जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 87 नागरिक, 99 सुरक्षाकर्मी मारे गए: केंद्र

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि जम्मू कश्मीर में 2014 से 2019 तक पांच साल में कम से कम 177 नागरिक और 406 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि राज्य में 2019 से अब तक आतंकवादियों के हाथों चार कश्मीरी पंडित सहित 14 हिंदू मारे गए.

द कश्मीर फाइल्स का सिर्फ एक ही सच है, और वो है मुस्लिमों से नफ़रत

लोग ये बहस कर सकते हैं कि फिल्म में दिखाई गई घटनाएं असल में हुई थीं और कुछ हद तक वे सही भी होंगे. लेकिन किसी भी घटना के बारे में पूरा सच, बिना कुछ भी घटाए, जोड़े और बिना कुछ भी बदले ही कहा जा सकता है. सच कहने के लिए न केवल संदर्भ चाहिए, बल्कि प्रसंग और परिस्थिति बताया जाना भी ज़रूरी है.

द कश्मीर फाइल्स ने हिंदुत्ववादियों को मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने का बहाना दे दिया है

सिनेमाघरों में द कश्मीर फाइल्स देखने वालों के नारेबाज़ी और सांप्रदायिक जोश से भरे वीडियो तात्कालिक भावनाओं की अभिव्यक्ति लगते हैं, लेकिन ऐसे कई वीडियो की पड़ताल में कट्टर हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं और संगठनों की भूमिका स्पष्ट तौर पर सामने आती है. 

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद 34 बाहरियों ने सूबे में ज़मीनें खरीदींः केंद्र

केंद्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के जवाब में लोकसभा को बताया कि जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सूबे के बाहर के 34 लोगों ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से केंद्रशासित प्रदेश में ज़मीनें खरीदी हैं. ये संपत्तियां जम्मू, रियासी, उधमपुर और गांदेरबल ज़िलों में हैं.

द कश्मीर फाइल्स एक प्रोपगैंडा फिल्म है, जिसका मक़सद मुस्लिमों के ख़िलाफ़ भावनाएं भड़काना है

विवेक रंजन अग्निहोत्री भाजपा के पसंदीदा फिल्मकार के रूप में उभर रहे हैं और उन्हें पार्टी का पूरा समर्थन मिल रहा है.

‘द कश्मीर फाइल्स’ एजेंडा के तहत बनाई गई फिल्म हैं: अशोक कुमार पांडेय

वीडियो: ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ नामक किताब के लेखक अशोक कुमार पांडे ने हाल ही में रिलीज़ फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बारे में बात की. उन्होंने समझाया कि 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ, वह स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा का माहौल बनाने के लिए फिल्म का इस्तेमाल किया जाता है.

भाजपा धर्म के आधार पर लोगों को उकसाने के लिए ‘कश्मीर फाइल्स’ का प्रचार कर रही: महबूबा मुफ़्ती

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का कारण रहीं परिस्थितियों की जांच के लिए एक समिति गठित करने की भी मांग की. उन्होंने मुसलमानों के प्रति नफ़रत की भावना नहीं रखने की अपील करते हुए कहा कि दिल्ली दंगे और 2002 में गुजरात में हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए ज़िम्मेदार परिस्थितियों की भी जांच होनी चाहिए.

कश्मीरी पंडितों के पलायन के समय कांग्रेस की नहीं, वीपी सिंह की सरकार थी: शरद पवार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन पर आधारित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में दिखाया गया है कि उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, जबकि ऐसा नहीं है. यह बाद दोहराते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि उस समय कश्मीरी पंडितों के विस्थापन और हत्याओं की भाजपा ने निंदा तक नहीं की थी.

