इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार को प्रदेश के सर्वाधिक प्रभावित पांच शहरों- इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर नगर और गोरखपुर में 26 अप्रैल, 2021 तक के लिए लॉकडाउन लगाने का निर्देश दिया था. सरकार ने ऐसा करने से इनकार करते हुए कहा है कि इस बारे में सख़्त कदम उठाए जा रहे हैं.
उत्तराखंड में तेज़ी से बढ़ रहे संक्रमण के मामलों के बीच हरिद्वार में पतंजलि योग ग्राम में 20, पतंजलि योगपीठ में 10 और आचार्यकुलम में नौ लोगों की रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है. इससे पहले पिछले सप्ताह योगपीठ में पांच लोग कोरोना संक्रमित मिले थे.
कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार पर रोक लगाने के लिए गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने घोषणा की थी कि कुंभ मेला में हिस्सा लेकर राज्य लौटने वाले लोगों को अपने शहरों एवं गांवों में जाने से पहले कोविड-19 की जांच करवानी होगी.
प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करने से पहले याद कर लें कि जिस समय वे कुंभ में जमावड़े से बचने की अपील कर रहे थे, उसी समय बंगाल में अपनी सभाओं में जनता को आमंत्रित कर रहे थे. क्या वह भीड़ संक्रमण से सुरक्षित है? क्या यह अधिकार प्रधानमंत्री, उनके गृह मंत्री को है कि वे कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका के बीच उस संक्रमण का पूरा इंतज़ाम करें? क्या यह राष्ट्रीय आपदा क़ानून के तहत अपराध नहीं है?
कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा है कि ऐसे समय में जब महामारी एक बार फ़िर पैर पसार चुकी है, तब केंद्र सरकार को उन किसानों और मज़दूरों की फ़िक्र करते हुए तत्काल प्रभाव से इस स्थिति से निपटना चाहिए, जिन्हें उसने पिछले साल लॉकडाउन लगाते हुए नज़रअंदाज़ कर दिया था.
मध्य प्रदेश के शहडोल मेडिकल कॉलेज की घटना. कॉलेज के डीन का कहना है कि कोरोना मरीज़ों की मौत ऑक्सीजन सप्लाई की कमी की वजह से हुई है या नहीं, अभी इसका पता नहीं लगाया जा सका है. मेडिकल शिक्षा मंत्री और शहडोल के ज़िलाधिकारी ने ऑक्सीजन की कमी से मौत की बात से इनकार किया है.
भोपाल शहर के सारे विश्राम घाट इन दिनों मृत देहों से पटे पड़े हैं. ढेर सारी एंबुलेंस मृत शरीरों को रखे अपनी बारी का इंतजार करती रहती हैं, चाहे भदभदा विश्राम घाट हो या सुभाष विश्राम घाट सब जगह इतनी देह आ रही हैं कि प्रबंधकों के चेहरे पर पसीना ही दिखता है.
पिछले हफ़्ते से वाराणसी नगर निगम के रिकॉर्ड और राज्य सरकार के आधिकारिक बुलेटिन के बीच गंभीर विसंगतियां नज़र आ रही हैं. बीते 13 अप्रैल को प्रशासन ने अपने कोरोना बुलेटिन में बताया कि वाराणसी में तीन मौतें हुई हैं, लेकिन नगर निगम के आंकड़े दर्शाते हैं कि हरिश्चंद्र घाट पर नौ कोरोना शवों को जलाया गया था.
दिल्ली, ओडिशा और मध्य प्रदेश सरकारों ने हरिद्वार में चल रहे कुंभ से लौट रहे लोगों के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट, क्वारंटीन और ज़िला प्रशासन को सूचित करने जैसे विभिन्न निर्देश दिए हैं. कुंभ में कोविड के बढ़ते जोखिम के बीच उत्तराखंड सरकार ने इसे सीमित करने की संभावना से इनकार किया है.
कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता तीरथ सिंह रावत ने कहा था कि कुंभ को मरकज़ से जोड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि मरकज एक कोठी की तरह की बंद जगह में हुआ था, जबकि कुंभ का क्षेत्र बहुत बड़ा, खुला हुआ और विशाल है. उन्होंने कहा था कि सबसे महत्वपूर्ण है कि कुंभ गंगा नदी के किनारे है. मां गंगा का आशीर्वाद यहां बह रहा है, इसलिए यहां कोरोना नहीं होना चाहिए.
उत्तर प्रदेश के भाजपा विधायक सुनील भराला का कहना है कि कुंभ की आस्था कोरोना वायरस से बहुत बड़ी है गंगा मां ही इस कोरोना का सर्वनाश करेंगी और पिछले साल निज़ामुद्दीन मरकज़ में जुटी भीड़ की तुलना कुंभ से नहीं की जानी चाहिए.
केंद्र के तीन विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शनकारी किसानों किसानों से कहा है कि वे मास्क पहनें और कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करें. मोर्चा ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि चुनावी रैलियों में वह कोरोना वायरस को नज़रअंदाज़ कर रही है.
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इससे पहले पिछले साल अगस्त माह में भी वह कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे. उन्होंने 12 मार्च को कोविड-19 टीके की पहली खुराक ली थी.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि 15 अप्रैल तक 13,614 नमूनों की जांच संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (डब्ल्यूजीएस) के लिए 10 नामित आईएनएसएसीओजी प्रयोगशालाओं में में की गई. इनमें से 1,189 नमूने सार्स-सीओवी-2 के चिंताजनक स्वरूपों से संक्रमित पाए गए. जिनमें ब्रिटिश स्वरूप के 1,109 नमूने, दक्षिण अफ्रीकी स्वरूप के 79 नमूने और ब्राजीलियाई स्वरूप का एक नमूने शामिल हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी ऐसे मामले को लेकर की, जहां तत्काल सुनवाई का आवेदन दायर किया गया था, जबकि ऐसी सुनवाई की ज़रूरत नहीं थी. अदालत ने कहा कि कई जज और कर्मचारी कोरोना संक्रमित हैं, ऐसे में वकीलों को आवेदन दायर करते समय और अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है.