द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
लंदन के वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेमोक्रेसी की प्रमुख निताशा कौल को कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में आयोजित एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था. कौल का कहना है कि जब वह 23 फरवरी को बेंगलुरु हवाई अड्डे पहुंचीं, तो उन्हें ‘होल्डिंग सेल’ में 24 घंटे रखने के बाद बिना कारण बताए लंदन भेज दिया गया.
वीडियो: जम्मू-कश्मीर के हालात, राम मंदिर, सांप्रदायिकता, मोदी सरकार के कामकाज समेत विभिन्न मुद्दों पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की बातचीत.
जामिया मस्जिद की प्रबंध संस्था अंजुमन औक़ाफ़ ने कहा कि इन प्रतिबंधों के लिए अधिकारियों द्वारा कोई कारण नहीं बताया गया है. वहीं, कश्मीर के प्रमुख मौलवी मीरवाइज़ ने एक बयान में कहा कि शासकों द्वारा तथाकथित सामान्य स्थिति के सभी दावे ऐसे जनविरोधी क़दमों से विफल हो जाते हैं.
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कश्मीर के बाहर के एक छात्र द्वारा पैगंबर पर किए सोशल मीडिया पोस्ट के ख़िलाफ़ विरोध बढ़ने के बीच एनआईटी, श्रीनगर ने शीतकालीन छुट्टियों की घोषणा करते हुए छात्रों से हॉस्टल छोड़ने को कहा है. वहीं, घाटी के कॉलेजों में ऑफलाइन कक्षाएं निलंबित करते हुए ऑनलाइन कक्षाएं चलाने का निर्देश दिया गया है.
भारत पाकिस्तान में आतंकवाद को मिलने वाले सरकारी समर्थन को लेकर दबाव बनाने के लिए कूटनीतिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है. फिर भी पाकिस्तान की सरकारें लश्कर-ए-तैयबा के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने में असमर्थ रही हैं.
कश्मीर में बिजली उत्पादन 1800 मेगावॉट की मांग के मुक़ाबले 50-100 मेगावॉट के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. ये स्थिति ऐसे समय है, जब घाटी में तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया है. जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी ने कहा कि अगर निर्वाचित सरकार होती तो ऐसा संकट नहीं होता, ज़िम्मेदारी तय हो जाती. वहीं, पीडीपी ने इसे लेकर प्रदर्शन किया है.
उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले का प्रवासी मज़दूर मुकेश कुमार पुलवामा के एक ईंट भट्ठे पर काम करते थे. बीते सोमवार को पैसा घर भेजने के लिए बैंक जा रहे थे जब उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. मुकेश पहले ग़ैर-स्थानीय व्यक्ति हैं, जिनकी इस साल कश्मीर में लक्षित हत्या की गई है.
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वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि श्रीनगर में भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स से जुड़े फ़र्ज़ी सोशल मीडिया एकाउंट्स के ज़रिये उनका नैरेटिव फैलाया गया और कश्मीरी पत्रकारों को निशाना बनाया गया. भारत में फेसबुक के अधिकारियों को मेटा नियमों के इस उल्लंघन की जानकारी होने के बावजूद सरकारी कार्रवाई के डर से उन्होंने कोई क़दम नहीं उठाया.
कश्मीर में पत्रकारों और रिपोर्टिंग की स्थिति पर बीबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में घाटी के कुछ पत्रकारों और संपादकों से बातचीत की है, जिन्होंने बताया है कि घटनाओं की रिपोर्टिंग को लेकर अधिकारियों द्वारा बनाए गए ‘डर और धमकी’ के माहौल के कारण वे ‘घुटन’ महसूस करते रहे हैं.
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