उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर ज़िले का मामला. घटना 25 अगस्त को घटी थी, लेकिन अब तक परिजनों को 18 वर्षीय दलित युवक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट नहीं मिल सकी है. परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्हें इसलिए मार दिया गया, क्योंकि वह दलित समुदाय से थे. मामले में मुख्य आरोपी ने आत्मसमर्पण कर दिया है.
साक्षात्कार: इतिहासकार, शिक्षाविद और नारीवादी उमा चक्रवर्ती देश की आज़ादी के समय छह साल की थीं. शिक्षा, समाज सेवा, फिल्म निर्माण जैसे क्षेत्रों में व्यापक काम कर चुकीं उमा का कहना है कि आज धर्म के आधार पर हो रही लिंचिंग, दंगे आदि स्वतंत्रता आंदोलन और उससे जुड़े वादों के साथ धोखा हैं.
घटना मध्य प्रदेश के छतरपुर की है. दलित समुदाय के एक युवक की बीते 28 जून को शादी थी, लेकिन उसे अपनी बारात में घोड़ी पर बैठने के लिए स्थानीय पुलिस की मदद के लिए आवेदन देना पड़ा था, जिसमें बारात में बाधा डालने की धमकियों को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी.
कोर्ट सीबीएसई के दो भाइयों के कक्षा 10 और कक्षा 12 के बोर्ड प्रमाणपत्रों पर उनके पिता का सरनेम बदलने से मना करने के ख़िलाफ़ याचिका सुन रहा था. इसमें कहा गया था कि उनके पिता ने अपना सरनेम 'मोची' से बदलकर 'नायक' किया, क्योंकि उन्हें सरनेम के आधार पर जातिगत दुराग्रहों का सामना करना पड़ रहा था.
घटना पाटन ज़िले की है. काकोशी गांव के एक स्कूल के मैदान में चल रहे मैच के दौरान एक 8 वर्षीय बच्चे ने क्रिकेट की गेंद को उठा लिया था, जिससे कथित उच्च जाति के कुछ लोग भड़क गए. आरोप है कि बाद में उन्होंने बच्चे के चाचा पर लाठी-डंडों और तलवार से हमला किया.
महाराष्ट्र के नांदेड़ ज़िले के बोंदर हवेली गांव में रहने वाले आंबेडकरवादी युवक अक्षय भालेराव ने गांव में बीते 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती मनाने के लिए ग्रामीणों को पुलिस से अनुमति दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी, जिससे गांव का बहुसंख्यक मराठा समुदाय उनसे चिढ़ा हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट बिहार में चल रही जातिगत जनगणना पर रोक लगाने संबंधी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. उसने आगे इस पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए पटना हाईकोर्ट को तीन दिनों में ‘प्राथमिकता के साथ’ इसका निपटान करने का निर्देश दिया है.
आंबेडकर गांवों को भारतीय गणतंत्र की 'इकाई' मानने से इनकार करते हैं, क्योंकि उनके अनुसार गांव में सिर्फ एक समान ग्रामीण नहीं रहते बल्कि 'अछूतों' का 'छूतों' से विभाजन साफ दिखाई देता है. ग्रेटर नोएडा में भारत सरकार द्वारा 'आदर्श गांव' घोषित नीमका में 18 अप्रैल को आंबेडकर की प्रतिमा तोड़े जाने की घटना के बाद दलित समुदाय पर लगे आरोपों में यही विभाजन स्पष्ट नज़र आता है.
भले ही शास्त्रीय मान्यता न हो, व्यवहार में जातिगत भेद भारत के हर धार्मिक समुदाय की सच्चाई है. अमेरिका जाने वाले सिर्फ़ हिंदू नहीं, अन्य धर्मों के लोग भी हैं. अमेरिका के सिएटल में लागू जातिगत भेदभाव संबंधी क़ानून सब पर लागू होगा, सिर्फ़ हिंदुओं पर नहीं. फिर हिंदू ही क्यों क्षुब्ध हैं?
जन्मदिन विशेष: 'बिहार के लेनिन' कहे जाने वाले बाबू जगदेव प्रसाद कहते थे कि आज का हिंदुस्तानी समाज साफ तौर से दो भागों में बंटा हुआ है- दस प्रतिशत शोषक और नब्बे प्रतिशत शोषित. यह इज़्ज़त और रोटी की लड़ाई हिंदुस्तान में समाजवाद या कम्युनिज़्म की असली लड़ाई है. भारत का असली वर्ग संघर्ष यही है.
घटना इरोड ज़िले की है, जहां एक छात्र के अभिभावकों की शिकायत पर पुलिस ने किशोर न्याय अधिनियम और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है. पुलिस ने बताया कि आरोपी प्रधानाध्यापिका फ़रार हैं.
एक निचली अदालत द्वारा एक शव को 'एससी/एसटी के लिए तय ज़मीन' पर न दफनाए जाने पर उसे बाहर निकालने के आदेश दिए गए थे. उसे रद्द करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि कम से कम किसी इंसान के अंतिम समय में तो समानता बरती जानी चाहिए.
प्रतिभा के कारण अवसर मिलते हैं. यह वाक्य ग़लत है. यह कहना सही है कि अवसर मिलने से प्रतिभा उभरती है. सदियों से जिन्होंने सारे अवसर अपने लिए सुरक्षित रखे, अपनी प्रतिभा को नैसर्गिक मानने लगे हैं. वे नई-नई तिकड़में ईजाद करते हैं कि जनतंत्र के चलते जो उनसे कुछ अवसर ले लिए गए, वापस उनके पास चले जाएं.
संविधान की मूल संरचना का आधार समानता है. आज तक जितने संवैधानिक संशोधन किए गए हैं, वे समाज में किसी न किसी कारण से व्याप्त असमानता और विभेद को दूर करने वाले हैं. पहली बार ऐसा संशोधन लाया गया है जो पहले से असमानता के शिकार लोगों को किसी राजकीय योजना से बाहर रखता है.
घटना राजधानी बेंगलुरु से 80 किमी दूर चिक्कबल्लापुर ज़िले के केम्पडेनहल्ली गांव की है. जहां कथित उच्च जातियों से आने वाले दस लोगों ने जेवर चुराने के संदेह में चौदह साल के एक दलित किशोर को खंबे से बांधकर बुरी तरह पीटा. पुलिस के अनुसार, घायल किशोर का अस्पताल में इलाज चल रहा है.