गुजरात में 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगे के एक मामले में दो बच्चों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के 17 सदस्यों की हत्या के 22 आरोपियों में से आठ की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है. अभियोजन पक्ष के अनुसार, पीड़ितों को एक मार्च, 2002 को मार दिया गया था और सबूत नष्ट करने के इरादे से उनके शव भी जला दिए गए थे.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य में औसतन 31 प्रतिशत शादियां ‘निषिद्ध उम्र’ में होती हैं. कार्रवाई करने के संबंध में उन्होंने कहा कि यह दंडात्मक अभियान राज्य में उच्च मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के उद्देश्य से है. यह एक तटस्थ और धर्मनिरपेक्ष कार्रवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभय एस. ओका ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत में प्रति 10 लाख लोगों पर 50 न्यायाधीशों की आवश्यकता है, लेकिन वर्तमान में यह आंकड़ा प्रति दस लाख लोगों पर केवल 21 का है, जिससे अदालतों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है.
उत्तर प्रदेश में बरेली ज़िले के फ़रीदपुर स्थित एक सरकारी स्कूल में प्रार्थना के दौरान प्रख्यात कवि इक़बाल की कविता ‘लब पे आती है दुआ’ का पाठ कराने को लेकर विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने प्रिंसिपल और शिक्षामित्र के ख़िलाफ़ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप केस दर्ज कराया था. मामले में प्रिसिंपल को दो दिन पहले निलंबित कर दिया गया था.
उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले के फ़रीदपुर स्थित एक सरकारी स्कूल का मामला. विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय पदाधिकारियों ने धर्मांतरण की कोशिश का आरोप लगाते हुए स्कूल की प्रिंसिपल और शिक्षामित्र के ख़िलाफ़ एफ़आईआर भी दर्ज कराई है.
खसरे से अब तक हुईं 13 मौतों में से नौ मुंबई में, जबकि बाकी चार शहर के बाहरी इलाकों में दर्ज की गईं. इन चार में से एक नालासोपारा से और तीन बच्चे भिवंडी से थे. मृतकों में तीन 0-11 महीने, आठ 1-2 वर्ष और दो 3-5 वर्ष के बच्चे थे.
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के एक बुलेटिन में कहा गया है कि महाराष्ट्र में 26 स्थानों से खसरा फैलने की सूचना मिली है. मुंबई में आठ नगरपालिका वार्ड खसरे से प्रभावित हुए हैं और मौत के सभी मामले यहीं दर्ज किए गए हैं.
मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले में ग़ौहरगंज स्थित शिशु गृह का मामला. आरोप है कि यहां रह रहे तीन बच्चों का धर्म परिवर्तन कर उनके नाम बदल दिए गए हैं. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने शिशु गृह संचालक हसीन परवेज़ के विरुद्ध प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.
बीते 6 अक्टूबर को तिरुपुर जिले स्थित श्री विवेकानंद सेवालयम अनाथालय में कथित रूप से विषाक्त भोजन करने के कारण तीन लड़कों की मौत हो गई और 11 अन्य को सरकारी अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है. दो मंत्री अस्पताल का दौरा करने के बाद कहा कि निजी आवास ‘श्री विवेकानंद सेवालयम’ की स्थिति बहुत खराब है. उसे तत्काल बंद कर दिया जाएगा. अनाथालय के अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया.
दिलकुशा इलाके में भारी बारिश के कारण एक इमारत की चारदीवारी गिरने से उसके पास बनी झोपड़ियों में रह रहे तीन मजदूर दंपतियों के साथ तीन बच्चों की मौत हो गई और दो लोग घायल हो गए. लखनऊ में पिछले तीन दिनों से भारी बारिश के चलते जिलाधिकारी ने शुक्रवार को सभी निजी और सरकारी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया था.
हादसा चंपावत के पाटी विकास खंड के मौनकांडा प्राथमिक विद्यालय में मध्यावकाश के समय हुआ जब खेलते हुए बच्चे इस्तेमाल में न आने वाले एक शौचालय की छत पर चढ़े थे और छत टूटकर नीचे गिर गई. जिलाधिकारी ने कहा है कि घटनास्थल का निरीक्षण कर हादसे की जांच कराई जाएगी.
सामाजिक कल्याण विभाग की अधिकारी ने बताया कि ये उबले अंडे मेघालय के 46 ब्लॉकों में तीन से छह वर्ष आयु समूह के बच्चों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को एकीकृत बाल विकास योजना केंद्रों पर उपलब्ध कराए गए गर्म पके भोजन के अलावा हैं.
इससे पहले दिसंबर 2021 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि अप्रैल 2020 से लेकर सात दिसंबर 2021 तक 9,855 बच्चे अनाथ हो चुके हैं, 1,32,113 बच्चे अपने माता-पिता में से किसी एक को खो चुके हैं और 508 बच्चों को छोड़ दिया गया है.
केंद्र सरकार के मुताबिक़, कोविड महामारी के दौरान क़रीब 1.5 लाख बच्चे अनाथ हुए, जिनमें से 10,386 बच्चों ने दोनों मां-बाप को खो दिया, 1,42,949 बच्चों ने अपने किसी एक अभिभावक को खोया, वहीं 492 बच्चे बेघर हो गए. ऐसे बच्चों के लिए केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों ने भी कई योजनाओं के ज़रिये मदद की बात की थी.
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आंकड़ों से इसे लेकर कोई भी संदेह दूर हो जाना चाहिए कि दुनिया भुखमरी, खाद्य असुरक्षा और कुपोषण को समाप्त करने के अपने प्रयासों में पीछे जा रही है. सबसे हालिया उपलब्ध साक्ष्य बताते हैं कि दुनिया भर में स्वस्थ खुराक का ख़र्च उठाने में असमर्थ लोगों की संख्या 11.2 करोड़ बढ़कर लगभग 3.1 अरब हो गई.