वक़्त आ चुका है कि मणिपुर में एन. बीरेन सरकार हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए: राज्यसभा सांसद

मिज़ोरम से राज्यसभा सांसद के. वेनलेलवना ने कहा कि केंद्र सरकार को मणिपुर में एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को हटा देना चाहिए ताकि केंद्रीय बल 'बेहद पक्षपाती' मणिपुर पुलिस को अपनी कमांड में लेकर राज्य में हो रही जातीय हिंसा को रोक सकें. 

मिजोरम से राज्यसभा सांसद के. वेनलेलवना. (फोटो साभार: ट्विटर/VanlalvenaK)

मिज़ोरम से राज्यसभा सांसद के. वेनलेलवना ने कहा कि केंद्र सरकार को मणिपुर में एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को हटा देना चाहिए ताकि केंद्रीय बल ‘बेहद पक्षपाती’ मणिपुर पुलिस को अपनी कमांड में लेकर राज्य में हो रही जातीय हिंसा को रोक सकें.

मिजोरम से राज्यसभा सांसद के. वेनलेलवना. (फोटो साभार: ट्विटर/VanlalvenaK)

नई दिल्ली: मिजोरम से एकमात्र राज्यसभा सदस्य के. वेनलेलवना ने मणिपुर में शनिवार को राष्ट्रपति शासन की मांग की और राज्य में जारी हिंसा के लिए केंद्र की आलोचना की.

टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में वेनलेलवना ने कहा कि केंद्र सरकार को मणिपुर में एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार को हटा देना चाहिए ताकि केंद्रीय बल ‘बेहद पक्षपाती’ मणिपुर पुलिस को अपनी कमांड में लेकर राज्य में हो रही जातीय हिंसा को रोक सकें.

उन्होंने कहा कि मेईतेई लोगों और पहाड़ी जनजातियों के लिए एक अलग प्रशासन के बिना लंबे समय तक शांति लाना असंभव होगा. उन्होंने दोनों समुदायों के बीच शांति सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बलों के साथ इंफाल घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों के बीच एक बफर जोन बनाने का भी सुझाव दिया.

भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के घटक मिजो नेशनल फ्रंट से आने वाले सांसद ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें मणिपुर में घटनाओं का अध्ययन करने के लिए एक संयुक्त संसदीय दल गठित करने की गुजारिश की गई थी.

इंडियन एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में वेनलेलवना ने कहा कि हिंसा को रोकने के दो तत्काल उपाय हैं. पहला कि मेईतेई और कुकी समुदाय के लिए अलग-अलग प्रशासन लाना और दूसरा- राष्ट्रपति शासन लगाना.

पहले बिंदु को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा, ‘दोनों समुदायों को एकदूसरे से सुरक्षित रहने की जरूरत है. मेईतेई भले संख्या में ज्यादा हैं लेकिन उन्हें बचाने की ज़रूरत है. यही बात आदिवासियों पर भी लागू होती है.

राष्ट्रपति शासन की मांग को जायज़ ठहराते हुए उन्होंने जोड़ा, ‘हिंसा बहुत लंबे समय से जारी है – और अब समय आ गया है कि बीरेन सिंह सरकार को हटा दिया जाए. केंद्र को मणिपुर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए. केंद्रीय बलों मामला अपने हाथ में लेना होगा. शांति स्थापित करने के लिए ये दो चीजें जरूरी हैं क्योंकि दोनों समुदायों ने काफी पीड़ा झेल चुके हैं.’

यह पूछे जाने पर कि मणिपुर में मिजोरम द्वारा राज्य के अंदरुनी मसलों में दखल देने के आरोप उठ रहे हैं, वेनलेलवना ने कहा, ‘हमें दखल देना होगा… क्योंकि वे [कुकी] हमारे भाई-बहन हैं. वे सभी ज़ो लोग हैं, जो जातीय रूप से हमसे संबंधित हैं. हम उन्हें प्यार करते हैं क्योंकि वे हमसे प्यार करते हैं. मैंने ट्विटर पर यहां तक लिखा कि अगर उन्हें [मणिपुर की मिजो एथनिक जनजातियों को] लगता है कि उनका प्रतिनिधित्व करने वाला उनका अपना सांसद नहीं है, तो मैं उनका सांसद हूं.’

उन्होंने यह भी बताया कि मणिपुर से विस्थापित होकर उनके राज्य पहुंचने वाले लोगों के लिए एक समिति गठित की गई है. ‘बच्चों को स्कूल में दाखिला देने के लिए आधिकारिक सर्कुलर जारी किए गए हैं. कई एनजीओ हैं- मिजो स्टूडेंट यूनियन, मिजो जिरलाई पॉल, यंग मिजो एसोसिएशन, जो संयुक्त रूप से शिविर लगा रहे हैं, चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. कई जगह तो वे राज्य सरकार से ज्यादा भी कर रहे हैं.’

बताया जा रहा है कि मणिपुर में हिंसा के बाद से करीब दस हजार लोगों ने मिजोरममें शरण ली है. राज्य सरकार इसे कैसे संभाल रही है, या पूछे जाने पर वेनलेलवना ने कहा, ‘मणिपुर के अलावा हमारे यहां म्यांमार से आए 30,000 से अधिक शरणार्थी हैं. बांग्लादेश से आए 2,000. हम उनकी मदद करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं… लेकिन हम अमीर राज्य नहीं हैं… मिजोरम के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में फंड के अनुरोध को लेकर केंद्रीय गृह सचिव से मुलाकात की थी. गृह सचिव ने कहा कि इन लोगों [मणिपुर से विस्थापित] की रक्षा करना केंद्रीय मंत्रालय का कर्तव्य था. उन्होंने मदद करने का वादा किया है… हालांकि, उन्होंने अभी तक किसी राशि का जिक्र नहीं किया है.

उल्लेखनीय है कि मणिपुर में बीते डेढ़ महीने से अधिक समय से जातीय संघर्ष जारी हैं. ताजा घटनाक्रम में उपद्रवी भीड़ द्वारा राज्य के भाजपा नेताओं के घर आग लगाने का प्रयास किया गया.

इंफाल में बीती सप्ताह से व्याप्त तनावपूर्ण माहौल शुक्रवार और शनिवार की दरम्यानी रात को भी जारी रहा. शहर से भीड़ के जुटने और तोड़-फोड़ के प्रयास और आगजनी की कई घटनाओं की भी सूचना मिली थी. पुलिस और सेना के सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार रात संघर्षग्रस्त मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के क्वाकटा और चूड़ाचांदपुर जिले के कांगवई से स्वचालित हथियारों से गोलीबारी की गई और शनिवार सुबह तक रुक-रुककर गोलीबारी की खबरें आ रही थीं.

इससे पहले बुधवार शाम को भाजपा विधायक और राज्य के कैबिनेट में एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन के इंफाल पश्चिम स्थित सरकारी क्वार्टर में आग लगा दी गई थी. इंफाल पूर्वी जिले में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह के घर पर भीड़ ने आग लगा दी थी. दोनों ही नेता घटना के समय घर पर नहीं थे.

अपना घर जलाए जाने पर केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री सिंह ने कहा था कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से विफल हो चुकी है.

इस बीच, राज्य इंटरनेट पर प्रतिबंध 20 जून तक बढ़ा दिया गया है. बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. लगभग 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

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