बिहार के भागलपुर ज़िले के नवगछिया क़स्बे में हुआ हादसा. ये प्रवासी मज़दूर बेंगलुरु से विशेष श्रमिक ट्रेन से आए थे और आगे के सफ़र के लिए एक ट्रक पर चढ़े थे.
सीतामढ़ी ज़िले में एक क्वारंटीन सेंटर में अव्यवस्थाओं के लेकर हुए प्रवासी मज़दूरों के हंगामे की ख़बर करने वाले पत्रकार पर प्रशासन की ओर से मामला दर्ज करवाते हुए कहा गया है कि पत्रकार ने मज़दूरों को उकसाया था. बेगूसराय में भी एक स्थानीय पत्रकार के ख़िलाफ़ एफआईआर हुई है.
लॉकडाउन के समय काम न होने से निम्न आर्थिक वर्ग के लोगों के पास न पैसा है न ही कमाई का अन्य कोई साधन. बिहार के पूर्वी चंपारण ज़िले के बासमनपुर पंचायत के मुसहर टोले का हाल भी यही है. यहां के रहवासियों का कहना है कि रोजी-रोटी नहीं है और अब भुखमरी जैसे हालात बन रहे हैं.
देशव्यापी लॉकडाउन के चलते बड़े शहरों में काम करने वाले मज़दूरों के पास काम बंद हो जाने की स्थिति में दो विकल्प थे- या तो घर लौट जाएं, या फिर यहीं रहकर काम दोबारा शुरू होने का इंतज़ार करें. घरों तक के सफ़र में मज़दूरों के सामने तमाम चुनौतियां आई हैं, लेकिन जो नहीं गए उनका भी हाल कुछ बेहतर नहीं है.
दिल्ली में रह रहे बिहार के प्रवासी श्रमिक रामपुकार पंडित की मोबाइल फोन पर बात करते रोते हुए तस्वीर बीते दिनों सुर्ख़ियों में रही थी. उनके बेटे की मौत हो गई है और वे अब तक परिवार से नहीं मिल सके हैं.
बिहार के विभिन्न ज़िलों के क्वारंटीन सेंटर में रह रहे प्रवासी मजदूर लगातार खाने-पीने और स्वच्छता संबंधी अव्यवस्थाओं की शिकायत कर रहे हैं. कुछ सेंटर में रहने वाले कामगारों का यह भी आरोप है कि उनके इस बारे में शिकायत करने के बाद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया है.
विशेष रिपोर्ट: बिहार के गोपालगंज ज़िले के एक गांव में बीते मार्च महीने में एक किशोर का शव पास की नदी से बरामद हुआ था. परिवार ने हत्या किए जाने का आरोप लगाया है. हालांकि कुछ समाचार वेबसाइट्स द्वारा मस्जिद में किशोर की बलि दिए जाने की भ्रामक ख़बरें प्रकाशित करने के बाद इस मामले ने सांप्रदायिक रंग ले लिया. पुलिस ने इस संबंध में ‘ऑपइंडिया’ और ‘ख़बर तक’ नाम की वेबसाइट के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है.
विशेष रिपोर्ट: विभिन्न कारणों से जूट मिलों में आए दिन तालाबंदी से ये मज़दूर वैसे ही परेशान थे, फिर भी किसी तरह जी रहे थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से अचानक हुए लॉकडाउन के कारण मिलों की मशीनें जब खामोश हो गई हैं तो मजदूरों के सामने दाना-पानी का संकट पहाड़ की तरह खड़ा हो गया है.
इस समूह में चल रहे एक श्रमिक ने बताया कि करीब 12 लोगों ने दो दिन पहले लुधियाना से पैदल ही यात्रा शुरू की थी क्योंकि वे रेलवे की विशेष ट्रेन के लिए पंजीकरण नहीं करा पाए थे.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ हादसा. पुलिस ने बताया कि बीते पांच मई को दिल्ली से आठ मज़दूर साइकिल से बिहार जाने के लिए निकले थे और नौ मई को वे लखनऊ पहुंचे थे.
श्रमिक स्पेशल ट्रेन के किराये को लेकर सरकार के विभिन्न दावों के बीच गुजरात से बिहार लौटे कामगारों का कहना है कि उन्होंने टिकट ख़ुद खरीदा था. उन्होंने यह भी बताया कि डेढ़ हज़ार किलोमीटर और 31 घंटे से ज़्यादा के इस सफ़र में उन्हें चौबीस घंटों के बाद खाना दिया गया.
वीडियो: लॉकडाउन के बीच विभिन्न राज्यों में फंसे बिहार के मज़दूरों को वापस बुलाने के मुद्दे पर राजद नेता तेजस्वी यादव से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण से देश में मरने वालों की संख्या मंगलवार को बढ़कर 1,568 हो गई और संक्रमित मामलों की तादाद 46,433 पहुंच गई है.
पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के अधीक्षक ने बताया कि इन डॉक्टरों को महामारी अधिनियम के तहत ड्यूटी करने से मना करने और कुछ वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ अभद्रता करने के लिए दंडित किया गया है.
उत्तर प्रदेश और बिहार के 34 मज़दूर कर्नाटक के शिमोगा ज़िले में फंसे हैं. बालू खनन का काम करने वहां गए मज़दूरों का कहना है कि जो थोड़े-बहुत पैसे थे, वो अब तक के लॉकडाउन के दौरान ख़त्म हो चुके हैं. अब अगर यहां से नहीं निकाला गया तो भुखमरी जान ले लेगी.