अगस्त 2021 में मध्य प्रदेश के इंदौर में हिंदू महिलाओं को कथित तौर पर परेशान करने के आरोप में भीड़ ने एक चूड़ी विक्रेता तस्लीम अली को बुरी तरह पीटा था. अब स्थानीय अदालत ने उन्हें छेड़छाड़ के उस मामले में बरी कर दिया है, जिसके लिए उन्होंने 107 दिन जेल में बिताए थे.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव हर ज़िले में पुलिस बैंड की स्थापना करने के निर्देश दिए हैं. इसका उद्देश्य जनता की नज़रों में पुलिस की सकारात्मक छवि बनाना है.
पिछले सप्ताह सिवनी ज़िले के पिंडरई गांव के पास वैनगंगा नदी में गर्दन कटी 18 गायों के शव मिले थे, जबकि ज़िले के धूमा थाना क्षेत्र के अंतर्गत काकरतला वन क्षेत्र में 19 और 20 जून को 28 गायों और बैलों के शव मिले थे. बाद में ज़िले में ऐसे और भी शव मिले थे.
दिसंबर 2022 में इंदौर के शासकीय नवीन विधि महाविद्यालय में पढ़ाई जा रही एक किताब को लेकर एबीवीपी ने आरोप लगाया था कि इसमें हिंदू समुदाय और आरएसएस के ख़िलाफ़ बेहद आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं, जिनसे धार्मिक कट्टरता को बल मिलता है. इसे लेकर किताब के लेखक, प्रकाशक के अलावा कॉलेज प्रिंसिपल और एक प्रोफेसर के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई थी.
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर ज़िले के नेपानगर थाने का मामला. भीड़ ने शुक्रवार तड़के थाने पर उस समय हमला किया, जब सिर्फ़ चार पुलिसकर्मी ड्यूटी पर थे. डकैत की पहचान हेमा मेघवाल के रूप में हुई, जिसे पुलिस ने एक दिन पहले ही गिरफ़्तार किया था.
मध्य प्रदेश के इंदौर ज़िले की महू तहसील का मामला. पुलिस के अनुसार, बीते 15 मार्च को एक युवती की मौत के बाद उनके रिश्तेदारों और जय आदिवासी युवा संगठन के सदस्यों ने रात में बड़गोंडा पुलिस स्टेशन के तहत डोंगरगांव पुलिस चौकी का घेराव किया. इस दौरान भीड़ हिंसक हो गई और पुलिस फायरिंग में आदिवासी युवक की मौत हो गई.
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एमपी नगर इलाके में स्थित डीबी मॉल का मामला. प्राप्त जानकारी के अनुसार, बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने नमाज़ अदा करने के वीडियो शूट किए और कहा कि वह मॉल में हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे. पुलिस ने बताया कि इस संबंध में अभी तक किसी ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है.
नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर और 11 अन्य पर जनजातीय छात्रों के लिए शैक्षिक सुविधाओं के प्रबंधन के लिए एकत्र किए गए धन का दुरुपयोग करने का आरोप है. पाटकर ने आरोप लगाया कि शिकायत करने वाला एबीवीपी और आरएसएस से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि इस मामले के पीछे राजनीतिक कारण या फिर एफ़आईआर दर्ज कराकर बदनाम करने की साज़िश हो सकती है.
मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में बीते 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हो गई थी. अधिकारी ने बताया कि हिंसा को उकसाने के मुख्य आरोपियों में से एक इक़बाल बानी, अफ़ज़ल और अर्श उर्फ कैफ़ को गिरफ्तार किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 144 के तहत लागू निषेधाज्ञा भी समाप्त कर दी गई है. खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी पर निकाले गए धार्मिक जुलूस के दौरान हुई हिंसा में दुकानों, घरों एवं वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया था. इसके बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था. हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी.
मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में बीते 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा हुई थी, जिसके बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया. ढील न दिए जाने के संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि खरगोन में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और शहर के सभी धार्मिक स्थल मंगलवार को बंद रहेंगे.
वीडियो: मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में सांप्रदायिक हिंसा के बाद यहां से आठ किमी दूर कुकडोल गांव में अब्दुल हमीद और उनका परिवार 12 अप्रैल की रात को तब दहशत में आ गया था, जब 20 वर्षीय बलराम चौहान उर्फ बलराम राजपूत के नेतृत्व में भीड़ ने उनके घर पर धावा बोल दिया. अब्दुल का आरोप है कि भीड़ ने उनकी मूक बधिर बेटी के साथ बलात्कार करने की धमकी दी, उनकी पत्नी के कपड़े फाड़े और पत्थरों से
वीडियो: मध्य प्रदेश के खरगोन शहर में 10 अप्रैल को रामनवमी के जुलूस के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से 28 वर्षीय इबरिस खान लापता हो गए थे. उनका परिवार तब से उन्हें लगातार तलाश रहा था. बीते 17 अप्रैल को पता चला कि एक अज्ञात शव मिला था. खरगोन में फ्रीज़र सुविधा न होने के चलते शव को पोस्टमॉर्टम के बाद इंदौर के एक अस्पताल भेज दिया गया था. शव की पहचान इबरिस के रूप में हुई थी.
मध्य प्रदेश के खरगोन में रामनवमी के अवसर पर निकाली गई शोभायात्रा के दौरान पथराव के चलते दो समुदायों के बीच हिंसा भड़क गई थी, तब से खरगोन कर्फ्यू के साये में है. दो दिनों से कर्फ्यू में कुछ घंटों की ढील दी गई है. पुलिस के मुताबिक, मामले में अब तक 64 एफआईआर दर्ज की गई हैं.
कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले के कोतवाली थाने के भीतर अर्धनग्न अवस्था में खड़े कुछ लोगों की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. आरोप है कि स्थानीय भाजपा विधायक केदारनाथ शुक्ल के इशारे पर पुलिस ने पत्रकार और अन्य लोगों को सबक सिखाने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर उनके कपड़े उतरवाए और लगभग नग्न अवस्था में उनकी तस्वीर सार्वजनिक कर दी.