मीडिया मंचों के ख़िलाफ़ एकपक्षीय निषेधाज्ञा अपवाद होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने ब्लूमबर्ग-ज़ी मामले की सुनवाई में कहा कि किसी लेख के प्रकाशन के ख़िलाफ़ ट्रायल से पहले निषेधाज्ञा देने से लेखक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जनता के जानने के अधिकार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.

बोलने की आज़ादी तब है, जब बिना किसी डर के सरकार की आलोचना की जा सके: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल क्षेत्र के लहार निर्वाचन क्षेत्र में चुनावों पर संदेह व्यक्त करने वाले पत्रकार के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि लोकतंत्र का लक्ष्य बहुलवादी और सहिष्णु समाज बनाना है. इसे सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए नागरिकों को स्वतंत्र रूप से बोलने में सक्षम होना चाहिए.

एडिटर्स गिल्ड ने केंद्र से कहा- प्रसारण सेवा विधेयक ​‘अत्यधिक हस्तक्षेप​’ करने वाला है

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखकर कहा है कि नया विधेयक ​‘संविधान द्वारा गारंटीकृत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता की भावना के प्रतिकूल​’ साबित होगा. गिल्ड को डर है कि विधेयक प्रसारण सलाहकार परिषद के माध्यम से ​‘व्यापक सेंसरशिप ढांचे​’ के निर्माण के लिए आधार तैयार करेगा.

अभिव्यक्ति की आज़ादी की आड़ में भड़काने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे: जम्मू कश्मीर डीजीपी

जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक आरआर स्वैन ने कहा है कि हम उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे जो लोगों को भड़काने के लिए भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पीछे छिपते हैं. उनकी यह टिप्पणी जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट द्वारा पत्रकार फहद शाह को ज़मानत दिए जाने के अगले दिन आई है.

डिजिटल उपकरणों की ज़ब्ती हो या स्पायवेयर से सुरक्षा, सार्थक क़ानूनी प्रक्रिया वक़्त की ज़रूरत है

किसी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से असल में क्या चाहिए और इसे मांगने का कारण स्पष्ट रूप से लिखित रूप में बताया जाना चाहिए. हालांकि, भारत में पुलिस या एजेंसियों द्वारा ऐसी किसी प्रणाली का पालन नहीं किया जाता है.

पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लंबे समय तक ज़ब्त रखना प्रेस की स्वतंत्रता पर आघात: अदालत

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन सिंह राजावत ने निचली अदालत के आदेश को बरक़रार रखते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें दिल्ली पुलिस को द वायर के कर्मचारियों से ज़ब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को वापस करने के लिए कहा गया था. भाजपा के एक नेता द्वारा द वायर के ख़िलाफ़ शिकायत के बाद अक्टूबर 2022 में पुलिस ने इन उपकरणों को ज़ब्त किया था.

टीवी न्यूज़ चैनलों को बेहतर अनुशासन की ज़रूरत: सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती देने वाली एनबीडीए की याचिका सुन रही है, जिसमें टीवी चैनलों के स्व-नियमन के अप्रभावी होने के बारे में प्रतिकूल टिप्पणियां की गई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चैनलों के लिए स्व-नियामक तंत्र सख़्त होना चाहिए, साथ ही उनकी अभिव्यक्ति की आज़ादी के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए. 

भारतीय विज्ञान संस्थान ने सांप्रदायिक सद्भाव पर तीस्ता सीतलवाड़ की सभा को ‘अनुमति’ नहीं दी

बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान द्वारा ‘सांप्रदायिक सद्भाव और न्याय’ विषय पर नागरिक अधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की बातचीत को सभागार में अनुमति न दिए जाने के बाद उन्होंने परिसर की एक कैंटीन के बाहर छात्रों और फैकल्टी सदस्यों की सभा को संबोधित किया.

डेटा संरक्षण क़ानून की ख़ामियों पर विचार करना ज़रूरी है

डिजिटल निजी डेटा सुरक्षा (डीपीडीपी) विधेयक का वह संस्करण जिसे कैबिनेट की मंज़ूरी मिली है, सार्वजनिक डोमेन में नहीं है. फिर भी यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि क़ानून में वो ख़ामियां न हों, जो पिछले मसौदे में थीं.

बेंगलुरु: आईआईएससी में यूएपीए पर चर्चा रद्द होने के बाद विरोध में उतरे वैज्ञानिक और शिक्षाविद

बीते 28 जून को बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान में छात्र कार्यकर्ताओं- नताशा नरवाल और देवांगना कलीता की अगुवाई में 'यूएपीए, जेल और आपराधिक न्याय प्रणाली' पर चर्चा को अंतिम समय पर रद्द कर दिया गया. 

इंदिरा गांधी नरेंद्र मोदी जितनी ‘भाग्यशाली’ होतीं, तो उन्हें इमरजेंसी की ज़रूरत नहीं पड़ती!

इंदिरा गांधी यदि नरेंद्र मोदी की तरह बिना आपातकाल वैसे हालात पैदाकर लोकतांत्रिक व संवैधानिक संस्थाओं के क्षरण को अंजाम दे सकतीं, तो भला आपातकाल का ऐलान क्यों करातीं?

कुणाल कामरा की याचिका पर केंद्र ने कहा- व्यंग्य या किसी राय को नहीं हटाएगी फैक्ट-चेक इकाई

हाल ही में अधिसूचित नए आईटी नियम कहते हैं कि गूगल, फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया कंपनियां सरकारी फैक्ट-चेक इकाई द्वारा ‘फ़र्ज़ी या भ्रामक’ बताई सामग्री हटाने के लिए बाध्य होंगी. सरकार ने इसके ख़िलाफ़ बॉम्बे हाईकोर्ट में दर्ज स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा की याचिका ख़ारिज करने की मांग की है.

सरकारी फैक्ट-चेकिंग के ख़िलाफ़ कुणाल कामरा की याचिका और अभिव्यक्ति की आज़ादी का सवाल

इस महीने की शुरुआत में अधिसूचित नए आईटी नियम कहते हैं कि सरकारी फैक्ट-चेक इकाई द्वारा ‘फ़र्ज़ी या भ्रामक’ क़रार दी गई सामग्री को गूगल, फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया कंपनियों और इंटरनेट सेवा प्रदाता को हटाना ही होगा. स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने इसके ख़िलाफ़ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.

सरकार की नई फैक्ट-चेक इकाई में दो ‘विशेषज्ञ’ और दो सरकारी प्रतिनिधि होंगे: रिपोर्ट

इस महीने की शुरुआत में अधिसूचित नए आईटी नियम कहते हैं कि सरकारी फैक्ट-चेक इकाई द्वारा ‘फ़र्ज़ी या भ्रामक’ क़रार दी गई सामग्री को गूगल, फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया कंपनियों और इंटरनेट सेवा प्रदाता को हटाना ही होगा. इन नियमों को सेंसरशिप बताते हुए इनकी व्यापक आलोचना की गई है.

बोलने और अभिव्यक्ति की आज़ादी से जुड़ा कोई भी मामला बेहद ज़रूरी: बॉम्बे हाईकोर्ट

स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में आईटी नियम, 2021 में किए गए हालिया संशोधनों को चुनौती दी है, जो सरकार को उसके द्वारा 'फ़र्ज़ी' क़रार दी गई सामग्री को सोशल मीडिया से हटवाने का अधिकार देते हैं. इसे सुनते हुए जस्टिस गौतम पटेल ने कहा कि किसी बात या बयान की कई व्याख्याएं हो सकती हैं, लेकिन इससे यह ग़लत या फ़र्ज़ी नहीं हो जाती.

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