संविधान का ढांचा तो औपचारिक रूप से बरक़रार है, पर उसकी आत्मा का हनन रोज़ हो रहा है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: जैसे अक्सर क्रांति को क्रांति की संतानें ही खा जाती हैं वैसे ही संविधान की संतानें, राजनीतिक दल, लोकतांत्रिक पद्धति से चुनी गई सरकारें संविधान को कुतर-काट रहे हैं.

‘महात्मा’ हरगोविंद: मुक्तिकामी लेखन और जागरूक करने वाली पत्रकारिता के पैरोकार

पुण्यतिथि विशेष: जनता को जागरूक करने वाली पत्रकारिता के लक्ष्य को लेकर 'महात्मा' हरगोविंद ने 1958 में सहकारिता का सफल प्रयोग करते हुए ‘जनमोर्चा’ का प्रकाशन शुरू किया. पांच लोगों के पंद्रह-पंद्रह रुपयों के योगदान से शुरू हुआ यह अख़बार आज भी व्यक्तिगत मालिकाने के बिना चल रहा है.

पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को लंबे समय तक ज़ब्त रखना प्रेस की स्वतंत्रता पर आघात: अदालत

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन सिंह राजावत ने निचली अदालत के आदेश को बरक़रार रखते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें दिल्ली पुलिस को द वायर के कर्मचारियों से ज़ब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को वापस करने के लिए कहा गया था. भाजपा के एक नेता द्वारा द वायर के ख़िलाफ़ शिकायत के बाद अक्टूबर 2022 में पुलिस ने इन उपकरणों को ज़ब्त किया था.

16 भारतीय पत्रकारों पर यूएपीए के तहत आरोप लगाए गए हैं, वर्तमान में 7 सलाखों के पीछे हैं

पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, वकीलों, छात्रों, श्रमिकों और आदिवासियों पर आरोप लगाने के लिए यूएपीए का अंधाधुंध इस्तेमाल किया गया है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में जन सुरक्षा क़ानून (पीएसए) और छत्तीसगढ़ जन सुरक्षा अधिनियम, राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (एनएसए) और आईपीसी में राजद्रोह जैसे अन्य कठोर अधिनियम भी लागू किए गए हैं.

18 मीडिया संगठनों ने सीजेआई को पत्र लिखकर प्रेस की आज़ादी पर हमले को लेकर चिंता जताई

न्यूज़क्लिक के पत्रकारों और उससे जुड़े लोगों के यहां छापे, पूछताछ और गिरफ़्तारी के बाद देशभर के पत्रकारों और मीडिया संस्थानों के अठारह संगठनों ने देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे पत्र में पत्रकारों से पूछताछ और उनसे फोन आदि की जब्ती के लिए दिशानिर्देश तैयार करने गुज़ारिश की है. 

पत्रकारों के यहां छापों पर अरुंधति रॉय ने कहा- आपातकाल से भी ज़्यादा ख़तरनाक हालात

लेखक-कार्यकर्ता अरुंधति रॉय ने न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों पर छापेमारी को लेकर विरोध जताते हुए कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी 2024 में वापस सरकार में आती है तो देश लोकतंत्र नहीं रहेगा.

न्यूज़क्लिक ने आधिकारिक बयान में कहा- अब तक नहीं मिली एफआईआर की कॉपी, अपराध का विवरण

न्यूज़क्लिक ने इसके पत्रकारों और स्टाफ के यहां हुई छापेमारी, पूछताछ और गिरफ़्तारी के बाद जारी बयान में कहा है कि वे ऐसी सरकार, जो पत्रकारिता की आज़ादी का सम्मान नहीं करती और आलोचना को राजद्रोह या 'एंटी-नेशनल' दुष्प्रचार मानती है, की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं.

स्वतंत्र पत्रकारिता को डराने का प्रयास जारी है

एक पूरे मीडिया संगठन पर 'छापेमारी' करना और उचित प्रक्रिया के बिना पत्रकारों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को छीन लेना स्वतंत्र प्रेस के लिए एक बुरा संकेत है, लेकिन लोकतंत्र के लिए उससे भी बदतर है.

दिल्ली: पत्रकारों के यहां छापे-पूछताछ की आलोचना, मीडिया संगठनों ने कहा- धमकाने की कोशिश

न्यूज़क्लिक से जुड़े पत्रकारों, कार्यकर्ताओं आदि के यहां छापेमारी, उनके मोबाइल, लैपटॉप आदि को ज़ब्त करने और पूछताछ की कार्रवाई की आलोचना करते हुए पत्रकार संगठनों, कार्यकर्ताओं और विपक्ष ने इसे मीडिया को डराने की कोशिश क़रार दिया है.

बाहरी भाषा-व्यवहार और संसदीय भाषा-व्यवहार के बीच भद्रता की दीवार दरक रही है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: पिछले एकाध दशक में गाली का व्यवहार बहुत फैला और मान्य हुआ है. हम इसे अपने लोकतंत्र का गाली-समय भी कह सकते हैं.

प्रेस काउंसिल ने महामारी के दौरान पत्रकारों की छंटनी के अध्ययन के लिए समिति गठित की

भारतीय प्रेस परिषद ने मार्च 2020 से लेकर फरवरी 2021 की अवधि के दौरान नौकरी से निकाले गए पत्रकारों को एक ऑनलाइन फॉर्म भरने या विवरण के साथ ईमेल भेजने के लिए कहा है.

‘ह्वाइल वी वॉच्ड’ लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्ष में खड़े एक निहत्थे पत्रकार की वेदना है

‘ह्वाइल वी वॉच्ड’ डॉक्यूमेंट्री घने होते अंधेरों की कथा सुनाती है कि कैसे इसके तिलस्म में देश का लोकतांत्रिक ढांचा ढहता जा रहा है और मीडिया ने तमाम बुनियादी मुद्दों और ज़रूरी सवालों की पत्रकारिता से मुंह फेर लिया है.

जब सांप्रदायिकता और पत्रकारिता में भेद मिट जाए, तब इसका विरोध कैसे करना चाहिए?

जब पत्रकारिता सांप्रदायिकता की ध्वजवाहक बन जाए तब उसका विरोध क्या राजनीतिक के अलावा कुछ और हो सकता है? और जनता के बीच ले जाए बग़ैर उस विरोध का कोई मतलब रह जाता है? इस सवाल का जवाब दिए बिना क्या यह समय बर्बाद करने जैसा नहीं है कि 'इंडिया' गठबंधन का तरीका सही है या नहीं.

मणिपुर हिंसा की रिपोर्ट पर एडिटर्स गिल्ड के ख़िलाफ़ केस अभिव्यक्ति की आज़ादी के ख़िलाफ़: कोर्ट

हिंसाग्रस्त मणिपुर संबंधी एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर राज्य पुलिस द्वारा दायर एफआईआर को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि गिल्ड अपनी रिपोर्ट में सही या ग़लत हो सकता है, लेकिन अपने विचार रखने की स्वतंत्रता का अधिकार है.

‘इंडिया’ गठबंधन के नफ़रती एंकरों का बहिष्कार करने से क्या फ़र्क़ पड़ेगा?

वीडियो: विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन ने चौदह न्यूज़ एंकरों के नामों की घोषणा करते हुए कहा है कि इनके शो पर गठबंधन में शामिल कोई भी दल अपना प्रतिनिधि नहीं भेजेगा. इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

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