शीर्ष अदालत ने बीते 11 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले में नलिनी श्रीहरन सहित छह दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया था. केंद्र सरकार ने भी इसके ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर की है.
शीर्ष अदालत ने 11 नवंबर को नलिनी श्रीहरन सहित छह दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया था. न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार द्वारा अपराधियों की सज़ा में छूट की सिफ़ारिश के आधार पर यह आदेश दिया था. उसके बाद नलिनी के अलावा आरपी रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार जेल से बाहर आ गए.
सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें ‘डरा-धमकाकर, प्रलोभन देकर और पैसे का लालच देकर’ होने वाले धर्मांतरण पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़े क़दम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले के दोषियों में से एक आरोपी एजी पेरारिवलन के मामले में शीर्ष अदालत का पहले दिया गया फैसला, इस मामले में भी लागू होता है. राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषी नलिनी श्रीहरन, मुरुगन, संथन, एजी पेरारिवलन, जयकुमार, रॉबर्ट पायस और आरपी रविचंद्रन हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में यह सुनिश्चित करने की मांग की गई थी कि राष्ट्र गीत ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ के समान सम्मानित दर्जा दिया जाए. कहा गया है कि राष्ट्र गीत के लिए किसी भी दिशा-निर्देश का अभाव होने से यह ‘असभ्य तरीके’ से गाया जा रहा है और फिल्मों तथा पार्टियों में इसका दुरुपयोग किया जा रहा है.
स्कूल की प्रिंसिपल और इसे चलाने वाली गुजरात एजुकेशन सोसाइटी को भेजे गए पत्र में पूर्व छात्रों ने कहा है कि ध्रुवीकरण के मौजूदा माहौल में उनके जैसे राजनीतिक व्यक्ति को आमंत्रित करने से स्कूल आलोचना का शिकार हो जाएगा और यह स्कूल के चरित्र को कमज़ोर करेगा, जो संविधान और बहुलवाद के लिए जाना जाता है.
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली के अपारदर्शी होने की बात दोहराते हुए कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम देश की सामूहिक इच्छा थी, जिससे सुप्रीम कोर्ट सहमत नहीं हुआ.
एक आयोजन में विभिन्न राज्यों के गृह मंत्रियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस के लिए 'एक राष्ट्र-एक वर्दी' नीति अपनाने के लिए भी कहा. साथ ही, उन्होंने कहा कि देश के युवाओं को गुमराह होने से रोकने के लिए नक्सलवाद के हर स्वरूप को उखाड़ फेंकना होगा, वह चाहे बंदूक का हो या फिर कलम का.
लखनऊ में हुए एक कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ ने कहा कि हर दिन भारतीय संविधान पर हमला हो रहा है और इसकी रक्षा के लिए सभी राजनीतिक मोर्चों पर लड़ने का समय आ गया है.
सुप्रीम कोर्ट आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले के ख़िलाफ़ दायर याचिकाएं सुन रहा था जिसमें कहा गया था कि टैक्स छूट के लिए किसी संस्था की गतिविधियों की जांच की ज़रूरत होगी. शीर्ष अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि कोई चैरिटेबल संस्थान को आयकर राहत तब मिलेगी जब वह किसी लाभकारी गतिविधि में संलग्न न हो.
केंद्रीय क़ानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि न्यायाधीशों का आधा समय और दिमाग़ यह तय करने में लगा रहता है कि अगला न्यायाधीश कौन होगा. उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रकार मीडिया पर निगरानी के लिए भारतीय प्रेस परिषद है, ठीक उसी प्रकार न्यायपालिका पर निगरानी की एक व्यवस्था होनी चाहिए.
नई दिल्ली में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अधिक समावेशी और सुलभ क़ानूनी पेशे की वकालत की और छात्रों से इसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करने को कहा.
बीते 10 अक्टूबर को झारखंड की लातेहार ज़िला स्थित दीवानी अदालत का टाना भगत आदिवासी समुदाय द्वारा कथित तौर पर घेराव करने के साथ और प्रधान न्यायाधीश के चेंबर को कई घंटों तक बंद रखा गया था. प्रदर्शनकारियों ने दावा किया था कि संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत अदालत का परिचालन और बाहरी लोगों के रोज़गार एवं प्रवेश पर रोक है. पुलिस ने इस मामले में 30 आदिवासियों को गिरफ़्तार किया है.
सुप्रीम कोर्ट में अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 लोगों के किसी भी वर्ग के सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है और यह संविधान की मूलभूत विशेषताओं पर आधारित है, जो संशोधन योग्य नहीं हैं.
छत्तीसगढ़ के विभिन्न ज़िलों के हज़ारों आदिवासी केंद्र द्वारा लाए गए वन संरक्षण नियमों के साथ ही राज्य सरकार के पेसा नियमों को वापस लेने और राज्य में 32 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं.