बीते गुरुवार को मध्य कश्मीर के बडगाम ज़िले में चादूरा स्थित भीड़भाड़ वाले तहसील कार्यालय में घुसकर 35 वर्षीय कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट की हत्या के बाद आतंकियों ने शुक्रवार को पुलवामा में एक पुलिस कॉन्स्टेबल की उनके घर में घुसकर गोली मारकर उनकी जान ले ली. राहुल की मौत के विरोध में कश्मीरी पंडितों ने प्रदर्शन किया.
बीते आठ मई को अनंतनाग के मट्टन में आठवीं शताब्दी के संरक्षित मार्तंड सूर्य मंदिर के खंडहरों में हुई पूजा-अर्चना में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भाग लिया था. नियमों के अनुसार, केंद्र सरकार की लिखित अनुमति के बिना किसी संरक्षित स्मारक में बैठकें, स्वागत, दावत, मनोरंजन या सम्मेलन आयोजित नहीं किए जा सकते. हालांकि प्रशासन की ओर से कहा गया है कि उपराज्यपाल को अनुमति की ज़रूरत नहीं.
जम्मू कश्मीर को लेकर गठित तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने अंतिम आदेश में जम्मू में छह, जबकि कश्मीर में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा है. वहीं, राजौरी और पुंछ के क्षेत्रों को अनंतनाग संसदीय सीट के तहत लाया गया है. 12 सीटें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया है. घाटी राजनीतिक दलों ने आदेश को ख़ारिज करते हुए कहा कि यह घाटी में राजनीतिक रूप से लोगों को कमज़ोर करने का प्रयास है.
हमारी दुनिया में कितनी भी मायूसी हो, चाहे जितनी भी नफ़रत पैदा की जा रही हो, उम्मीद और प्रेम के उजालों में चलकर ही कहीं पहुंचा जा सकता है.
गृह मंत्रालय की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 1990 के दशक से 2020 के बीच जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के कारण 14,091 नागरिकों और सुरक्षा बल के 5,356 जवानों की जान गई. कश्मीरी पंडितों के अलावा, आतंकवाद की वजह से कुछ सिख और मुस्लिम परिवारों को भी घाटी से जम्मू, दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा.
केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित कर दिया था. केंद्र के इस फैसले और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं उसी समय से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं.
अक्टूबर 2021 में जम्मू कश्मीर के राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि उन्हें कुछ परियोजनाओं से संबंधित दो फाइलें पास करने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. सीबीआई ने अब इस संबंध में जम्मू कश्मीर कर्मचारी स्वास्थ्य देखभाल बीमा योजना और किरु जलविद्युत परियोजना के काम के लिए अनुबंध देने में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में दो एफआईआर दर्ज की है.
कश्मीर विश्वविद्यालय के पीएचडी छात्र अब्दुल आला फ़ाज़िली ने क़रीब 11 वर्ष पहले 6 नवंबर 2021 को ऑनलाइन पत्रिका ‘द कश्मीर वाला’ में एक लेख लिखा था. पुलिस का कहना है कि वह लेख अत्यधिक भड़काऊ था और जम्मू कश्मीर में अशांति खड़ा करने के इरादे से लिखा गया था. इसका मक़सद आतंकवाद का महिमामंडन करके युवाओं को हिंसा का रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित करना था.
दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा में 19 मार्च से 7 अप्रैल के बीच 5 बार प्रवासी मज़दूरों पर जानलेवा हमले हो चुके हैं. हमलावरों के बारे में पुलिस को कोई सुराग नहीं है. डर और दहशत में प्रवासी मज़दूर पुलवामा छोड़कर घाटी के अन्य इलाकों का रुख कर रहे हैं या फिर अपने-अपने घर लौट रहे हैं.
कश्मीरी पत्रकार आसिफ़ सुल्तान को आतंकी संगठनों से संबंध के मामले में अदालत ने पांच अप्रैल को यह कहते हुए ज़मानत दी थी कि उन्हें दोषी ठहराने के पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं. हालांकि 10 अप्रैल को उन्हें दोबारा गिरफ़्तार कर पीएसए के तहत जेल भेज दिया गया. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स का कहना है कि पत्रकारों को परेशान करने के लिए जन सुरक्षा अधिनियम का दुरुपयोग किया जा रहा है.
पुलिस के अनुसार, वह सभी आरोपियों पर जन सुरक्षा क़ानून (पीएसए) भी लगाने की तैयारी कर रही है. जामिया मस्जिद में जुमे की नमाज़ अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से बंद थी. हाल ही में पुलिस ने इसकी अनुमति दी है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार ने ऐसे लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए पिछले साल एक पोर्टल की शुरुआत की है, जो अत्याचार के कारण घाटी छोड़ने के लिए विवश हुए और जिनकी संपत्ति जबरन ले ली गई. केंद्र सरकार ऐसे लोगों की संपत्ति वापस लौटाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है.
बीते वर्ष अक्टूबर में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल मलिक ने राजस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था कि जब वे जम्मू कश्मीर में राज्यपाल हुआ करते थे तो उन्हें दो फाइलों को मंज़ूरी देने के बदले 300 करोड़ रुपये रिश्वत की पेशकश की गई थी. दोनों सौदे रद्द कर दिए गए थे.
एनआईए की एक विशेष अदालत ने जांच अवधि की सीमा बढ़ाए जाने संबंधी एनआईए के एक आवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि जांच अभी जारी है, इसलिए सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. एनआईए ने बीते साल 22 नवंबर को टेरर फंडिंग से जुड़े एक मामले में ख़ुर्रम परवेज़ और दो अन्य को गिरफ़्तार किया था.
वीडियो: ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ नामक किताब के लेखक अशोक कुमार पांडे ने हाल ही में रिलीज़ फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बारे में बात की. उन्होंने समझाया कि 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ, वह स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा का माहौल बनाने के लिए फिल्म का इस्तेमाल किया जाता है.