द कश्मीर फाइल्स का मक़सद पंडितों के प्रति हमदर्दी है या एक वर्ग के प्रति नफ़रत उपजाना

कश्मीरी पंडितों के ख़िलाफ़ हिंसा ऐसी त्रासदी है जिस पर बात करते समय सिर्फ उसी पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए. किसी त्रासदी को तुलनीय बनाना उसका अपमान है. 'कश्मीर फ़ाइल्स' के निर्माताओं को यह सवाल करना चाहिए कि क्या वास्तव में कश्मीरी पंडितों की पीड़ा ने उन्हें फिल्म बनाने को प्रेरित किया या उसकी आड़ में वे अपनी मुसलमान विरोधी हिंसा को ज़ाहिर करना चाहते थे?

‘द कश्मीर फाइल्स’ के सरकारी प्रमोशन के क्या मायने हैं

कश्मीरी पंडितों का विस्थापन भारत की गंगा-जमुनी सभ्यता के माथे पर बदनुमा दाग़ है और उसे मिटाने के लिए तथ्यों के धार्मिक सांप्रदायिक नज़रिये वाले फिल्मी सरलीकरण की नहीं बल्कि व्यापक और सर्वसमावेशी नज़रिये की ज़रूरत है. दुर्भाग्य से यह ज़रूरत अब तक नहीं पूरी हो पाई है और पंडितों को राजनीतिक लाभ के लिए ही भुनाया जाता रहा है.

द कश्मीर फाइल्स: पुराने जख़्म पर मरहम के बहाने नए ज़ख़्मों की तैयारी

हालिया रिलीज़ फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में कश्मीरी पंडितों के बरसों पुराने दर्द को कंधा बनाकर और उस पर मरहम रखने के बहाने कैसे एक पूरे समुदाय विशेष को ही निशाना बनाया जा रहा है.

योगी आदित्यनाथ के राष्ट्रवाद में ग़ैर-भाजपा शासित राज्य फिट क्यों नहीं होते

जिस राष्ट्रवाद की आड़ लेकर भाजपा और उसके नेता अनेक नागरिकों को देशद्रोही क़रार देते हैं, उसी पार्टी के एक मुख्यमंत्री का मतदान से ऐन पहले उत्तर प्रदेश को केरल, बंगाल या कश्मीर बनने से रोकने के लिए प्रेरित करना न सिर्फ इन राज्यों के लोगों का अपमान है बल्कि पार्टी की संकुचित राष्ट्रवाद की परिभाषा पर भी सवाल उठाता है.

हिंदू राष्ट्रवाद भारत को तोड़ सकता है, पर देश एक दिन इसका विरोध करेगाः अरुंधति रॉय

द वायर के लिए करण थापर को दिए साक्षात्कार में अरुंधति रॉय ने कहा कि देश की मौजूदा स्थिति बहुत ही निराशाजनक है लेकिन मुझे भारत के लोगों पर भरोसा है और उम्मीद है कि देश एक दिन इस अंधेरी सुरंग से बाहर निकलेगा.

इस्लामोफोबिया ने भारत में घातक रूप ले लिया हैः नोम चॉम्स्की

अमेरिकी प्रवासी संगठनों द्वारा 'भारत में सांप्रदायिकता' पर आयोजित एक कार्यक्रम में भेजे गए संक्षिप्त संदेश में प्रख्यात अकादमिक और भाषाविद नोम चॉम्स्की ने कहा कि पश्चिम में बढ़ रहे इस्लामोफोबिया ने भारत में सबसे घातक रूप ले लिया है, जहां मोदी सरकार व्यवस्थित ढंग से धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को ख़त्म कर रही है.

भारत विरोधी फ़र्ज़ी ख़बरों को लेकर 60 से अधिक सोशल मीडिया एकाउंट पर रोक लगाई गई: केंद्र

सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने राज्यसभा में बताया कि फ़र्ज़ी खबरें फैलाने वालों और राष्ट्र विरोधी सामग्री के प्रकाशन पर कार्रवाई करते हुए यूट्यूब, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम सहित 60 से अधिक एकांउट पर रोक लगा दी गई है. टेक फॉग ऐप के बारे में पूछे जाने पर मुरुगन ने कहा कि सरकार ने तथ्यों की जांच करने के लिए एक इकाई स्थापित की है.

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