सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को सऊदी के निर्वासित पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में अमेरिका ने मुक़दमा चलाने से छूट प्रदान की है और इसके समर्थन में उदाहरण दिया गया है कि ऐसी ही छूट भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी 2014 में दी गई थी, क्योंकि वे किसी विदेशी देश के प्रमुख की भूमिका में थे.
गुजरात के पूर्व मंत्री चंद्रसिंह राउलजी उस समिति में शामिल थे, जिसने बिलक़ीस बानो बलात्कार और उनके परिवार के सात लोगों की हत्या के 11 दोषियों की रिहाई के पक्ष में सर्वसम्मति से फैसला दिया था. गोधरा से छह बार के विधायक रहे राउलजी ने एक इंटरव्यू में दोषियों को ‘संस्कारी ब्राह्मण’ बताया था.
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन ने सुप्रीम कोर्ट में नए सिरे से एक याचिका दायर किया है, जिसमें बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के 11 दोषियों की सज़ा माफ़ करने के गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2002 के गुजरात दंगों में बिलक़ीस बानो के साथ बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों में से कुछ के ख़िलाफ़ पैरोल पर बाहर रहने के दौरान ‘महिला का शील भंग करने के आरोप’ में एक एफ़आईआर दर्ज हुई और दो शिकायतें भी पुलिस को मिलीं थीं. इन पर गवाहों को धमकाने के भी आरोप लगे थे.
बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी और रिहाई के निर्णय का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि 'जो भी हुआ है, क़ानून के अनुसार हुआ है.' वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार द्वारा दायर जवाब को 'बोझिल' बताते हुए कहा कि इसमें तथ्यात्मक बयान गुम हैं.
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों की सज़ा माफ़ी के लिए केंद्र सरकार ने मंज़ूरी दी थी. इसे लेकर कांग्रेस ने कहा कि क्या मोदी सरकार ने सभी बलात्कारियों से ऐसे ही बर्ताव करने का निर्णय लिया है? क्या रेप मामलों में यह नया मानक तय किया गया है?
सुप्रीम कोर्ट में बिलक़ीस बानो मामले के 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के ख़िलाफ़ याचिका के जवाब में गुजरात सरकार ने कहा है कि इस क़दम को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंज़ूरी दी थी. सरकार के हलफ़नामे के अनुसार, सीबीआई, स्पेशल क्राइम ब्रांच, मुंबई और सीबीआई की अदालत ने सज़ा माफ़ी का विरोध किया था.
अहमदाबाद पुलिस ने 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामले में पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को जून में गिरफ़्तार करते हुए उनके साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस अधिकारी संजीव भट्ट पर झूठे सबूत गढ़कर क़ानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया था.
गुजरात पुलिस ने संदीप पांडे समेत सात एक्टिविस्ट को 25 सितंबर की देर रात इसलिए हिरासत में ले लिया, क्योंकि वे अगले दिन गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कर का शिकार हुईं बिलक़ीस बानो के समर्थन में और उनके दोषियों की समयपूर्व रिहाई के विरोध में एक पदयात्रा निकालने वाले थे.
बिलक़ीस बानो मामले 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के ख़िलाफ़ माकपा नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लाल और लखनऊ की पूर्व प्रोफेसर व कार्यकर्ता रूपरेखा वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की है. उनकी याचिका का विरोध करने वाले दोषी पर बीते दिनों एक गवाह ने उन्हें धमकाने का आरोप लगाया है.
गुजरात सरकार द्वारा इसकी क्षमा नीति के तहत बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे 11 दोषियों को समयपूर्व रिहा किया गया है. इस मामले में प्रमुख गवाह रहे एक शख़्स ने आरोप लगाया है कि रिहा हुए एक दोषी ने उन्हें मारने की धमकी दी है.
गुजरात दंगों से जुड़े मामलों के सिलसिले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व पुलिस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार तथा संजीव भट्ट पर झूठे सबूत गढ़कर क़ानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की साज़िश रचने का आरोप लगाया गया है, ताकि कई लोगों को ऐसे अपराध में फंसाया जा सके, जो मौत की सज़ा के साथ दंडनीय हो.
गुजरात सरकार द्वारा इसकी क्षमा नीति के तहत बिलक़ीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिजनों की हत्या के मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
वीडियो: सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए जून महीने में गिरफ़्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ज़मानत मिलने के बाद उन्हें बीते शनिवार को साबरमती जेल से रिहा किया गया है. उनसे बातचीत.
गुजरात की साबरमती जेल से रिहा किए जाने के बाद तीस्ता सीतलवाड़ को ज़मानत की औपचारिकताओं के लिए सत्र न्यायालय में पेश किया गया. अदालत ने उन्हें बिना अनुमति देश नहीं छोड़ने को कहा है. सीतलवाड़ को गुजरात दंगों की जांच को गुमराह करके ‘निर्दोष लोगों’ को फंसाने के लिए सबूत गढ़ने की कथित साज़िश के लिए बीते जून महीने में गिरफ़्तार किया गया था.