देश में सभी उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 1,114 है, जिसमें 29.4% पद खाली पड़े हैं. केवल पांच उच्च न्यायालयों- इलाहाबाद, पंजाब और हरियाणा, गुजरात, बॉम्बे और कलकत्ता में 1 अप्रैल तक 171 रिक्तियां थीं, जो कुल रिक्तियों का 52% से अधिक है.
गुजरात हाईकोर्ट ने सोशल मीडिया पोस्ट के बाद उन मीडिया रिपोर्ट्स पर स्वत: संज्ञान लिया था जिनमें परिसर में एक छात्रा से बलात्कार और एक समलैंगिक छात्र के यौन उत्पीड़न के बारे में बताया गया था. हाईकोर्ट ने घटनाओं के लिए संस्थान को दोषी ठहराते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों की आवाज़ दबाने में शामिल था.
बीते 23 अक्टूबर को गुजरात हाईकोर्ट के वरिष्ठतम जजों में से एक जस्टिस बीरेन वैष्णव ने कर मामलों की सुनवाई में मतभेद ज़ाहिर करने पर सहयोगी जस्टिस मौना भट्ट को फटकार लगाई थी. कार्यवाही के एक वीडियो क्लिप के सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा होने के बाद कोर्ट ने अब इसे अपने आर्काइव से हटा दिया है.
गुजरात हाईकोर्ट ने अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा और अन्य पहलुओं को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल में राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि निजी अस्पतालों में आईसीयू भूतल पर स्थित होने चाहिए और अस्पतालों के आगे के हिस्सों में लगे कांच को हटाया जाना चाहिए.
गुजरात हाईकोर्ट ने 24 जून 2021 को आसाराम के बेटे नारायण साई को दो हफ्तों के लिए फर्लो दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त में इस पर रोक लगा दी थी, जिसे राज्य ने चुनौती दी थी. सूरत की दो बहनों द्वारा नारायण साई के ख़िलाफ़ दर्ज मामले में अदालत ने 2019 में साई को बलात्कार दोषी ठहराते हुए उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी.
गुजरात सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए धार्मिक स्वतंत्रता संशोधन क़ानून, 2021 की कुछ धाराओं पर हाईकोर्ट ने बीते दिनों रोक लगा दी थी. इसमें संशोधन के लिए सरकार ने अर्ज़ी दी थी. इस पर राज्य के गृह और कानून मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने कहा कि लव जिहाद विरोधी क़ानून को बेटियों से दुर्व्यवहार करने वाली जिहादी ताक़तों को नष्ट करने के लिए एक हथियार के रूप में लाया गया था. राज्य सरकार हाईकोर्ट के आदेश को
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की गुजरात इकाई ने गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम 2021 के ख़िलाफ़ याचिका दायर की है. उनकी ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने मामले की वर्चुअल सुनवाई के दौरान कहा कि संशोधित क़ानून में अस्पष्ट शर्तें हैं, जो विवाह के मूल सिद्धांतों और संविधान के अनुच्छेद 25 में निहित धर्म के प्रचार, आस्था और अभ्यास के अधिकार के ख़िलाफ़ है.
गुजरात हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोरोना वायरस की ख़राब स्थिति को देखते हुए राज्य को अपनी पूरी मशीनरी को दुरुस्त करने की ज़रूरत है. साथ ही अदालत ने राज्य के सभी सिविल अस्पतालों से भी मौजूदा स्थिति को लेकर विस्तृत रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है.
गुजरात सरकार द्वारा हाईकोर्ट में दिए हलफ़नामे में कहा गया है कि कोविड टेस्टिंग को मोटे तौर पर संविधान में बताए गए बुनियादी अधिकारों में रखा जा सकता है, लेकिन इस पर वाज़िब प्रतिबंध हो सकते हैं. इसके विरोध में न्यायमित्र बृजेश त्रिवेदी का कहना है कि सरकार के पास किसी को टेस्ट कराने से रोकने का अधिकार नहीं है.