उत्तराखंड: भू-धंसाव प्रभावित जोशीमठ के निवासी सुदूर क्षेत्र में बसाए जाने के ख़िलाफ़

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक ने कहा कि राज्य सरकार ने सबसे अधिक प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए गौचर के पास बमोथ गांव में भूमि की पहचान की है. हालांकि, लोगों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव को खारिज कर दिया. निवासी जोशीमठ से बहुत दूर स्थानांतरित नहीं होना चाहते हैं क्योंकि उनकी आजीविका मंदिर शहर पर निर्भर है. खतरे वाले क्षेत्रों की पहचान और चिह्नांकन में भी विसंगति है.

उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में 65 प्रतिशत घर ज़मीन धंसने से प्रभावित: सरकारी रिपोर्ट

उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव के नुकसान का आकलन करने के लिए भेजी गईं सरकारी एजेसियों ने एक रिपोर्ट में कहा है कि यहां के कुल 2,152 घरों में से 1,403 घर ज़मीन धंसने से प्रभावित हुए हैं. इन पर तत्काल ध्यान देने की ज़रूरत है. रिपोर्ट में राज्य सरकार से मानसून के अंत तक शहर में नए निर्माण पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का भी आग्रह किया गया है.

जोशीमठ भू-धंसाव पर रिपोर्ट में केंद्रीय संस्थानों ने उच्च तीव्रता वाले भूकंप की संभावना जताई

जोशीमठ में भू-धंसाव को लेकर आठ सरकारी संस्थानों की रिपोर्ट में एनटीपीसी को क्लीन चिट दे दी गई है. हालांकि, विशेषज्ञों ने इस संकट के लिए क्षेत्र में अनियोजित और अराजक इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं, विशेष रूप से एक बिजली संयंत्र जिसमें विस्फोट और पहाड़ों में ड्रिलिंग शामिल थे, को ज़िम्मेदार ठहराया है.

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकार से कहा- जोशीमठ भूस्खलन पर रिपोर्ट को ‘गुप्त’ रखने की कोई वजह नहीं

अदालत ने यह टिप्पणी तब की, जब जोशीमठ के भूस्खलन का अध्ययन करने वाले केंद्र सरकार के आठ संस्थानों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में उसके सामने रखा गया.

जोशीमठ: दलित समुदाय ने राहत कार्य में भेदभाव का आरोप लगाया, जांच शुरू

जोशीमठ शहर में भूमि धंसाव से प्रभावित लोगों के लिए चल रहे राहत कार्य के बीच अनुसूचित जाति के कुछ रहवासियों ने जाति के कारण उपेक्षा किए जाने की शिकायत की है. उत्तराखंड राज्य अनुसूचित जाति आयोग का कहना है कि वे इसकी जांच करेंगे और आरोप सही पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी.

जोशीमठ: हिमालय ने दरककर ‘विकास’ का भंडाफोड़ कर दिया है

‘विकास’ का यह कौन-सा मॉडल है, जो जोशीमठ ही नहीं, पूरे हिमालय क्षेत्र में दरार पैदा कर रहा है और इंसान के लिए ख़तरा बन रहा है? सरकारी ‘विकास’ की इस चौड़ी होती दरार को अगर अब भी नज़रअंदाज़ किया गया, तो पूरी मानवता ही इसकी भेंट चढ़ सकती है.

जोशीमठ: इमारतें ढहाए जाने के बीच सीएम बोले- शहर के 65-70% लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जोशीमठ की स्थिति को लेकर परेशान होने की ज़रूरत नहीं है और देश के दूसरे हिस्सों में बैठे लोगों को इस पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जोशीमठ में 65-70 फीसदी लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं. पड़ोसी पर्यटन स्थल औली में भी सब कुछ सामान्य है. पर्यटक अभी भी औली आ रहे हैं.

जोशीमठ बचाओ समिति ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, पुनर्वास कार्य अपने हाथ में लेने की अपील

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने उत्तराखंड सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों में जरूरी ‘तत्परता और तेजी’ नहीं होने का आरोप लगाया है. इस बीच शीर्ष अदालत भू-धंसाव को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि चूंकि राज्य का हाईकोर्ट इससे जुड़े विस्तृत मामलों की सुनवाई कर रहा है, इसलिए सैद्धांतिक रूप से उसे ही इस मामले पर सुनवाई करनी चाहिए.

