केरल के कोच्चि ज़िले में कलामासेरी स्थित ज़मरा इंटरनेशनल कनवेंशन एंड एक्जीबिशन सेंटर में ईसाई संप्रदाय जेहोवाह विटनेसेस की प्रार्थना सभा के दौरान बम विस्फोट की घटना हुई. केरल पुलिस ने बताया कि विस्फोटों के लिए आईईडी का इस्तेमाल किया गया. पुलिस ने कहा है कि फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी.
हमास-नियंत्रित आंतरिक मंत्रालय ने कहा है कि ग़ाज़ा स्थित ऑर्थोडॉक्स ग्रीक चर्च पर इज़रायल के हवाई हमले में कम से कम 8 लोगों की मौत हो गई है. जब हमला हुआ तक यहां ईसाई और मुस्लिम समुदाय के क़रीब 500 लोग शरण लिए हुए थे. इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद इन्हें विस्थापित होना पड़ा था.
ईसाई समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात कर विभिन्न राज्यों में पुलिस द्वारा समुदाय के सदस्यों पर जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप लगाए जाने पर भी नाराज़गी व्यक्त की. प्रतिनिधियों ने अपनी प्रमुख चिंताओं में मणिपुर में चर्चों पर हमलों का मुद्दा उठाया.
घटना ताहिरपुर इलाके के सियोन प्रार्थना भवन में हुई. ईसाई लोगों का आरोप है कि कुछ लोगों ने आकर प्रार्थना रोक दी, वहां मारपीट और तोड़फोड़ की, साथ ही उकसावे वाले नारे लगाए. इसके बाद समुदाय के लोगों द्वारा एफआईआर दर्ज करवाने जाने पर क़रीब सौ लोगों की भीड़ ने कई घंटों तक थाने को घेरकर नारेबाज़ी की.
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने विधि आयोग को पत्र लिखकर प्रस्तावित समान नागरिक संहिता पर आपत्ति दर्ज कराई है. पार्टी ने कहा कि सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता लाने से पहले हमें जातिगत भेदभाव और अत्याचारों को ख़त्म करने के लिए एक समान जाति कोड की आवश्यकता है.
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के अनुसार, जून में इस अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ सबसे अधिक हमले देखे गए, जहां कुल 88 घटनाएं या प्रतिदिन औसतन तीन घटनाएं दर्ज हुईं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुओं को संगठित करना मुसलमानों और ईसाइयों का विरोध नहीं है. कभी-कभी किसी क्रिया पर प्रतिक्रिया होती है. कभी-कभी जैसे को तैसा जैसी प्रतिक्रिया होती है, लेकिन सही मायने में शांति और सहिष्णुता हिंदुत्व के मूल्य हैं.
बहुसंख्यकवाद का जो मतलब मुस्लिमों के लिए है, वह हिंदुओं के लिए नहीं. वे कभी उसकी भयावहता महसूस नहीं कर सकते. मसलन, डीयू के शताब्दी समारोह में जय श्री राम सुनकर हिंदुओं को वह भय नहीं लग सकता जो मुसलमानों को लगेगा क्योंकि उन्हें याद है कि उन पर हमला करते वक़्त यही नारा लगाया जाता है.
2021 में होने वाली जनगणना अब तक नहीं हुई मगर उत्तराखंड में धर्म विशेष के लोगों की आबादी बढ़ने के फ़र्ज़ी आंकड़े सरेआम प्रचारित हो रहे हैं. उधर, राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट की फटकार की परवाह न करते हुए कभी धर्मांतरण क़ानून, कभी समान नागरिक संहिता, तो कभी 'लैंड जिहाद' के नाम पर सांप्रदायिक तत्वों को हवा दे रही है.
वीडियो: अमेरिकी विदेश विभाग ने बीते दिनों भारत में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ होते ‘निरंतर लक्षित हमलों’ पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि अमेरिकी नरसंहार संग्रहालय भारत को ‘सामूहिक नरसंहार की संभावना रखने वाले’ देश के रूप में देखता है. इस मुद्दे पर पत्रकार, लेखक और एमनेस्टी इंडिया के प्रमुख आकार पटेल से बातचीत.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने वॉशिंगटन जाने वाले हैं, उससे पहले अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ होते ‘निरंतर लक्षित हमलों’ पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि अमेरिकी नरसंहार संग्रहालय भारत को ‘सामूहिक नरसंहार की संभावना रखने वाले’ देश के रूप में देखता है.
कैथोलिक सदस्यों के एक मंच ‘फोरम ऑफ रिलिजियस फॉर जस्टिस एंड पीस’ ने कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया के अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि वह मणिपुर में हालिया हिंसा से हैरान और व्यथित है. फोरम ने नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद ईसाइयों के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा के प्रति चर्च की ठंडी प्रतिक्रिया और कुछ बिशपों द्वारा भाजपा सरकार की सराहना को लेकर भी निराशा प्रकट की.
वीडियो: मणिपुर में मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के विरोध में बीते 3 मई को निकली रैलियों के बाद हिंसा भड़क उठी, जिसमें क़रीब 54 लोगों की मौत हो गई. कई घरों में आग लगा दी गई और सैकड़ों लोग अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए. इस घटनाक्रम के बारे में बता रही हैं द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती.
मणिपुर में आदिवासी समुदाय और मेईतेई समुदायों के बीच जारी हिंसा के बीच देश भर के ईसाई संगठनों ने कहा कि हम राज्य में ईसाइयों को निशाना बनाने और उनके उत्पीड़न में बढ़ोतरी को लेकर चिंतित हैं. हम सभी पक्षों से संयम बरतने और मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में काम करने का आह्वान करते हैं.
मणिपुर में हुई हालिया हिंसा के बीच जो बात स्पष्ट नज़र आती है, वो यह है कि समुदायों के बीच संघर्षों के इतिहास से भरे इस राज्य को संभालने में अगर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने ज़रा भी सावधानी बरती होती तो ताज़ा संघर्ष के कई कारणों से बचा जा सकता था.