पिछले हफ़्ते में महाराष्ट्र के पुणे में एल्गार परिषद के कार्यक्रम में एक भाषण के संबंध में पुणे में केस दर्ज होने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र शरजील उस्मानी के ख़िलाफ़ यूपी पुलिस ने लखनऊ में केस दर्ज किया है. उन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने का भी आरोप लगा है.
विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त 83 वर्ष के फादर स्टेन स्वामी को एल्गार परिषद मामले में गिरफ़्तार किया गया था. उनकी ज़मानत का विरोध करते हुए जिस पीसीयूएल को 'माओवादी' बताया गया, उसकी स्थापना समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण ने की थी और भाजपा के रविशंकर प्रसाद और अरुण जेटली इससे जुड़े रहे हैं.
यह कार्यक्रम शुरुआत में 31 दिसंबर 2020 को होना था, लेकिन पुलिस द्वारा मंजूरी नहीं दिए जाने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था. 2017 में भीमा-कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरे होने के मौके पर एल्गार परिषद कार्यक्रम का आयोजन 31 दिसंबर को पुणे के शनिवारवाड़ा में किया गया था. इसके अगले दिन यहां हिंसा भड़क उठी थी.
यूं तो बेटियां मांओं से बहुत जुड़ी होती ही हैं, मगर सुधा भारद्वाज की बेटी होना कोई आसान नहीं. बिना किसी अपराध के ढाई साल से ऊपर हुए मां जेल में है और बाहर मायशा अलग लड़ाई लड़ रही है.
मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि मैरी लॉलर एक ऑनलाइन कार्यक्रम में एल्गार परिषद मामले में हुई 83 वर्षीय स्टेन स्वामी की गिरफ़्तारी पर चिंता जताते हुए कहा कि देश मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति जवाबदेह है.
एल्गार परिषद मामले में जेल में बंद कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा, हेनी बाबू और सुधा भारद्वाज ने कहा है कि पिछले कई महीने से परिवार द्वारा भेजी जा रहीं किताबें उन्हें नहीं मिल रही हैं. हालांकि जेल प्रशासन ने इन आरोपों को ख़ारिज किया है.
एल्गार परिषद मामले में एनआईए ने इन पैरोडी गीतों के अलावा साल 2011 और 2012 के कुछ साक्ष्यों के आधार पर दावा किया है कि संगठन के कार्यकर्ता फ़रार नक्सली नेता मिलिंद तेलतुम्बड़े के संपर्क में थे.
भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा का चश्मा महाराष्ट्र की तलोजा जेल से चोरी हो गया था. उनके परिवार ने डाक के माध्यम से नया चश्मा भेजा था, जिसे जेल अधिकारियों ने वापस कर दिया था.
मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को इस साल अप्रैल में कथित तौर पर भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले से जुड़े होने के संबंध में गिरफ़्तार किया गया था. उनकी पार्टनर का कहना है कि डाक के माध्यम से उन्होंने महाराष्ट्र की तलोजा जेल में उनका चश्मा भेजा था, लेकिन जेल अधिकारियों ने उसे वापस लौटा दिया.
एनआईए ने एल्गार परिषद मामले में माओवादियों से संबंध के आरोप में सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को रांची से गिरफ़्तार किया था. स्वामी ने ज़ब्त किए गए अपने स्ट्रॉ और सिपर को लौटाने के लिए अदालत में याचिका दायर की थी. पार्किंसन बीमारी की वजह से उनके हाथ हिलने से उन्हें खाने और पीने में दिक्कत होती है.
केंद्र सरकार द्वारा स्टेन स्वामी सहित देश के 16 सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार करना आंदोलनरत जनसंगठनों और उनसे जुड़े नेताओं को भयभीत कर इन आंदोलनों को कमज़ोर करने की कोशिश है.
एल्गार परिषद मामले में दायर तीसरी चार्जशीट में एनआईए ने कहा है कि आरोपियों ने 'जंगलों में जाकर हथियार चलाने की ट्रेनिंग' ली थी. अपने आरोपपत्र में एनआईए ने पुणे पुलिस द्वारा 'प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश रचने' के दावे को तवज्जो नहीं दी है.
एनआईए ने एल्गार परिषद मामले में 83 वर्षीय स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को रांची से गिरफ़्तार किया था. एनआईए ने उनकी याचिका के जवाब में कहा है कि वे कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति की आड़ में ज़मानत मांगकर स्थिति का अनुचित लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं.
हमारे देश और राज्य को सुरक्षित रखने के नाम पर अगर स्टेन स्वामी को क़ैद में डाला जा सकता है तो क्या हम ख़ुद को आज़ाद कहलाने के क़ाबिल रह गए हैं?
एनआईए ने भीमा-कोरेगांव मामले में 83 वर्षीय स्टेन स्वामी को आठ अक्टूबर को झारखंड के रांची स्थित उनके घर से गिरफ़्तार किया था. उन पर भाकपा (माओवादी) के साथ संबंध होने का आरोप लगाया गया है.