अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का विवाद कई दशकों बाद शीर्ष अदालत के फैसले से ख़त्म तो हो गया, लेकिन इसके बाद हिंदू पक्ष ने अनेक मस्जिदों में मंदिर की तलाश शुरू कर दी है. यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन ही नहीं, उनका तिरस्कार भी है.
वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज परिसर में स्थित मस्जिद को लेकर विवाद गहरा रहा है. जहां मंगलवार को कुछ छात्रों ने मस्जिद में नमाज़ के समय हनुमान चालीसा पढ़ी थी,वहीं जुमे के रोज़ छात्रों ने बड़ी संख्या में एकत्र होकर मस्जिद को हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
संभल में शाही जामा मस्जिद सर्वेक्षण के दौरान 24 नवंबर को हुई हिंसा में मुसलमान समुदाय के पांच लोगों की गोली लगने से मौत हो गई थी. अब पुलिस ने दावा किया है कि जिस जगह ये हिंसा हुई थी, वहां से उसे पाकिस्तान में बना कारतूस मिला है.
संभल प्रशासन ने विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों को मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा में मारे गए व्यक्तियों के परिवारों से मिलने के लिए ज़िले में जाने की अनुमति नहीं दी. विपक्षी दलों का कहना है कि यह भाजपा सरकार की कथित पुलिस ज़्यादतियों के पीड़ितों तक पहुंच बाधित करने की योजना का हिस्सा है.
संभल मस्जिद की प्रबंध समिति के अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील जफर अली ने सवाल उठाया कि प्रदर्शनकारी एक-दूसरे को क्यों मारेंगे? अगर उन्हें गोली चलानी ही थी, तो वे पुलिस पर गोली चलाते, जनता पर नहीं. अली ने दावा किया कि उन्होंने ख़ुद पुलिस को भीड़ पर गोलियां चलाते हुए देखा था.
देहरादून के नामी दून स्कूल में बुधवार को सनातन संस्कृति नाम के संगठन से जुड़े लोग दीवार फांदकर घुसे और कथित तौर पर मज़ार जैसी संरचना को ध्वस्त कर दिया. संगठन ने इसके लिए सरकारी अनुमति होने का दावा किया है, पर ज़िला प्रशासन का कहना है कि उन्होंने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया.
उत्तर प्रदेश में बरेली ज़िले के शीशगढ़ क़स्बे का मामला. दूसरे समुदाय के एक लड़के द्वारा धर्म को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने थाने का घेराव करने के साथ लड़के के घर के बाहर प्रदर्शन किया था. आरोपी ने एक अन्य लड़के के साथ सोशल मीडिया पर बहस में यह टिप्पणी की थी. दोनों को हिरासत में ले लिया गया है.
मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में बीते 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हो गई थी. अधिकारी ने बताया कि हिंसा को उकसाने के मुख्य आरोपियों में से एक इक़बाल बानी, अफ़ज़ल और अर्श उर्फ कैफ़ को गिरफ्तार किया गया है.
वीडियो: ईद के दिन राजस्थान में जोधपुर शहर के जालौरी गेट इलाके में सांप्रदायिक झड़प हो गई थी. इसे लेकर राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने कई प्रदेशों में हुई सांप्रदायिक झड़पों का हवाला देते हुए भाजपा पर चुनावी राज्यों में नफ़रत फैलाने का आरोप लगाया है.
जोधपुर में जालौरी गेट इलाके में सोमवार देर रात एक स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा पर झंडा फहराने और हटाने को लेकर दो समुदायों के बीच झड़प के बाद कई क्षेत्रों ने कर्फ्यू लगाया गया था. सत्तारूढ़ कांग्रेस ने कई राज्यों में हुई सांप्रदायिक झड़पों का हवाला देते हुए भाजपा पर चुनावी राज्यों में नफ़रत फैलाने का आरोप लगाया है.
अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा भी समाप्त कर दी गई है. खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी पर निकाले गए धार्मिक जुलूस के दौरान हुई हिंसा में दुकानों, घरों एवं वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया था. इसके बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
जोधपुर शहर के जालौरी गेट इलाके में हुई घटना. एहतियातन मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं. स्वतंत्रता सेनानी की प्रतिमा पर झंडा फहराने और हटाने को लेकर दो समुदायों के बीच सोमवार देर रात हुई झड़प के कुछ घंटे बाद ही पथराव हो गया था, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. मंगलवार को सुबह की नमाज़ के बाद इस इलाके में फ़िर से संघर्ष शुरू हो गए थे, जिसके बाद कर्फ्यू लगा दिया गया.
मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में बीते 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा हुई थी, जिसके बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया. ढील न दिए जाने के संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि खरगोन में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और शहर के सभी धार्मिक स्थल मंगलवार को बंद रहेंगे.
वीडियो: मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में सांप्रदायिक हिंसा के बाद यहां से आठ किमी दूर कुकडोल गांव में अब्दुल हमीद और उनका परिवार 12 अप्रैल की रात को तब दहशत में आ गया था, जब 20 वर्षीय बलराम चौहान उर्फ बलराम राजपूत के नेतृत्व में भीड़ ने उनके घर पर धावा बोल दिया. अब्दुल का आरोप है कि भीड़ ने उनकी मूक बधिर बेटी के साथ बलात्कार करने की धमकी दी, उनकी पत्नी के कपड़े फाड़े और पत्थरों से
वीडियो: मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से 28 वर्षीय इबरिस खान लापता हो गए थे. उनका परिवार तब से उन्हें लगातार तलाश रहा था. बीते 17 अप्रैल को पता चला कि एक अज्ञात शव मिला था. खरगोन में फ्रीज़र सुविधा न होने के चलते शव को पोस्टमॉर्टम के बाद इंदौर के एक अस्पताल भेज दिया गया था. शव की पहचान इबरिस के रूप में हुई थी.