लद्दाख को छठी अनुसूची में लाने की मांग को लेकर फिर उपवास करेंगे सोनम वांगचुक

शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक ने कहा है कि उपवास का कारण यह है कि केंद्र सरकार ने संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को लाने की मांग पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. 2019 में लद्दाख के जम्मू कश्मीर से अलग होने के बाद से यह मांग लगातार उठती रही है. सोनम इसे लेकर जनवरी में भी उपवास पर रहे थे.

लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी दिल्ली पहुंचे

साल 2019 में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त करने और और तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने के बाद लद्दाख क्षेत्र के लोग भारत के अन्य आदिवासी क्षेत्रों को संविधान की छठी अनुसूची के तहत प्रदान किए गए संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं, जिससे उनकी जनसांख्यिकी, नौकरी और भूमि की रक्षा हो.

केंद्र युवाओं को अलग-थलग कर लद्दाख में उग्रवाद के बीज बो रहा है: सोनम वांगचुक

लद्दाख के शिक्षा सुधारक और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने क्षेत्र में छठी अनुसूची की मांग को दोहराते हुए कहा कि डर यह नहीं है कि लोग भारत के ख़िलाफ़ हो जाएंगे, डर यह है कि भारत के लिए प्यार कम हो जाएगा और ऐसा होना उस देश के लिए ख़तरनाक है जो चीन का सामना कर रहा है. 

लद्दाख: सोनम वांगचुक का उपवास जारी, विरोध ख़त्म करने के लिए प्रशासन ने बॉन्ड साइन करने को कहा

लद्दाख में संविधान की छठी अनुसूची लागू करने और पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग के समर्थन में इंजीनियर एवं नवप्रवर्तक सोनम वांगचुक पांच दिन का ‘क्लाइमेट फास्ट’ कर रहे हैं. विरोध को ख़त्म करने की कोशिश में प्रशासन ने उनसे एक बॉन्ड पर साइन करने के लिए कहा है, जिसमें कहा गया है कि वह कोई बयान नहीं देंगे या एक महीने तक लेह में किसी सार्वजनिक सभा में भाग नहीं लेंगे.

लद्दाख: केंद्रशासित प्रदेश के रूप में तीन साल पूरे, राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन

केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के करगिल और लेह ज़िलों में स्थानीय संगठनों के नेतृत्व में लोगों ने सड़कों पर रैली निकालकर राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग के साथ-साथ लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा देने की भी मांग की.

केंद्रशासित लद्दाख के लोग सरकार से नाराज़ क्यों हैं

अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से अलग कर केंद्रशासित राज्य लद्दाख बनाए जाने के बाद से इसे पूर्ण राज्य का दर्जा और यहां के निवासियों को ज़मीन और नौकरी की सुरक्षा गारंटी दिए जाने की मांग आए दिन होती रहती है. आमतौर पर लद्दाख के मुस्लिम बहुल कारगिल और बौद्ध बहुल लेह क्षेत्र एक दूसरे से बंटे रहते हैं, लेकिन इस बार लोगों ने एक सुर में क्षेत्र की संवैधानिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग उठाई है.

जम्मू कश्मीर के उलट लद्दाख में सभी नॉन-गजेटेड नौकरियां स्थानीयों के लिए आरक्षित

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में ऐसे बाहरी लोग सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं जो वहां एक निश्चित समय तक रह चुके हैं जबकि लद्दाख में केवल 5 अगस्त, 2019 से पहले के स्थायी निवासियों और लेह व कारगिल ज़िलों में रहने वाले ही अब नॉन-गजेटेड नौकरी के पात्र रहेंगे.

लद्दाख के पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग कर रहे संगठन बोले- फूट डालने का प्रयास कर रहा केंद्र

लद्दाख एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. स्थानीय निवासियों के विशेष अधिकारों की मांग को नज़रअंदाज़ करने के बाद शनिवार को उन्होंने कारगिल और लेह ज़िलों में पूर्ण बंद का आह्वान किया था.

कारगिल के नेताओं ने केंद्र से लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग की

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी के साथ हुई बैठक में नेताओं ने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को बहाल करने की भी मांग की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जम्मू कश्मीर के 14 राजनीतिक नेताओं से मुलाकात के एक सप्ताह बाद यह बैठक हुई है.

लद्दाख प्रशासन का सरकारी कर्मचारियों को आदेश, आधिकारिक सूचनाएं सार्वजनिक न करें

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासन द्वारा एक मार्च को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि आधिकारिक सूचनाओं को सार्वजनिक करने से पूर्व में विवाद खड़ा हो चुका है और इसलिए आदेश का पालन न करने वालों को दंडित किया जाएगा.

गणतंत्र दिवस: लद्दाख की झांकी पर विवाद, कारगिल ने उनके धरोहरों को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया

गणतंत्र दिवस परेड में केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख की पहली झांकी दिखाए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कारगिल के नेताओं ने मांग की है कि या तो इस झांकी को वापस लिया जाए या फिर प्रशासन इसमें संशोधन करे. उन्होंने कहा कि इस झांकी में सिर्फ़ बौद्ध बहुल लेह के प्रतीकों को शामिल किया गया है.

कारगिल में जम्मू कश्मीर के विभाजन का विरोध क्यों?

वीडियो: जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर ​प्रावधानों को हटाने और राज्य को केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के मुद्दे पर सामाजिक कार्यकर्ता सज्जाद हुसैन से द वायर के कबीर अग्रवाल की बातचीत.

लद्दाख बना केंद्रशासित प्रदेश, लेह में खुशी तो करगिल में काला दिन मनाया गया

केंद्र सरकार के पांच अगस्त के फैसले के अनुसार जम्मू कश्मीर को विभाजित कर दो केंद्रशासित प्रदेश- जम्मू कश्मीर और लद्दाख बना दिया गया है.

‘70 साल बाद लद्दाख के लोगों से वोट देने का अधिकार छीन लिया गया’

वीडियो: जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छीनने के बाद उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के केंद्र सरकार के फैसले पर लद्दाख में लेह के लोग जहां खुश हैं, वहीं कारगिल के लोग विरोध में हैं. हालांकि नौकरी और ज़मीन की सुरक्षा को लेकर लेह और कारगिल दोनों जगह के लोग चिंतित हैं.

लद्दाख को केंद्र शासित क्षेत्र का दर्जा मिलने से लेह में जश्न, करगिल में हड़ताल

लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने से इलाके में विकास का मार्ग प्रशस्त होगा. वहीं, कांग्रेस के बागी नेता और पूर्व विधायक असगर अली करबालाई ने कहा कि हम धर्म, भाषा और क्षेत्र के आधार पर जम्मू कश्मीर को बांटे जाने के खिलाफ हैं.