अधिकारियों ने बताया कि उत्तराखंड में 10 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा के दौरान अब तक 52 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है, जिनमें से गंगोत्री में तीन, यमुनोत्री में 12, बद्रीनाथ में 14 और केदारनाथ में 23 श्रद्धालुओं की जान गई है.
अधिकारियों ने बताया है कि चारधाम यात्रा के लिए 22 मई तक कुल 31,18,926 लोगों ने पंजीकरण किया था. भारी भीड़ को देखते हुए चारधाम यात्रा के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन पर 31 मई तक रोक लगा दी गई है.
उत्तराखंड के बद्रीनाथ में पुजारियों और स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन द्वारा चारधाम यात्रा के कथित कुप्रबंधन, बद्रीनाथ में वीआईपी ‘दर्शन’ व्यवस्था बंद करने, स्थानीय लोगों के लिए पारंपरिक मार्गों से बैरिकेड हटाने और पहले की तरह मंदिर में प्रवेश की सुविधा देने सहित अपनी आधा दर्जन से अधिक मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
सिल्कयारा सुरंग में निर्माण के दौरान पिछले 5 वर्षों में 19 से 20 बार ढहने की घटनाएं हुई थीं: रिपोर्ट
राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड के निदेशक ने बताया कि भूस्खलन की घटनाएं हर सुरंग निर्माण के दौरान होती हैं, लेकिन इस बार हम बदकिस्मत रहे, क्योंकि मज़दूर फंस गए थे. उत्तराखंड के सिल्कयारा में बीते 12 नवंबर को निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा ढहने से इसमें फंसे 41 श्रमिकों को 17 दिनों के कड़े संघर्ष के बाद बाहर निकाला गया है.
उत्तराखंड राज्य आपातकालीन नियंत्रण केंद्र के आंकड़ों के मुताबिक़, अप्रैल से शुरू हुई चारधाम यात्रा के दौरान अब तक सर्वाधिक 96 मौतें केदारनाथ मार्ग पर हुईं. इसके बाद यमुनोत्री में 34, बद्रीनाथ में 33, गंगोत्री में 29, हेमकुंड साहिब में 7 और गोमुख में 1 मौत हुई हैं.
देश के हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य में बारिश का कहर जारी है. हिमाचल में कई जगहों पर भूस्खलन हुए हैं, जिससे प्रमुख सड़कें अवरुद्ध हो गईं, घर और मंदिर क्षतिग्रस्त हो गए हैं. उत्तराखंड में में बारिश से जुड़ीं घटनाओं में तीन लोगों की मौत हो गई और 10 लोग लापता बताए गए हैं.
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ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लेखक अमिताव घोष ने कहा कि जब जलवायु परिवर्तन असर दिखा रहा है, मानव हस्तक्षेप आपदा को और बढ़ा रहे हैं. जैसा कि जोशीमठ में हुआ. केदारनाथ और बद्रीनाथ की तीर्थ यात्रा पर जाने का पूरा मतलब यह है कि यह कठिन है. लोगों के वहां जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था करने का कोई मतलब नहीं है. जहां एक ओर पर्यावरण की रक्षा को लेकर बैठकें हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर खनन के लिए
अधिकारियों ने बताया कि दुर्घटना का शिकार हुए श्रद्धालु एक निजी कंपनी के हेलीकॉप्टर से केदारनाथ मंदिर के दर्शन करके वापस लौट रहे थे, तभी केदारनाथ से दो किलोमीटर आगे रास्ते में उनके हेलीकॉप्टर में आग लग गई. घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए गए हैं.
केदारनाथ मंदिर की चारों दीवारें चांदी की परत से ढकी हुई हैं, जिन्हें हटाकर अब सोने की परत चढ़ाई जा रही है. पुजारियों के एक वर्ग का कहना है कि इस प्रक्रिया में बड़ी ड्रिलिंग मशीन के प्रयोग से दीवारों को नुकसान हो रहा है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 26 जून तक चारधाम यात्रा पर आने वाले 203 श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य संबंधी कारणों से जान चली गई. इनमें से सबसे ज़्यादा 97 लोगों की मौत केदारनाथ में हुई, जबकि बद्रीनाथ में 51, यमुनोत्री में 42 और गंगोत्री में 13 तीर्थयात्रियों ने जान गंवाई है.
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, तीन मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा में अब तक स्वास्थ्य समस्याओं के चलते केदारनाथ जाते समय 41, यमुनोत्री जाते समय 20, बद्रीनाथ के रास्ते में 13 और गंगोत्री जाने के दौरान चार तीर्थयात्रियों की जान गई है.
हरिद्वार के हिंदू नेताओं की शंकराचार्य परिषद ने 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर मांग की थी कि ग़ैर-हिंदुओं को चार धाम मंदिरों में प्रवेश करने से रोका जाए. अब मुख्यमंत्री ने कहा है कि ऐसा अभियान चलाया जाएगा कि तीर्थ यात्रा के लिए बाहर से आने वालों का उचित सत्यापन हो और जिनका सत्यापन नहीं हुआ है, वे स्वयं आकर कराएं.
उत्तराखंड के जोखिमग्रस्त पारिस्थितिक क्षेत्रों में सड़कों, ख़ासकर राजमार्ग का निर्माण अनिवार्य तौर पर इस तरह से होना चाहिए कि ये भारत के लिए अपने ही पांव में कुल्हाड़ी मारने वाले न साबित हों.
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस मामले में अभी तक अपना मत नहीं बनाया है. साथ ही कहा कि वह जो सवाल पूछ रही है, वे इस मुद्दे पर संबंधित पक्षों से बेहतर प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए हैं. केंद्र ने शीर्ष अदालत के आठ सितंबर, 2020 के आदेश में संशोधन करने की मांग की है, जिसमें कोर्ट ने चारधाम राजमार्ग परियोजना के लिए निर्धारित कैरिजवे की चौड़ाई 5.5 मीटर का पालन करने को कहा गया था.