वीडियो: गाजा पर इज़रायल के हमले के बीच दक्षिण अफ्रीका ने इस पर नरसंहार का आरोप लगाते हुए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का रुख़ किया था, जिसने अपने निर्णय में इज़रायल को जेनोसाइड कन्वेंशन का पालन करने को कहा है. हालांकि इसने युद्धविराम का निर्देश नहीं दिया. फैसले की बारीकियों पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से बातचीत.
दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल पर नरसंहार का आरोप लगाते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में मुक़दमा दायर करते हुए इससे युद्धविराम का निर्देश देने की मांग की थी.
बीते दिसंबर में उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इज़रायल में नौकरियों के लिए निर्माण श्रमिकों से आवेदन मांगे थे. सरकार की योजना संघर्ष प्रभावित देश में कम से कम 10,000 श्रमिकों को भेजने की है. ट्रेड यूनियनों का तर्क है कि भारत सरकार संघर्षरत क्षेत्रों में काम करने जाने वाले श्रमिकों के लिए तय सुरक्षा मानकों को नज़रअंदाज़ कर रही है.
इज़रायल द्वारा गाज़ा में जारी नरसंहार के मामले को लेकर दक्षिण अफ्रीका ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का दरवाजा खटखटाया है, जिसका स्वागत करते हुए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि हम इस मामले को आईसीजे में लाने के लिए दक्षिण अफ्रीका की सराहना करते हैं, जब गाज़ा में फिलिस्तीनियों के अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: फ़िलिस्तीनी कविता में गवाही, हिस्सेदारी और ज़िम्मेदारी एक साथ है. यह कविता मातृभूमि को भूगोल भर में नहीं, कविता में बचाने की कोशिश और संघर्ष है. दुखद अर्थ में यह कविता मानो फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि ही होती जा रही है- वह ज़मीन जिस पर कब्ज़ा नहीं किया जा सकेगा.
सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय को वर्ष 2002 में प्रतिष्ठित मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा है कि फ़िलिस्तीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ मौजूदा हमले में इज़रायल का खुलेआम समर्थन करने में अमेरिका की भूमिका को देखते हुए उनके लिए पुरस्कार अपने पास रखना असहनीय हो गया है.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने अपनी एक रिपोर्ट में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उन आवाजों को अनुचित तरीके से दबाने और हटाने के एक पैटर्न का दस्तावेज़ीकरण किया है, जिसमें फिलिस्तीन के समर्थन में शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति और मानवाधिकारों के बारे में बहस शामिल है.
सारी दुनिया में लाखों यहूदी, मुसलमान, ईसाई, हिंदू, कम्युनिस्ट, एग्नॉस्टिक लोग सड़कों पर उतरकर गाज़ा पर हमला फ़ौरन बंद करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन, वही मुल्क जो कभी फिलिस्तीन का सच्चा दोस्त था, जिन पर कभी लाखों लोगों के जुलूस निकले हुए होते, वही सड़कें आज ख़ामोश हैं.
वीडियो: बीते दिनों भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाए गए एक नए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है, जिसमें गाज़ा में तत्काल मानवीय युद्धविराम का आह्वान किया गया था. अक्टूबर माह में भारत ने ऐसे ही एक प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था. इस बीच इज़रायल के हमले में 18,600 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है.
जर्मनी की फोटो प्रदर्शनी बिएननेल फर एक्चुएल फोटोग्राफी के 2024 के संस्करण के क्यूरेटर शाहिदुल आलम ने फिलिस्तीन के समर्थन में फेसबुक पर कुछ पोस्ट किए थे, जिन्हें यहूदी विरोधी मान लिया गया और आयोजन रद्द कर दिया गया. क्यूरेटर की ओर से एक बयान में कहा गया है कि यह नस्लवादी और भेदभावपूर्ण है. फासीवाद वर्तमान में लौट रहा है.
26 नवंबर 2008 की रात लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी संगठन के दस सदस्य मुंबई शहर में घुस गए थे और अगले चार दिनों के दौरान उनकी आतंकी कार्रवाई में 166 लोगों की जान गई थी और 300 से अधिक घायल हुए थे. हमले में चार इज़रायली नागरिक भी मारे गए थे.
लेखक और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर अचिन वानाइक ने कहा कि फिलिस्तीन पर एक व्याख्यान को लेकर हरियाणा स्थित ओपी जिंदल विश्वविद्यालय ने उनसे खेद जताने के लिए कहा है. विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया है कि इस दौरान हिंदुत्व और इसके मुस्लिम विरोधी होने पर की गई उनकी टिप्पणी आपत्तिजनक थी.
दुनियाभर के 1,265 मीडियाकर्मियों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में पश्चिम के न्यूज़रूम्स से अपील की गई है कि वे ऐसी अमानवीय बयानबाज़ी से बचें, जो फ़िलिस्तीनियों के नस्लीय सफाए (एथनिक क्लींज़िंग) को उचित ठहराती है.
फ़िलिस्तीन और इज़रायल की ख़ातिर, जो ज़िंदा हैं उनकी ख़ातिर और जो मारे गए उनके नाम पर, हमास के हाथों बंधक बनाए गए लोगों की ख़ातिर और इज़रायली जेलों में बंद फ़िलिस्तीनियों की ख़ातिर, सारी इंसानियत की ख़ातिर, गाज़ा पर हमला फ़ौरन बंद होना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र का मसौदा प्रस्ताव बीते 9 नवंबर को भारी बहुमत से पारित किया गया. इसका शीर्षक ‘पूर्वी येरुशलम सहित क़ब्ज़ा किए गए फिलिस्तीनी क्षेत्र और सीरियाई गोलान में इज़रायली बस्तियां’ था. बीते 28 अक्टूबर को भारत ने जॉर्डन-मसौदा प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी, जिसमें शत्रुता की समाप्ति के लिए संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था.