सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच की घटनाओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में राज्यों की निष्क्रियता को लेकर दायर याचिकाओं को सुनते हुए चेतावनी दी कि राज्य सरकारों की कार्रवाई वक्ता के धर्म की परवाह किए बिना होनी चाहिए. कार्रवाई में किसी भी तरह की हिचकिचाहट को अदालत की अवमानना के रूप में देखा जाएगा.
कर्नाटक की भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा जुलाई 2019 से अप्रैल 2023 के बीच वापस लिए कुल 385 आपराधिक मामलों में 182 मामले हेट स्पीच, गोरक्षा और सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित थे, जिनमें से अधिकांश घटनाएं दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं से संबंधित थीं और 1,000 से अधिक लोग इनमें आरोपी थे.
कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने पुलिस से शिकायत कर भाजपा की राज्य इकाई के सदस्यों पर पार्टी के आधिकारिक हैंडल सहित सोशल मीडिया के माध्यम से नफ़रत फैलाने का आरोप लगाया था. पुलिस ने भाजपा पदाधिकारियों से पेश होकर ऐसी पोस्ट से संबंधित तथ्यात्मक बयान प्रस्तुत करने के लिए कहा है.
करावल नगर में रविवार को आयोजित 'हिंदू राष्ट्र पंचायत' में भाजपा नेता और यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने क्षेत्र में मुस्लिमों को घर न बेचने और उनके साथ कारोबार न करने का आह्वान करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य पूर्वोत्तर दिल्ली को पहला 'हिंदू राष्ट्र ज़िला' बनाना है. पुलिस ने आयोजन के लिए अनुमति न लिए जाने को लेकर केस दर्ज किया है.
द वायर को दिए एक विशेष इंटरव्यू में नफ़रती भाषण को लेकर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि इस संबंध में बोलना प्रधानमंत्री का कर्तव्य है, हम सभी की रक्षा करना उनका काम है. सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली है. यह इस संबंध में उनकी मौन सहमति का प्रतीक है.
कर्नाटक के भाजपा विधायक और बागवानी मंत्री मुनिरत्न ने एक चुनाव अभियान कार्यक्रम में ईसाई समुदाया पर धर्मांतरण कराने का आरोप लगाते हुए उन पर हमला करने का आह्वान किया था. चुनाव अधिकारियों की शिकायत के आधार पर केस दर्ज किया गया.
सुप्रीम कोर्ट में केरल के एक पत्रकार ने अपनी याचिका में महाराष्ट्र पुलिस के ख़िलाफ़ अवमानना कार्यवाही की मांग की है. उनका आरोप है कि अदालत के निर्देश के बावजूद कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा आयोजित रैलियों में भड़काऊ और नफ़रत भरे भाषणों को रोकने के लिए उसने कोई कार्रवाई नहीं की.
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने नफ़रती भाषण के ख़िलाफ़ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल से यह सवाल किया. अक्टूबर 2022 में शीर्ष अदालत ने औपचारिक शिकायतों का इंतज़ार किए बिना आपराधिक मामले दर्ज करके नफ़रत भरे भाषणों के ख़िलाफ़ ‘तत्काल’ स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने एंकर अमन चोपड़ा के दो कार्यक्रमों पर 75 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाते हुए इन एपिसोड्स को वेबसाइट समेत सभी ऑनलाइन मंचों से हटाने को कहा है. ज़ी न्यूज़ और टाइम्स नाउ को भी इनके एक-एक प्रसारण हटाने का निर्देश मिला है.
हेट स्पीच के मामलों में कार्रवाई की मांग की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बोली गई हर बात हेट स्पीच नहीं होता. अदालत को सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि हेट स्पीच की कोई परिभाषा नहीं है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने संगठन के 34वें महा अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत इस्लाम की जन्मस्थली और मुसलमानों का पहला वतन है. भारत हिंदी-मुसलमानों के लिए वतनी और दीनी, दोनों लिहाज़ से सबसे अच्छी जगह है.
दिल्ली के जंतर-मंतर पर बीते 5 फरवरी को बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री के समर्थकों ने ‘सनातन धर्म संसद’ का आयोजन किया था, जिसके मुख्य वक्ता ने अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हथियार उठाने का आह्वान किया. दिल्ली पुलिस ने वक्ताओं और आयोजनकर्ताओं पर कार्रवाई करने के बजाय इस संबंध में सूचना देने वाले एक ट्विटर हैंडल को नोटिस भेजा है.
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ में वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को शपथ लेने से रोकने संबंधी याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि नियुक्ति को लेकर पात्रता पर चुनौती दी जा सकती है, लेकिन अदालतों को उपयुक्तता में नहीं पड़ना चाहिए. गौरी से जुड़े सोशल मीडिया एकाउंट और यूट्यूब पर उपलब्ध भाषणों के अनुसार, वे भाजपा के महिला मोर्चा की महासचिव हैं.
सुप्रीम कोर्ट एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने आरोप लगाया है कि जुलाई 2021 में उन पर धर्म के नाम पर हमला हुआ, बदसलूकी की गई और यूपी पुलिस ने घृणा अपराध की शिकायत तक दर्ज नहीं की. अदालत ने कहा कि जब नफ़रत की भावना से किए जाने वाले अपराधों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब ऐसा माहौल बनेगा, जो ख़तरनाक होगा.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि देश के संविधान में बुनियादी अधिकारों में हर व्यक्ति को अपने धर्म पर अमल करने की आज़ादी दी गई है. इसलिए हुकूमत से अपील है कि वह आम नागरिकों की मज़हबी आज़ादी का एहतराम करे, क्योंकि समान नागरिक संहिता लागू करना अलोकतांत्रिक होगा.