गिरफ़्तारी के बाद भारत के कई हिस्सों, खासकर पूर्वोत्तर और बंगाल में प्रदर्शन हुए हैं, और हिंदुओं के सुरक्षित न रहने के दावे किए जा रहे हैं. इस बारे में द वायर की संगीता बरुआ पिशारोती और द हिंदू के वरिष्ठ पत्रकार कल्लोल भट्टाचार्य के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.

बंगनामा: बगैर ‘केमोन आचेन’ के ‘नमस्कार’ अधूरा

बंगालियों को अपनी बीमारी के बारे में बात करने तथा औरों से साझा करने में कोई झिझक नहीं होती. अपनी बीमारी को साझा करते हुए वह कुछ और भी बताते जाते हैं. मसलन, आप किसी व्यक्ति से तीसरी बार मिलें, और वह आपको अपने मर्ज़ और उनकी दवाएं गिनवा दे तो जानिए कि आपने उनका विश्वास अर्जित कर लिया है. बंगनामा स्तंभ की पंद्रहवीं क़िस्त.

बंगनामा: बंगाली विविधता के दो पहलू

घोटी और बांगाल समुदाय कई विषयों पर एकमत हो सकते हैं पर जिस बात पर सहमति लगभग असंभव है वह है फुटबॉल का मैदान. सबसे बड़ी टीम कौन-मोहन बागान या ईस्ट बंगाल? बंगनामा स्तंभ की तेरहवीं क़िस्त.

बंगनामा: झाल मूढ़ी का तड़का और आर्थिकी

झाल मूढ़ी बंगाल की खाद्य संस्कृति का एक प्रतीक है. बीते दशकों में मूढ़ी के उत्पादन और खपत दोनों में बढ़ोत्तरी हुई. लेकिन क्या इसके उत्पादकों की तरक्की हुई है? बंगनामा स्तंभ की छठी क़िस्त.

बंगनामा: आधी चुस्की चाय का रहस्य

भारत का एक चौथाई चाय उत्पादन पश्चिम बंगाल में होता है. यहां चाय पीने का पुराना रिवाज भी है. लेकिन अगर बंगाल के निवासियों को यह पेय इतना पसंद है तो इतने छोटे बर्तन में चाय क्यों पीते हैं? बंगनामा स्तंभ की पांचवीं क़िस्त.

बंगनामा: बंगाल के घर और पोखर

पोखर बंगाल की जीवन शैली का अभिन्न अंग है. घर की महिलाएं पोखर के जल से रसोई के बर्तन साफ़ करतीं और कई बार उसके पानी से खाना भी पकाती थीं. परिवार के सदस्य उसके जल से सुबह मंजन करते और दोपहर में उसमें स्नान भी.
बंगनामा स्तंभ की चौथी क़िस्त.

बंगनामा: बाज़ार और स्त्री की उपस्थिति

पश्चिम बंगाल में स्त्रियों के साथ सार्वजनिक स्थानों पर, बस, ट्राम और रेलगाड़ी में सम्मान के साथ व्यवहार होता है. यह बंगाल की संस्कृति का मौलिक तत्व है. लेकिन दो दशक पहले तक भी 'बाज़ार' करना स्त्रियों की परिधि के बाहर था. बंगनामा स्तंभ की तीसरी क़िस्त.

बिहार जाति सर्वेक्षण: नदियों का सगा माना गया है केवट समुदाय

जाति परिचय: बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे में उल्लिखित जातियों से परिचित होने के मक़सद से द वायर ने एक श्रृंखला शुरू की है. यह भाग केवट जाति के बारे में है.

क्यों बिजली उपभोक्ता स्मार्ट मीटर का विरोध कर रहे हैं?

देश के विभिन्न हिस्सों से स्मार्ट मीटर के विरोध की ख़बरें आ रही हैं. तकनीक के विरोध के पीछे अज्ञानता भी हो सकती है मगर इसी के नाम पर कई बार खेल भी होता है. उपभोक्ता को नहीं पता कि स्मार्ट मीटर के पीछे कौन है, किसकी कंपनी है, इसकी प्रमाणिकता क्या है और क्यों केंद्र इसे लगाने के लिए राज्यों पर शर्तें थोप रहा है.

काज़ी नज़रुल इस्लाम: ‘हिंदू हैं या मुसलमान, यह सवाल कौन पूछता है?’

पुण्यतिथि विशेष: असहयोग आंदोलन की पृष्ठभूमि में रची कविता में अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ विद्रोह के आह्वान के बाद नज़रुल इस्लाम ‘विद्रोही कवि’ कहलाए. उपनिवेशवाद, धार्मिक कट्टरता और फासीवाद के विरोध की अगुआई करने वाली उनकी रचनाओं से ही इंडो-इस्लामिक पुनर्जागरण का आगाज़ हुआ माना जाता है.

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