दिल्ली के धुएं और घुटन में हिस्सेदारी का सवाल

पर्यावरण क्षरण और जलवायु आपदाओं को ग्लोबल कहने से यह राय बनती है कि वे सभी को समान रूप से प्रभावित करती हैं, पर सच्चाई ये है कि जलवायु आपदाओं का सार्वभौमिक चरित्र है कि वे उसके दोषी पक्ष को अक्सर कम तथा निर्दोष सामान्यजन को अधिक प्रभावित करती हैं.

हिमाचल प्रदेश: क्या जलवायु परिवर्तन कुल्लू के सेबों की मिठास चुरा रहा है?

वीडियो: कृषि की बात के इस एपिसोड में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू क्षेत्र में 'क्लाइमेट चेंज' यानी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की बात की गई है. कुल्लू घाटी के सुदूर गांवों के किसानों से जाना गया कि सेब का उत्पादन मौसम में हो रहे बदलावों से कैसे प्रभावित हो रहा है.

ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कटौती करना ज़रूरी, 2030 के बाद कोई लाभ नहीं होगा: आईपीसीसी रिपोर्ट

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अगले कुछ सालों में ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कटौती को लेकर कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं किया गया तो 2030 के बाद जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए उठाया गया कोई भी क़दम वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा. ग्रीनहाउस गैस वातावरण में गर्मी को बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार होती हैं.

भारत ने सुरक्षा परिषद में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा संबंधी प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोट किया

भारत ने इस क़दम का विरोध करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन पर चर्चा का उचित मंच ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन’ यानी यूएनएफसीसीसी है, न कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद. भारत के अलावा वीटो का अधिकार रखने वाले रूस ने इस प्रस्ताव के विपक्ष में वोट किया, जबकि चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया.

बढ़ते समुद्र, घटते ग्लेशियर; लगभग 100 प्रतिशत ग्लोबल वार्मिंग का कारण इंसान: यूएन जलवायु समिति

जलवायु परिवर्तन पर आई आईपीसीसी की हालिया रिपोर्ट बताती है कि अगर पृथ्वी के जलवायु को जल्द स्थिर कर दिया जाए, तब भी जलवायु परिवर्तन के कारण जो क्षति हो चुकी है, उसे सदियों तक भी ठीक नहीं किया जा सकेगा. आईपीसीसी इस बात की पुष्टि करता है कि 1950 के बाद से अधिकांश भूमि क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी, हीटवेव और भारी बारिश भी लगातार और तीव्र हो गई है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे ‘मानवता के लिए कोड रेड’ क़रार

भारत में 50 साल में प्रचंड गर्मी से 17,000 से अधिक लोगों की मौत: अध्ययन

देश के शीर्ष मौसम वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित शोध पत्र में कहा गया है कि लू अति प्रतिकूल मौसमी घटनाओं में से एक है. अध्ययन के मुताबिक, 1971-2019 में ऐसी ने 141,308 लोगों की जान ली है. इनमें से 17,362 लोगों की मौत लू की वजह से हुई है. लू से अधिकतर मौत आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा में हुईं.

क्या भारत जलवायु परिवर्तन से जुड़े आगामी संकट के लिए तैयार है

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा जारी जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट में इस बारे में विभिन्न पहलुओं को लेकर होने वाले बदलावों का आकलन किया गया है. हालांकि पर्यावरणविद मानते हैं कि इसमें कई महत्वपूर्ण बातें शामिल नहीं की गई हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को संबोधित करते हुए स्वच्छता, स्वास्थ्य बीमा, बैंक खातों, आतंकवाद, जन कल्याण, पर्यावरण जैसे मुद्दों पर बात की. यह संयुक्त राष्ट्र में मोदी का दूसरा संबोधन था.

ऑस्ट्रेलिया: अडानी खनन परियोजना के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शन को कवर करने गए कई पत्रकार गिरफ़्तार

ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्वीन्सलैंड के कारमाइल कोयला खदान में खनन के लिए अडानी को जून में मंजूरी मिली थी. यहां खनन को लेकर विवाद है क्योंकि इस खदान के निकट ही ग्रेट बैरियर रीफ है, जहां दुनिया की सबसे बड़ी मूंगे की चट्टानें हैं.

जलवायु परिवर्तन के दायरे में दुग्ध उत्पादन भी, नहीं संभले तो अगले साल तक दिखने लगेगा असर

भाजपा सांसद मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 तक चावल के उत्पादन में चार से छह प्रतिशत, आलू में 11 प्रतिशत, मक्का में 18 प्रतिशत और सरसों के उत्पादन में दो प्रतिशत तक की कमी संभावित है. इसके अलावा एक डिग्री सेल्सियस तक तापमान वृद्धि के साथ गेंहू की उपज में 60 लाख टन तक कमी आ सकती है.

जलवायु परिवर्तन से कृषि पर पड़ रहा बुरा प्रभाव, 23 प्रतिशत तक कम हो सकता है गेहूं का उत्पादन

विशेष रिपोर्ट: कृषि मंत्रालय ने वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसद की प्राक्कलन समिति को बताया कि अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, सरसों जैसी फसलों पर जलवायु परिवर्तन का काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है. समिति ने इस समस्या को हल करने के लिए सरकार की कोशिशों को नाकाफी बताया है.

ऑस्ट्रेलिया के कई शहरों में अडाणी के कोलमाइन प्रोजक्ट के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरे छात्र-छात्राएं

ऑस्ट्रेलिया में भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी का माइनिंग प्रोजेक्ट विवादों के घेरे में है. सामाजिक संगठन और पर्यावरणविद इस परियोजना के ख़िलाफ़ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

आख़िर विदेशी मीडिया ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की अनदेखी क्यों की?

विश्व आर्थिक मंच की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो कुछ कहा वो सब वे तीन साल से बोल रहे हैं. आपको बुरा लगेगा लेकिन आप प्रधानमंत्री के भाषण में भारत की व्याख्या देखेंगे तो वह दसवीं कक्षा के निबंध से ज़्यादा का नहीं है.

अडाणी की कोयला खान परियोजना के ख़िलाफ़ आॅस्ट्रेलिया में कई स्थानों पर प्रदर्शन

आॅस्ट्रेलिया में 16.5 अरब डॉलर की कारमाइकल कोयला खान परियोजना के ख़िलाफ़ सिडनी, ब्रिसबेन, मेलबर्न, उत्तरी क्वींसलैंड में हज़ारों लोग सड़कों पर उतरे और रैलियां निकालीं.