टीवी न्यूज़ चैनलों को बेहतर अनुशासन की ज़रूरत: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने वाली एनबीडीए की याचिका सुन रही है, जिसमें टीवी चैनलों के स्व-नियमन के अप्रभावी होने के बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चैनलों के लिए स्व-नियामक तंत्र सख़्त होना चाहिए, साथ ही उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए. 

रज़ा का मरणोत्तर कला-जीवन उनके भौतिक जीवन से कहीं बड़ा और लंबा होने जा रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: रज़ा के देहावसान को सात बरस हो गए. इन सात बरसों में उनकी कला की समझ-पहचान और व्याप्ति उनके मातृदेश के अलावा संसार भर में बहुत बढ़ी है. 

जगदीश स्वामीनाथन की कला आधुनिकता का प्रसन्न क्षण है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: जगदीश स्वामीनाथन जैसे आद्यरूपकों का सहारा लेते हुए अपना अद्वितीय आकाश रचते थे, उसके पीछे सक्रिय दृष्टि को महाकाव्यात्मक ही कहा जा सकता है, लेकिन उसमें गीतिपरक सघनता भी हैं. जैसे कविता में शब्द गुरुत्वाकर्षण शक्ति से मुक्त होते हैं, वैसे ही उनके चित्रों में आकार गुरुत्व से मुक्त होते हैं.

भारतीय मानस में पश्चिम के समावेशन का उपनिवेशन में बदलना आज़ादी के 75 वर्ष बाद भी ख़त्म नहीं हुआ

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हम स्वतंत्रता के पहले सर्जनात्मक और बौद्धिक रूप से अधिक स्वतंत्र थे और स्वतंत्रता के बाद पश्चिम के अधिक ग़ुलाम होते गए हैं.

बोलने और अभिव्यक्ति की आज़ादी से जुड़ा कोई भी मामला बेहद ज़रूरी: बॉम्बे हाईकोर्ट

स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में आईटी नियम, 2021 में किए गए हालिया संशोधनों को चुनौती दी है, जो सरकार को उसके द्वारा 'फ़र्ज़ी' क़रार दी गई सामग्री को सोशल मीडिया से हटवाने का अधिकार देते हैं. इसे सुनते हुए जस्टिस गौतम पटेल ने कहा कि किसी बात या बयान की कई व्याख्याएं हो सकती हैं, लेकिन इससे यह ग़लत या फ़र्ज़ी नहीं हो जाती.

मंडला की पहचान अब सतत प्रवाहमान नर्मदा के साथ रज़ा से भी बन रही है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: मध्य प्रदेश के मंडला में चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की स्मृति में ज़िला प्रशासन द्वारा बनाई गई कला वीथिका क्षेत्र के एकमात्र संस्कृति केंद्र के रूप में उभर रही है.

कुछ लोगों के लिए सोशल मीडिया उनकी निरंकुश भावनाओं के लिए अनियंत्रित ‘खेल का मैदान’ है: कोर्ट

केरल हाईकोर्ट ने एक पूर्व न्यायिक अधिकारी की सोशल मीडिया पोस्ट का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की. इस पूर्व न्यायिक अधिकारी ने प्राचीन वस्तुओं के एक स्वयंभू विक्रेता के ख़िलाफ़ जांच के सिलसिले में न्यायालय के आदेशों के बारे में अमर्यादित और कटु टिप्पणी की थी.

भावनाओं के तांडव पर इतनी महाभारत क्यों?

वीडियो: हाल में रिलीज़ हुईं कुछ वेब सीरीज़- तांडव, अ सूटेबल बॉय, पाताल लोक, आश्रम वगैरह को लेकर हुए विवाद से लगता है कि कलाएं, जिन्हें अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण माना जाता है, उनकी किसी भी बात को आधार बनाकर विवाद खड़ा कर देना सबसे आसान है.