सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि नफ़रत फैलाने वाले भाषण (हेट स्पीच) को अदालत ने परिभाषित किया है. अब सवाल कार्यान्वयन और समझने का है कि इसे कैसे लागू किया जाए. हम व्यक्तिगत मामलों से नहीं निपट सकते. अगर हम व्यक्तिगत मामलों से निपटना शुरू कर देंगे तो इससे मामलों की बाढ़ आ जाएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में एक चुनावी रैली में मतदाताओं से कहा है कि वे ‘कमल’ के बटन को ऐसे दबाएं जैसे कि कांग्रेस को मौत की सज़ा दे रहे हों. कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री जैसे ज़िम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति वोट के ज़रिये फांसी देने की बात कैसे कर सकता है? पार्टी ने चुनाव आयोग से कार्रवाई का आग्रह किया.
बीते 6 अक्टूबर को एक सरकारी आदेश में कहा गया था कि एक केंद्रीय कार्य बल फैक्ट-चेक इकाई के तहत काम करेगा और इसका नेतृत्व एक मिशन निदेशक करेगा. यह क़दम कर्नाटक द्वारा सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी ख़बरों पर अंकुश लगाने के लिए एक फैक्ट-चेक इकाई स्थापित करने की घोषणा के दो महीने बाद आया है.
विपक्षी दलों के समूह ‘इंडिया गठबंधन’ ने द वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए फेसबुक के मुख्य कार्यकारी मार्क जुकरबर्ग और गूगल के सीईओ सुंदर पिचई को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि मेटा/फेसबुक भारत में सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक नफ़रत को भड़काने का दोषी है.
पांच महीने से अधिक समय से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर के गृह विभाग द्वारा जारी राज्यपाल के एक आदेश में कहा गया है कि हिंसा की तस्वीरें या वीडियो रखने वाले व्यक्ति इसे सोशल मीडिया पर फैलाने की बजाय पुलिस को दें. अगर किसी को ऐसी सामग्री प्रसारित करते पाया गया, तो उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज किया जाएगा.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य पुलिस को ग़लत सूचना, हेट स्पीच और मोरल पुलिसिंग में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ स्वैच्छिक एफआईआर दर्ज करके सक्रिय क़ानूनी कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि पुलिस को ऐसे मामलों में शिकायत दर्ज होने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने नफ़रत भरे भाषण से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम बहुत स्पष्ट हैं, चाहे वह एक पक्ष हो या दूसरा पक्ष, उनके साथ एक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए. अगर कोई ऐसे मामलों में लिप्त होता है, तो उनसे कानून के अनुसार निपटा जाएगा.
भारतीय प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरु के लगभग 20 वर्तमान और पूर्व फैकल्टी सदस्यों ने भारतीय कॉरपोरेट्स को संबोधित करते हुए एक पत्र में कहा है कि वे कॉरपोरेट जगत का ध्यान 'देश में हिंसक संघर्षों के बढ़ते ख़तरे के साथ आंतरिक सुरक्षा की नाज़ुक स्थिति' की ओर आकर्षित करना चाहते हैं.
सुप्रीम कोर्ट नफ़रत भरे भाषणों पर अंकुश लगाने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. इसी कड़ी में हरियाणा के नूंह ज़िले में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद दिल्ली और एनसीआर में आयोजित विरोध प्रदर्शनों के संबंध में आए एक आवेदन पर इसने कहा कि पुलिस को इन अपराधों के बारे में संवेदनशील होने की ज़रूरत है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के ख़िलाफ़ कथित तौर पर सब्ज़ियों की आसमान छूती कीमतों के लिए ‘मिया’ मुस्लिम समुदाय के किसानों और व्यापारियों के एकाधिकार को ज़िम्मेदार ठहराने वाले बयान को लेकर विभिन्न दलों और संगठनों ने कई शिकायतें दर्ज कराई हैं.
वीडियो: हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने सब्ज़ियों की कीमत में वृद्धि के लिए राज्य के मिया मुस्लिम समुदाय को ज़िम्मेदार ठहराया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से फ्लाईओवर के नीचे सब्ज़ी मंडियों को ख़ाली कराएंगे, ताकि ‘असमिया लड़कों’ को रोज़गार के अवसर मिल सकें.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान पर आरोप था कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान एक जनसभा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रामपुर के तत्कालीन ज़िला मजिस्ट्रेट के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण दिया था. पिछले छह महीने में यह तीसरा मामला है, जिसमें आज़म ख़ान को सज़ा हुई है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी अंचल में ज़हराब की बाढ़-सी लाने का सोचा-समझा और राजनीतिक रूप से वोट-खींचू अभियान शुरू हो गया है. उसका लक्ष्य बढ़ती विषमताओं, बेरोज़गारी, महंगाई आदि के ज्वलंत मुद्दों से ध्यान हटा सांप्रदायिकता-हिंसा, भेदभाव और सामाजिक समरसता के भंग को बढ़ावा देना है.
विशेष रिपोर्ट: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने 'बजरंग सेना' का हाथ थामा है. 'हिंदू राष्ट्र' का सपना देखने वाले इस संगठन की पहचान अब तक हिंदुत्ववादी एजेंडा आगे बढ़ाने, मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने और नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करने वालों का समर्थन करने की रही है.
सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के एक समूह द्वारा उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह को लिखे पत्र में अप्रैल महीने के 12 दिनों की अवधि में घटी चार घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि सभी घटनाएं हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा मुसलमानों के ख़िलाफ़ अंज़ाम दी गईं. पत्र में ऐसी घटनाओं पर उत्तराखंड की भाजपा सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए गए हैं.