हाथरस मामला: एडिटर्स गिल्ड ने मीडिया को रोकने के लिए यूपी सरकार की आलोचना की

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपने बयान में कहा कि मीडिया को घटनास्थलों का दौरा करने की अनुमति नहीं देना और फोन पर पत्रकारों की बातचीत को टैप करना मीडिया के कामकाज को बाधित करने के साथ उसे कमतर करना भी है.

बाबरी मस्जिद विध्वंस फ़ैसला और हिंदी अख़बारों के संपादकीय

बाबरी विध्वंस मामले को लेकर सीबीआई कोर्ट के फ़ैसले की आलोचना पर जहां अंग्रेज़ी अख़बारों के संपादकीय मुखर रहे, वहीं हिंदी अख़बारों के संपादकीय ‘बीती ताहि बिसार दे’ वाला रवैया अपनाते दिखे.

मीडिया बोल: हाथरस की बेटी के गुनाहगार, सरकार और मीडिया

वीडियो: यूपी के हाथरस की 19 वर्षीय गैंगरेप पीड़िता के बारे में देश के न्यूज़ चैनलों ने ख़बर दिखाना तब शुरू किया, जब दिल्ली के अस्पताल में उनकी मौत के कई घंटे बाद कार्यकर्ता सड़कों पर आ गए. इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार रवि अरोड़ा और सामाजिक कार्यकर्ता ऋतु सिंह से उर्मिलेश की बातचीत.

छत्तीसगढ़: कांग्रेस नेताओं ने कथित तौर पर पत्रकार पर हमला किया, एफआईआर दर्ज

छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले का मामला. पत्रकार कमल शुक्ला ने कांग्रेस नेताओं पर मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है. वहीं एक कांग्रेस नेता ने कमल शुक्ला पर जान से मारने की धमकी देने की शिकायत पुलिस से की है. पुलिस इसे आपसी रंज़िश का मामला बता रही है.

डिजिटल मीडिया से मोदी सरकार को क्यों डर लगता है?

वीडियो: सुदर्शन टीवी के विवादित कार्यक्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में मीडिया नियमन के प्रस्ताव पर केंद्र ने कहा है कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की जगह ऐसा पहले डिजिटल मीडिया के लिए किया जाना चाहिए. इस मुद्दे पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

मीडिया बोल: बॉलीवुड की जगह नए ‘चलचित्रपुरम्’ की तैयारी!

वीडियो: सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या-हत्या के लंबे चले विवाद के बाद अब सत्ताधारियों और टीवी चैनलों के निशाने पर सीधे बॉलीवुड है. इसी विषय पर फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज और टीवी पत्रकार डॉ. मुकेश कुमार से वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की बातचीत.

हम अच्छे काम में भरोसा रखते हैं और संविधान के हिसाब से ही काम करते हैं: ज़कात फाउंडेशन प्रमुख

साक्षात्कार: सुदर्शन न्यूज़ के विवादित ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम में ज़कात फाउंडेशन पर कई तरह के आरोप लगाए गए हैं. इस कार्यक्रम, उससे जुड़े विवाद और आरोपों को लेकर ज़कात फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष सैयद ज़फर महमूद से बातचीत.

अभिव्यक्ति की आज़ादी और मानवीय गरिमा में संतुलन को लेकर चिंतित: सुप्रीम कोर्ट

सुदर्शन टीवी के विवादित कार्यक्रम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में अदालत के मीडिया नियमन के प्रस्ताव पर केंद्र ने एक हलफनामे में कहा है कि अगर वे इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के लिए दिशानिर्देश देना ज़रूरी समझते हैं, तो समय की दरकार है कि ऐसा पहले डिजिटल मीडिया के लिए किया जाना चाहिए.

जस्टिस अरुण मिश्रा के न्यायिक परंपराओं की अनदेखी की वजह उनका रूढ़िवादी नज़रिया है

जस्टिस अरुण मिश्रा द्वारा प्रार्थनास्थलों पर सरकार की नीति, अश्लीलता और लैंगिक न्याय को लेकर दिए गए फ़ैसले क़ानूनी पहलुओं से ज़्यादा उनके निजी मूल्यों पर आधारित नज़र आते हैं.

मीडिया में संदेश जाना चाहिए कि समुदाय विशेष को निशाना नहीं बनाया जा सकता: जस्टिस चंद्रचूड़

सुदर्शन न्यूज़ के एक कार्यक्रम के विवादित एपिसोड के प्रसारण की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का किसी पर रोक लगाना न्यूक्लियर मिसाइल की तरह है, लेकिन हमें आगे आना पड़ा क्योंकि किसी और द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी.

प्रिंट-इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए पर्याप्त नियमन मौजूद, डिजिटल मीडिया का नियमन पहले हो: केंद्र

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि डिजिटल मीडिया के नियमन संबंध में फ़ैसला लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह बहुत तेज़ी से लोगों के बीच पहुंचता है और वॉट्सएप, ट्विटर तथा फेसबुक जैसी ऐप के चलते किसी भी जानकारी के वायरल होने की संभावना रहती है.

मीडिया बोल: रेडियो रवांडा के नक़्शेक़दम पर भारतीय न्यूज़ चैनल

वीडियो: ख़बरें देने के नाम पर भारतीय टीवी चैनलों पर कोई 'यूपीएससी ज़िहाद' दिखा रहा है, तो कोई पढ़े-लिखों को किसी झूठे केस में फंसाने की सियासी साज़िश में जुटा है. मीडिया बोल की इस कड़ी में इन्हीं मुद्दों पर सत्य हिंदी के संपादक शीतल सिंह और वरिष्ठ पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता से चर्चा कर रहे हैं उर्मिलेश.

सुप्रीम कोर्ट ने ‘यूपीएससी जिहाद’ कार्यक्रम को मुस्लिमों को बदनाम करने की कोशिश कहा, लगाई रोक

सुदर्शन न्यूज़ के बिंदास बोल कार्यक्रम के 'नौकरशाही जिहाद' एपिसोड के प्रसारण को रोकते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश की शीर्ष अदालत होने के नाते यह कहने की इजाज़त नहीं दे सकते कि मुस्लिम सिविल सेवाओं में घुसपैठ कर रहे हैं. और यह नहीं कहा जा सकता कि पत्रकार को ऐसा करने की पूरी आज़ादी है.

सुशांत-कंगना का सुर्ख़ियों में बने रहना मीडिया की छद्म जनमत निर्माण की बढ़ती ताक़त की बानगी है

मीडिया के पास कुछ हद तक जनमत निर्माण की ताक़त हमेशा से थी, मगर उसकी एक सीमा थी, उनके द्वारा उठाए मुद्दे में कुछ दम होना ज़रूरी होता था. आज हाल यह है कि मीडिया में भारत-चीन सीमा विवाद से ज़्यादा तवज्जो कंगना रनौत विवाद को दी जा रही है.

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