सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि ये सभी लेख सरकारी अधिकारियों या केंद्रीय मंत्रियों द्वारा लिखे गए थे. इन लेखों में उन्होंने जी-20 के लक्ष्यों के अनुरूप सरकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला था, मोदी की प्रशंसा की थी और जी-20 की अध्यक्षता करने के लिए भारत के महत्व को समझाया था.
घटना सात अक्टूबर को राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले के प्रेमपुरा इलाके में हुई. कथित प्रेम संबध को लेकर दलित युवक की पीट-पीट कर हत्या की गई. पुलिस ने महिला के पूर्व पति समेत अन्य आरोपियों के ख़िलाफ़ हत्या, अपहरण और एससी/एसटी क़ानून के तहत मामला दर्ज किया है.
पिछले साल दो अक्टूबर को स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तक नल से पानी पहुंचाने के लिए 100 दिन के अभियान की शुरुआत की गई थी. यह अभियान जल जीवन मिशन का हिस्सा था. हालांकि 100 दिवसीय अभियान शुरू करने के 10 महीने बाद भी सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हो सकी है.
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में 10 गांवों को विस्थापित किया जाना है. ग्रामीणों का कहना है कि पहले से ही तमाम बुनियादी सुविधाओं के बिना चल रही उनकी ज़िंदगी को यह प्रोजेक्ट यातनागृह में तब्दील कर देगा. उन्हें यह डर भी है कि तमाम अन्य परियोजनाओं की तरह उन्हें उचित मुआवज़ा नहीं मिलेगा.
दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि केंद्र ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत जल बंटवारे के समाधान के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की कई ऐसी शर्तों को स्वीकार किया है, जिसके चलते अतिरिक्त संरचनाओं का निर्माण करना होगा. नतीजतन कुल लागत में बढ़ोतरी होगी और सरकार ने जिस लाभ का दावा किया है, वह झूठा साबित होगा.
द वायर को प्राप्त दस्तावेज़ों के अनुसार, जल शक्ति मंत्रालय के पूर्व सचिव यूपी सिंह ने केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के तहत मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की पानी की ज़रूरतों की आपूर्ति के लिए तैयार प्रावधानों पर सहमति नहीं जताई थी. उनका कहना था यदि इसे लागू किया गया तो परियोजना दूसरी दिशा में चली जाएगी और लागत काफी बढ़ जाएगी.
विवादित केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के समझौते को अंतिम रूप देते समय केन नदी में जल की मात्रा का पता लगाने के लिए नया अध्ययन कर आंकड़ों को अपडेट करने की ज़रूरत महसूस की गई. लेकिन एक अधिकारी के निर्देश पर पुराने डेटा को बरक़रार रखा गया और अंत में इसी आधार पर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने क़रार पर दस्तख़त कर दिए.
द वायर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि केन-बेतवा प्रोजेक्ट के तहत सरकार जितनी ज़मीन प्रतिपूरक वनीकरण के रूप में दिखा रही है, उसमें से भी काफ़ी स्थानीय निवासियों की निजी भूमि है.
बीते मार्च महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच विवादित केन-बेतवा लिंक परियोजना संबंधी क़रार पर दस्तख़त किए गए. सुप्रीम कोर्ट की एक समिति ने इस पर गंभीर सवाल उठाए थे, हालांकि दस्तावेज़ दर्शाते हैं कि मोदी सरकार ने इन्हें नज़रअंदाज़ किया.
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कांग्रेस नेताओं के बीच लीक हुई फोन बातचीत से राजस्थान में पैदा हुए सियासी उठापटक और अवैध फोन टैप के आरोपों के आठ महीने बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने दो हफ़्ते पहले फोन टैपिंग की पुष्टि की थी.
राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि लोकसभा चुनाव में क़रीबियों को टिकट न मिलने और विरोधियों को टिकट दिए जाने से वसुंधरा राजे नाराज़ चल रही हैं.
भाजपा की ओर से जारी 131 उम्मीदवारों की पहली सूची में दो मंत्रियों सहित महज़ 23 विधायकों का टिकट कटा है जबकि अमित शाह एंटीइनकम्बेंसी से निपटने के लिए आधे से ज़्यादा मौजूदा विधायकों की जगह नए चेहरों को मैदान में उतारना चाहते थे.
अमित शाह आधे से ज़्यादा विधायकों का टिकट काटना चाहते हैं जबकि वसुंधरा राजे 80 फीसदी से ज़्यादा विधायकों को फिर से टिकट देने के पक्ष में हैं. इस रस्साकशी में शाह के साथ पूरी टीम है जबकि राजे अकेली जद्दोजहद कर रही हैं.
नरेंद्र मोदी और अमित शाह केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस नाम पर सहमत नहीं थीं. अशोक परनामी के इस्तीफ़ा देने के बाद ढाई महीने से ख़ाली था पद.