प्रधानमंत्री अपना कोई भी भाषण कांग्रेस की चर्चा किए बगैर पूरा क्यों नहीं कर पाते

प्रधानमंत्री के अनुसार कांग्रेस का अहंकार नहीं जाता, पर यह कांग्रेसियों की चिंता का विषय है या देश की? प्रधानमंत्री कांग्रेस के प्रति जवाबदेह हैं या देशवासियों के? उनके वजह-बेवजह कांग्रेस को कोसने से सिर्फ यह पता चलता है कि उनकी और उन जैसों की जमात की आज के प्रश्नों को अतीत की ओर ले जाकर वर्तमान व भविष्य की ओर पीठकर लेने की बीमारी लगातार लाइलाज होती जा रही है.

यूपी चुनाव: मेरठ में चुनाव अधिकारी को थप्पड़ मारने के मामले में भाजपा विधायक संगीत सोम पर केस

10 फरवरी को मेरठ ज़िले में सरधना विधानसभा क्षेत्र के गांव सलावा के प्राथमिक विद्यालय नंबर दो पहले चरण के वोट डाले जा रहे थे. आरोप है कि मतदान के दौरान भाजपा विधायक संगीत सोम और उनके समर्थकों ने पीठासीन अधिकारी अश्विनी कुमार की पिटाई कर दी थी और बूथ पर लगे वेबकैम को भी उखाड़ कर ले गए थे. विधायक कथित तौर पर मतदान की धीमी गति को लेकर नाराज़ थे.

यूपी चुनाव: आवारा पशुओं से क्यों परेशान हैं कन्नौज के आलू किसान?

वीडियो: उत्तर प्रदेश के कन्नौज में आलू किसानों की सबसे बड़ी चिंता का विषय आवारा पशु हैं. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा की राज्य सरकार के गोहत्या पर रोक लगाने के फैसले का पशु व्यापार पर प्रभाव पड़ा है. कथित गोरक्षा समूहों के डर के कारण पशु व्यापारी अपना व्यवसाय सामान्य रूप से करने में असमर्थ हैं. किसानों का कहना है कि इसकी वजह से उन्हें अपने मवेशियों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है.

उत्तर प्रदेश: गोरखपुर ज़िले की निषाद बहुल सीटों का चुनावी समीकरण क्या है

पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में नौ विधानसभा क्षेत्र- गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा, चिल्लूपार, बांसगांव और खजनी हैं. बांसगांव और खजनी क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इनमें से पांच- गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा में निषाद समुदाय की अच्छी-ख़ासी संख्या है. चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में भी निषाद मतदाता ठीक-ठाक हैं.

यूपी: बसपा के टिकट पर उतरे अमनमणि त्रिपाठी के ख़िलाफ़ क्यों हैं दो महिलाएं

बसपा ने महराजगंज की नौतनवा सीट से अमनमणि त्रिपाठी को टिकट दिया है. उन पर उनकी पत्नी सारा की हत्या का आरोप है, जिसमें वे ज़मानत पर बाहर हैं. अमनमणि के माता-पिता साल 2003 के बहुचर्चित मधुमिता हत्याकांड में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे हैं. सारा की मां सीमा और मधुमिता की बहन निधि अमनमणि को टिकट देने का विरोध कर रही हैं.

लखीमपुर हिंसा: केंद्रीय मंत्री के बेटे ने रिहाई के लिए ज़मानत आदेश में संशोधन के लिए अर्ज़ी दाख़िल की

लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को बीते 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज़मानत दी थी. आशीष द्वारा दाख़िल याचिका में कहा गया है कि अदालत ने उनकी ज़मानत के आदेश में धारा 302 (हत्या) और 120बी (साज़िश रचने) की धाराओं का जिक्र नहीं किया था. इसके बिना उनकी जेल से रिहाई संभव नहीं है.

यूपी चुनाव: ‘योगी जी को 80 बनाम 20 की बात नहीं बोलनी चाहिए थी’

वीडियो: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक सीट ऐसी भी है, जहां लड़ाई राजघरानों के बीच है. रामपुर सीट पर दो राजघराने आमने-सामने हैं. रामपुर के मोहम्मद आज़म ख़ान और नवाब काजिम अली उर्फ़ नावेद मियां के बीच चुनावी मुकाबला है.

