कर्नाटक के भाजपा विधायक और बागवानी मंत्री मुनिरत्न ने एक चुनाव अभियान कार्यक्रम में ईसाई समुदाया पर धर्मांतरण कराने का आरोप लगाते हुए उन पर हमला करने का आह्वान किया था. चुनाव अधिकारियों की शिकायत के आधार पर केस दर्ज किया गया.
सुप्रीम कोर्ट में केरल के एक पत्रकार ने अपनी याचिका में महाराष्ट्र पुलिस के ख़िलाफ़ अवमानना कार्यवाही की मांग की है. उनका आरोप है कि अदालत के निर्देश के बावजूद कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा आयोजित रैलियों में भड़काऊ और नफ़रत भरे भाषणों को रोकने के लिए उसने कोई कार्रवाई नहीं की.
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने नफ़रती भाषण के ख़िलाफ़ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सॉलिसिटर जनरल से यह सवाल किया. अक्टूबर 2022 में शीर्ष अदालत ने औपचारिक शिकायतों का इंतज़ार किए बिना आपराधिक मामले दर्ज करके नफ़रत भरे भाषणों के ख़िलाफ़ ‘तत्काल’ स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया था.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीडीएसए) ने एंकर अमन चोपड़ा के दो कार्यक्रमों पर 75 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाते हुए इन एपिसोड्स को वेबसाइट समेत सभी ऑनलाइन मंचों से हटाने को कहा है. ज़ी न्यूज़ और टाइम्स नाउ को भी इनके एक-एक प्रसारण हटाने का निर्देश मिला है.
हेट स्पीच के मामलों में कार्रवाई की मांग की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बोली गई हर बात हेट स्पीच नहीं होता. अदालत को सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि हेट स्पीच की कोई परिभाषा नहीं है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने संगठन के 34वें महा अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत इस्लाम की जन्मस्थली और मुसलमानों का पहला वतन है. भारत हिंदी-मुसलमानों के लिए वतनी और दीनी, दोनों लिहाज़ से सबसे अच्छी जगह है.
दिल्ली के जंतर-मंतर पर बीते 5 फरवरी को बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री के समर्थकों ने ‘सनातन धर्म संसद’ का आयोजन किया था, जिसके मुख्य वक्ता ने अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हथियार उठाने का आह्वान किया. दिल्ली पुलिस ने वक्ताओं और आयोजनकर्ताओं पर कार्रवाई करने के बजाय इस संबंध में सूचना देने वाले एक ट्विटर हैंडल को नोटिस भेजा है.
सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ में वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को शपथ लेने से रोकने संबंधी याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि नियुक्ति को लेकर पात्रता पर चुनौती दी जा सकती है, लेकिन अदालतों को उपयुक्तता में नहीं पड़ना चाहिए. गौरी से जुड़े सोशल मीडिया एकाउंट और यूट्यूब पर उपलब्ध भाषणों के अनुसार, वे भाजपा के महिला मोर्चा की महासचिव हैं.
सुप्रीम कोर्ट एक मुस्लिम व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने आरोप लगाया है कि जुलाई 2021 में उन पर धर्म के नाम पर हमला हुआ, बदसलूकी की गई और यूपी पुलिस ने घृणा अपराध की शिकायत तक दर्ज नहीं की. अदालत ने कहा कि जब नफ़रत की भावना से किए जाने वाले अपराधों के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब ऐसा माहौल बनेगा, जो ख़तरनाक होगा.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि देश के संविधान में बुनियादी अधिकारों में हर व्यक्ति को अपने धर्म पर अमल करने की आज़ादी दी गई है. इसलिए हुकूमत से अपील है कि वह आम नागरिकों की मज़हबी आज़ादी का एहतराम करे, क्योंकि समान नागरिक संहिता लागू करना अलोकतांत्रिक होगा.
बीते दो फरवरी को बाड़मेर में संतों की एक सभा में बाबा रामदेव ने हिंदू धर्म की तुलना इस्लाम और ईसाई धर्म से करते हुए मुस्लिमों पर आतंक का सहारा लेने और हिंदू लड़कियों का अपहरण करने का आरोप लगाया था.
राजस्थान के बाड़मेर में हिंदू नेताओं की एक सभा में रामदेव को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि मुसलमानों का मानना है कि नमाज़ ‘हिंदू लड़कियों के अपहरण और आतंकवाद’ सहित सभी पापों को धो देती है. ईसाई धर्म के बारे में उन्होंने कहा कि चर्च में जाओ, मोमबत्ती जलानी हो, जलाओ और ईसा मसीह के सामने खड़े हो जाओ, सारे पाप नष्ट हो जाएंगे.
दिल्ली पत्रकार संघ ने कई गिरफ़्तार और जेल में बंद पत्रकारों को लेकर चिंता व्यक्त की है. ह्यूमन राइट्स वॉच की हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए संगठन ने कहा कि रिपोर्ट कहती है कि सरकार ने अधिकार कार्यकर्ताओं और मीडिया पर अपनी कार्रवाई तेज़ और व्यापक कर दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने टीवी समाचार सामग्री पर नियामकीय नियंत्रण की कमी पर अफ़सोस जताते हुए कहा कि नफ़रत फैलाने वाले भाषण एक ‘बड़ा ख़तरा’ हैं. भारत में ‘स्वतंत्र एवं संतुलित प्रेस’ की ज़रूरत है. अदालत ने कहा कि आजकल सब कुछ टीआरपी से संचालित होता है. चैनल एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं.
दिल्ली में हुए धर्म संसद में कथित तौर पर नफ़रत भरे भाषण देने संबंधी मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटना 19 दिसंबर 2021 को हुई थी और एफ़आईआर पांच महीने बाद दर्ज की गई. इतना समय क्यों लगा? ऐसे मामलों में आरोपियों के ख़िलाफ़ त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए और केवल ‘नाम’ के लिए एफ़आईआर दर्ज नहीं की जानी चाहिए.