उत्तराखंड सरकार एनटीपीसी को क्लीनचिट दे रही है: जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती का कहना है कि सरकार एनटीपीसी को क्लीनचिट दे रही है, जिससे स्थानीय निवासियों में गुस्सा है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्तमान स्थिति को प्राकृतिक आपदा क़रार दिया है. यह प्राकृतिक आपदा नहीं है. समिति ने कहा है कि वह इसके विरोध में गणतंत्र दिवस के अवसर पर विरोध प्रदर्शन करेगी.

बद्रीनाथ के मुख्य पुजारी ने हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित करने वाले निर्माण रोकने का आग्रह किया

उत्तराखंड के जोशीमठ में भूमि धंसने पर चिंता व्यक्त करते हुए बद्रीनाथ मंदिर के प्रमुख पुजारी ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने कहा कि न केवल एनटीपीसी परियोजना, बल्कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली सभी परियोजनाओं को रोका जाना चाहिए. हिमालय क्षेत्र एक संवेदनशील क्षेत्र है. इस पवित्र भूमि की रक्षा की जानी चाहिए.

हिमाचल के मुख्यमंत्री ने जोशीमठ जैसी घटना टालने के लिए केंद्र से राज्य पर ध्यान देने को कहा

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री की अध्यक्षता में हुए एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हिमाचल में भी ऐसे कई क्षेत्र हैं, जो धीरे-धीरे भू-धंसाव का अनुभव कर रहे हैं. यदि सही समय पर सही समाधान और इसे कम करने के उपाय नहीं किए गए तो व्यापक तबाही होगी.

जोशीमठ: सरकार ने संस्थानों के मीडिया से बातचीत पर रोक लगाई; इसरो ने धंसाव संबंधी रिपोर्ट वापस ली

उत्तराखंड सरकार के निर्देश पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने दर्जन भर सरकारी संस्थानों और वैज्ञानिक संगठनों को पत्र लिखकर कहा है कि वे जोशीमठ में भू-धंसाव के संबंध में मीडिया से बातचीत या सोशल मीडिया पर डेटा साझा न करें. इसके बाद ज़मीन धंसने के संबंध में भारतीय अतंरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा जारी एक रिपोर्ट को वेबसाइट से हटा दिया गया है.

उत्तराखंड: ग्रामीणों का दावा- जोशीमठ जैसे हालात की राह पर सेलंग गांव

जोशीमठ से क़रीब पांच किलोमीटर दूर स्थित सेलंग गांव के लोगों को कहना है कि पिछले कुछ महीनों से खेतों और कई घरों में दरारें दिखाई दे रही हैं. ग्रामीण इसके लिए एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनके अनुसार, गांव के नीचे एनटीपीसी की नौ सुरंगें बनी हैं, जिससे गांव की नींव को नुकसान पहुंचा है.

बार-बार की चेतावनियों पर सरकार की उदासीनता जोशीमठ संकट की जड़: पर्यावरणविद

चिपको आंदोलन संबद्ध रहे रेमन मैग्सेसे, पद्म भूषण और गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित पर्यावरणवादी चंडी प्रसाद भट्ट ने कहा कि जोशीमठ में गुप्त ख़तरों की चेतावनी दो दशक पहले राज्य सरकार को दी गई थी. एक के बाद एक अध्ययन तब तक मदद नहीं करेगा, जब तक कि सरकारें सुझावों पर कार्रवाई शुरू नहीं करतीं.

जोशीमठ संकट: 46 साल पहले गठित समिति ने भौगोलिक स्थिति, निर्माण कार्यों को लेकर चिंता जताई थी

भूस्खलन और जोशीमठ शहर के डूबने के कारणों की जांच के लिए गठित एक समिति ने 7 मई, 1976 को अपनी रिपोर्ट में भारी निर्माण कार्य, ढलानों पर कृषि और पेड़ों की कटाई पर प्रतिबंध लगाने के सुझाव दिए थे. अब स्थानीयों ने मौजूदा स्थिति के लिए बिजली और सड़क परियोजनाओं को ज़िम्मेदार ठहराया है.