मणिपुर में हिंसा के बीच सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि उन सभी कर्मचारियों पर 'काम नहीं, वेतन नहीं' नियम लागू किया जा सकता है जो अधिकृत अवकाश के बिना अपनी आधिकारिक ड्यूटी पर नहीं पहुंच रहे हैं.
मणिपुर के प्रभावशाली आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने कहा है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद हितधारकों तक पहुंचने का विचार बहुत देर से व्यक्त किया, जब इतने सारे निर्दोष जीवन और संपत्तियों का नुकसान हो गया और कुकी-ज़ो आदिवासियों को कठिन दौर से गुज़रना पड़ा.
मणिपुर में बीते 3 मई को मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से कम से कम 4,000 हथियार लूटे गए हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों को पुलिस थानों और शस्त्रागारों से लूटे गए हथियारों और गोला-बारूद की सही संख्या का पता नहीं है, क्योंकि रिकॉर्ड रखने वाले रजिस्टर या तो नष्ट कर दिए गए हैं या किसी के द्वारा ले लिए गए हैं.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 24 जून को नई दिल्ली में मणिपुर के हालात पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें राज्य की ओर से एकमात्र प्रतिनिधि पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह थे. उनका कहना है कि हिंसाग्रस्त राज्य में शांति लाने के बारे में अपना मत रखने के लिए उन्हें गृहमंत्री द्वारा पर्याप्त वक़्त नहीं दिया गया.
भारतीय सेना ने प्रतिबंधित मेईतेई विद्रोही समूह कांगलेई यावोल कन्ना लुप के 12 कैडरों को शनिवार दोपहर मणिपुर के इंफाल पूर्वी ज़िले के एक गांव में पकड़ा था. इनमें स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तंबा उर्फ उत्तम भी शामिल था, जो 2015 में 6 डोगरा रेजिमेंट के क़ाफ़िले पर घात लगाकर किए गए हमले का मास्टरमाइंड था, जिसमें 18 जवानों की मौत हो गई थी,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते 22 जून को ह्वाइट हाउस पहुंचे थे. इस दौरान नॉर्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन के सदस्यों ने प्रदर्शन कर राज्य में चल रही जातीय हिंसा पर सरकार की कथित उदासीनता और उसके द्वारा मेईतेई समुदाय का कथित तौर पर समर्थन करने का मुद्दा उठाया.
मणिपुर में पचास दिनों से जारी हिंसा के बीच पांगेई गांव में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण कॉलेज के शस्त्रागार से हथियार और गोला-बारूद लूटने का मामला दर्ज किया था. हालांकि, इसकी पड़ताल के लिए पहुंची सीबीआई की टीम को ग्रामीणों ने परिसर में नहीं जाने दिया.
मणिपुर की स्थिति को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है. विपक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक से अनुपस्थिति इस विषय पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की गंभीरता की कमी को दर्शाती है, जबकि मणिपुर में छह सप्ताह से अधिक समय से भड़की जातीय हिंसा जारी है.
पिछले डेढ़ महीने से मणिपुर में जातीय हिंसा का दौर जारी है. बीते बुधवार को बिष्णुपुर ज़िले में एक आईईडी विस्फोट में एक आठ वर्षीय लड़का और दो किशोर घायल हो गए. वहीं, कांगपोकपी ज़िले के दो गांवों में भी अंधाधुंध गोलीबारी हुई. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति पर चर्चा के लिए 24 जून को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
कांग्रेस सहित दस विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मणिपुर में जातीय हिंसा को हल करने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की. विपक्षी दलों ने हिंसा को रोकने में विफल रहने के लिए केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार की 'बांटो और राज करो की राजनीति' को ज़िम्मेदार ठहराया है.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
पिछले 45 दिनों से मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य के विधायकों के दो प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलने के लिए 15 जून से नई दिल्ली में हैं.
मणिपुर हिंसा के दौरान पुलिस शस्त्रागारों से हथियार लूटने के मामले में दर्ज विभिन्न एफ़आईआर के द वायर द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि एके 47 और इंसास राइफल, बम एवं अन्य आधुनिक हथियार लूटे गए. उपद्रवी बुलेटप्रूफ जैकेट भी ले गए और पुलिस थानों में आग तक लगा दी.
मिज़ोरम से राज्यसभा सांसद के. वेनलेलवना ने कहा कि केंद्र सरकार को मणिपुर में एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को हटा देना चाहिए ताकि केंद्रीय बल 'बेहद पक्षपाती' मणिपुर पुलिस को अपनी कमांड में लेकर राज्य में हो रही जातीय हिंसा को रोक सकें.
देश भर के 550 से अधिक सिविल सोसायटी समूहों और व्यक्तियों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए समुदायों के बीच सदियों पुराने जातीय तनाव को बढ़ा रही है. बयान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मणिपुर में पिछले डेढ़ महीने से जारी जातीय हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ने का आग्रह किया गया है.