कार्यपालिका कर्तव्य पालन में विफल रहे तो न्यायपालिका हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकती: जस्टिस गवई

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने कार्यक्रम में कहा कि सरकारी नीतियों की समीक्षा करने में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका है. न्यायिक समीक्षा के उद्देश्यों में से एक यह सुनिश्चित करना है कि प्रशासनिक कार्य और नीति, स्थापित सिद्धांतों और संवैधानिक न्यायशास्त्र के अनुरूप हों.

जस्टिस चंद्रू जैसी शख़्सियतें भले ही किसी की रोल माॅडल न रह गई हों, लेकिन उन पर चर्चा ज़रूरी है

वकालत की अपनी पारी को विराम देकर जस्टिस के. चंद्रू 31 जुलाई, 2006 को जब मद्रास उच्च न्यायालय के जज बने तो मामलों की सुनवाई और फैसलों की गति ही नहीं तेज की, न्याय जगत की कई पुरानी औपनिवेशिक परंपराओं और दकियानूसी रूढ़ियों को भी तोड़ डाला. साथ ही कई नई और स्वस्थ परंपराओं का निर्माण भी किया.

हाईकोर्ट जजों में 13%, ज़िला और अधीनस्थ स्तर पर 36% से अधिक महिलाएं: सरकार

केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया कि देश के उच्च न्यायालयों में 106 महिला जज और ज़िला और अधीनस्थ स्तर पर 7,199 महिलाएं काम कर रही हैं.

झूठी ख़बरों के दौर में सच ‘शिकार’ बन गया है: सीजेआई चंद्रचूड़

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम एक ऐसे युग में रहते हैं, जहां लोगों में धैर्य और सहिष्णुता की कमी है, क्योंकि वे ऐसे नज़रिये को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं जो उनके नज़रिये से अलग हो.

जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली लगभग परफेक्ट है: पूर्व सीजेआई जस्टिस यूयू ललित

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि हमारे पास कॉलेजियम प्रणाली से बेहतर व्यवस्था नहीं है. न्यायपालिका सक्षम उम्मीदवारों की योग्यता पर फैसला करने के लिहाज़ से बेहतर स्थिति में होती है, क्योंकि वहां उनके काम को सालों तक देखा जाता है.

सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के अगले ही दिन केंद्र ने पांच जजों की नियुक्ति को मंज़ूरी दी

उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और न्यायपालिका के बीच चल रही खींचतान के बीच बीते शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने कॉलेजियम की सिफ़ारिशों पर केंद्र द्वारा देरी किए जाने पर इसे गंंभीर मुद्दा बताते हुए चेतावनी दी थी कि मामले में किसी भी देरी का परिणाम प्रशासनिक एवं न्यायिक कार्रवाई के तौर पर निकलेगा.

वकीलों की कमी के चलते निचली अदालतों में 63 लाख मामले लंबित: राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड

राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के आंकड़े बताते हैं कि देश की निचली अदालतों में लंबित चार करोड़ से अधिक मामलों में से लगभग 63 लाख मामले इस लिए लंबित हैं क्योंकि वकील ही उपलब्ध नहीं हैं. उत्तर प्रदेश में इस कारण सबसे अधिक मामले लंबित हैं.

वकीलों की अनुपलब्धता के कारण 63 लाख मामलों में देरी हुई: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

एक कार्यक्रम के दौरान प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जेल नहीं बल्कि ज़मानत आपराधिक न्याय प्रणाली के सबसे मौलिक नियमों में से एक है. फिर भी व्यवहार में भारत में जेलों में बंद विचाराधीन क़ैदियों की संख्या एक विरोधाभासी तथा स्वतंत्रता से वंचित करने की स्थिति को दर्शाती है.

हाईकोर्ट के एक साल से फैसला सुरक्षित रखने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत सहमत

सुप्रीम कोर्ट के 2001 के फैसले में कहा गया था कि यदि किसी कारण से कोई फैसला छह महीने के अंदर नहीं सुनाया जाता है, तब विषय में कोई भी पक्ष मामला वापस लेने के अनुरोध के साथ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष अर्ज़ी देने का हक़दार होगा और नए सिरे से दलील के लिए किसी अन्य पीठ को इसे सौंपा जा सकता है.

भाजपा सांसद ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में गर्मी और जाड़े की छुट्टियां ख़त्म करने की मांग की

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में लाखों की संख्या में मामले लंबित हैं. ये अदालतें गर्मियों में लगभग 47 दिन और सर्दियों में लगभग 20 दिनों तक बंद रहती हैं, जबकि अन्य सभी सार्वजनिक कार्यालय साल भर काम करते रहते हैं.

कॉलेजियम बहुसदस्यीय है और उसके संभावित फैसले को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज द्वारा दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मदन बी. लोकुर के एक साक्षात्कार का हवाला दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 12 दिसंबर, 2018 को एक बैठक के दौरान हाईकोर्ट के दो मुख्य न्यायाधीशों को पदोन्नत करने का निर्णय उनके सेवानिवृत्त होने के बाद बदल दिया गया था. भारद्वाज ने बैठक में हुई चर्चा को सार्वजनिक करने की मांग की थी, जिसे ख़ारिज कर दिया गया.

कॉलेजियम प्रणाली इस देश का क़ानून है, इसके ख़िलाफ़ टिप्पणी करना ठीक नहीं: सुप्रीम कोर्ट

जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा भेजे नामों को मंज़ूर करने में केंद्र की देरी से जुड़े मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि जब तक यह प्रणाली है, हमें इसे लागू करना होगा. पीठ ने अटॉर्नी जनरल से यह भी कहा कि कोर्ट द्वारा कॉलेजियम पर सरकार के लोगों की टिप्पणियों को उचित नहीं माना जा रहा है.

एनजेएसी को फिर से लाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है: सरकार ने राज्यसभा में कहा

न्यायाधीशों की नियुक्ति के मौजूदा कॉलेजियम प्रणाली को समाप्त करने के लक्ष्य से सरकार द्वारा लाए गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) क़ानून को सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में ख़ारिज कर दिया था. केंद्र की प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है, जब न्यायाधीशों की नियुक्ति की को लेकर न्यायपालिका के साथ उसका गतिरोध जारी है.

पहले संसदीय संबोधन में उपराष्ट्रपति ने एनजेएसी क़ानून रद्द करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधा

सभापति के रूप में राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करते हुए अपने पहले संबोधन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक आयोग क़ानून ख़ारिज किए जाने को लेकर कहा कि यह ‘संसदीय संप्रभुता से गंभीर समझौता’ और उस जनादेश का ‘अनादर’ है जिसके संरक्षक उच्च सदन व लोकसभा हैं.

कॉलेजियम बहस में उतरे उपराष्ट्रपति, कहा- एनजेएसी क़ानून को रद्द किया जाना गंभीर मसला

कॉलेजियम प्रणाली को लेकर चल रही खींचतान के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के 2015 में एनजेएसी अधिनियम रद्द करने को लेकर कहा कि संसद द्वारा पारित एक क़ानून, जो लोगों की इच्छा को दर्शाता है, उसे शीर्ष अदालत ने ‘रद्द’ कर दिया और ‘दुनिया को ऐसे किसी भी क़दम के बारे में कोई जानकारी नहीं है.’

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