एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 31 क्षेत्रीय पार्टियों को कुल 529.416 करोड़ रुपये की कुल आय हुई और उन्होंने 414.028 करोड़ रुपये अपने कुल ख़र्च घोषित किए हैं.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार को कुलपतियों का चयन करने का अधिकार नहीं होने के कारण उच्च शिक्षा पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है. पूर्व में राज्यपाल कुलपतियों का चयन करने से पहले राज्य सरकार से परामर्श करते थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ऐसा नहीं किया जा रहा.
केंद्र के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए सामान्य विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (सीयूईटी) आयोजित करने के निर्णय के ख़िलाफ़ पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि नीट की तरह यह भी विविध स्कूली शिक्षा प्रणालियों को दरकिनार कर देगा और छात्रों को प्रवेश परीक्षा के अंकों में सुधार के लिए कोचिंग सेंटरों पर निर्भर बना देगा.
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एमके करुणानिधि और अभिनेत्री डॉ. शर्मिला को निशाना बनाकर किए गए कई कथित अपमानजनक ट्वीट करने के लिए भाजपा की राज्य कार्यसमिति के सदस्य आर. कल्याणरमन के ख़िलाफ़ कई शिकायतें दर्ज की गईं. आपत्तिजनक टिप्पणियों के चलते उन्हें पहले भी दो बार गिरफ़्तार किया जा चुका है.
विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने से पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की तैयारी से संबंधित अपनी पहल को भी पूरी तरह से रोक देना चाहिए. नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित करने वाला तमिलनाडु देश का आठवां राज्य बन गया है.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सदन को बताया कि कृषि क़ानूनों की वापसी की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले किसानों और राजनीतिक दलों के नेताओं के ख़िलाफ़ राज्य में दर्ज किए गए सभी मामले वापस लिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि किसानों के हितों की रक्षा और खेती को बड़ी कंपनियों के क़ब्जे़ में जाने से रोकने के लिए केंद्र को इन क़ानूनों को वापस लेना चाहिए.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि विधानसभा के आगामी बजट सत्र में केंद्र के कृषि क़ानून एवं सीएए के विरूद्ध प्रस्ताव पारित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र ने जब ये तीनों कृषि क़ानून बनाए तब से द्रमुक ने उन्हें वापस लेने की मांग की है, क्योंकि ये किसानों के हितों के ख़िलाफ़ हैं. इसी तरह सीएए ने देशभर के अल्पसंख्यक समुदायों के हितों को प्रभावित किया है और उनके बीच डर फैल गया है.
पश्चिम बंगाल के चुनाव के नतीजों की कई व्याख्याएं हो सकती हैं, और होनी भी चाहिए. लेकिन हर व्याख्या की शुरुआत यहीं से करनी होगी कि पश्चिम बंगाल के मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी की एक नहीं सुनी.
पुदुचेरी विधानसभा चुनाव में एन. रंगासामी के नेतृत्व वाली एनआर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. कांग्रेस के पूर्व नेता रंगासामी ने वर्ष 2011 में इस पार्टी की स्थापना की. उन्होंने यह क़दम केंद्र शासित प्रदेश के तत्कालीन लोकसभा सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी की कथित शिकायत पर कांग्रेस द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद उठाया था.
तमिननाडु की राजधानी चेन्नई स्थिति राजभवन में डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन के अलावा 34 मंत्रियों ने भी शपथ ली. स्टालिन ने दुरईमुरुगन जैसे वरिष्ठ नेताओं को अपने मंत्रिमंडल में बरक़रार रखा है, साथ ही 15 सदस्य पहली बार मंत्री बनेंगे.
तमिलनाडु में एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक ने 10 साल बाद सत्ता में वापसी की है. द्रमुक को राज्य की 234 विधानसभा सीटों में से जहां 133 सीटों पर जीत मिली तो सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक सिर्फ़ 76 सीटें जीतने में सफल हो सकी. अन्नाद्रमुक की सहयोगी भाजपा को सिर्फ चार सीटों से संतोष करना पड़ा.
पुदुचेरी की 30 विधानसभा सीटों में से एनआर कांग्रेस की अगुवाई में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 16 सीटों पर जीत हासिल की है. इस केंद्रशासित प्रदेश में सरकार बनाने के लिए विधानसभा में 16 विधायकों का समर्थन चाहिए. पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख एन. रंगासामी के नेतृत्व में एनआर कांग्रेस को 10 सीटों पर जीत मिली है.
माकपा की केंद्रीय समिति ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ तालमेल के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है. माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि माकपा तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा होगी और असम में कांग्रेस समेत सभी धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ सहयोग करते हुए चुनाव लड़ेगी.
कांग्रेस ने खुशबू सुंदर को तत्काल प्रभाव से पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद से हटा दिया था, जिसके बाद सोमवार तड़के ही उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.
बीते दिनों आयुष मंत्रालय के एक राष्ट्रीय प्रशिक्षण सत्र में आयुष सचिव राजेश कोटेचा ने कहा था कि जो प्रतिभागी हिंदी नहीं बोलते वे छोड़कर जा सकते हैं क्योंकि वह अच्छी तरह से अंग्रेज़ी नहीं बोल सकते. उनके बयान की तमिलनाडु के नेताओं ने तीखी आलोचना करते हुए उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की मांग की है.