इस्लामोफोबिया ने भारत में घातक रूप ले लिया हैः नोम चॉम्स्की

अमेरिकी प्रवासी संगठनों द्वारा 'भारत में सांप्रदायिकता' पर आयोजित एक कार्यक्रम में भेजे गए संक्षिप्त संदेश में प्रख्यात अकादमिक और भाषाविद नोम चॉम्स्की ने कहा कि पश्चिम में बढ़ रहे इस्लामोफोबिया ने भारत में सबसे घातक रूप ले लिया है, जहां मोदी सरकार व्यवस्थित ढंग से धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को ख़त्म कर रही है.

यूपी: क्या आज़म ख़ान की ज़मानत प्रक्रिया में देरी राजनीतिक इशारों पर हो रही है

समाजवादी पार्टी के नेता और रामपुर से लोकसभा सांसद आज़म ख़ान पिछले दो सालों से जेल में हैं. उन पर दर्ज 87 मामलों में से 84 में उन्हें ज़मानत मिल चुकी है. शेष जिन तीन मामलों वे हिरासत में हैं, उनमें ज़मानती प्रक्रिया ऐसी अंतहीन बाधाओं का शिकार है जहां कभी सुनवाई का आवेदन रहस्यमय ढंग से ग़लत कोर्ट में पहुंच जाता है, तो कभी सुनवाई के रोज़ केस की फाइल ही खो जाती है.

हिजाब विवाद: क्या मसला असल में धर्मनिरपेक्षता का है या महज़ उपद्रव की साज़िश

कर्नाटक में जो भगवाधारी युवकों-युवतियों की हिंसक और नफ़रतबुझी भीड़ दिख रही है, उसे क्षणिक मानकर निश्चिंत हो जाना ख़तरनाक है. जो इन्हें इकट्ठा कर रहे हैं, वे इन्हें बस एक मौक़े के लिए इस्तेमाल नहीं करेंगे.

लखीमपुर हिंसा: केंद्रीय मंत्री के बेटे को ज़मानत देने की विपक्ष और किसान संगठनों ने की निंदा

लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान चार किसानों की हत्या के मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा को ज़मानत मिलने पर कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि राजनीतिक रूप से शक्तिशाली आरोपी के गवाहों को प्रभावित करने की पक्की संभावना पर विचार किए बिना अदालत का ज़मानत देना बेहद निराशाजनक है.

चुनाव प्रचार में भाषा का गिरता स्तर लोकतांत्रिक मूल्यों के क्षरण का संकेत है

आजकल जिस भाषा में सत्ताधारी नेता चुनाव प्रचार कर रहे हैं, वो दिखाता है कि हम लोकतंत्रिक प्रणाली के लायक विकसित ही नहीं हुए हैं. क्योंकि दुनिया का कोई भी सभ्य व लोकतांत्रिक राष्ट्र ऐसी भाषा को स्वीकार नहीं कर सकता है, जो समाज में नफ़रत और हिंसा के उत्प्रेरक के तौर पर काम करे.

उत्तर प्रदेश: योगी आदित्यनाथ के सांप्रदायिक एजेंडे का सपा के पास क्या जवाब है?

वीडियो: वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान उत्तर प्रदेश चुनावों को लेकर भाजपा के ध्रुवीकरण की राजनीति, योगी आदित्यनाथ के एजेंडे और समाजवादी पार्टी की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं.

सपा या बसपा: पश्चिमी यूपी के मुस्लिम वोटर का रूझान किधर?

वीडियो: उत्तर प्रदेश के बिजनौर शहर में अधिकांश आबादी मुस्लिम समुदाय की है और उसके बाद दलित आबादी है. द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने यहां मुस्लिम समुदाय के लोगों से बातकर यह जानने की कोशिश की कि दूसरे चरण के चुनाव में यहां के लोगों का क्या रूझान है.

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