कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: पिछले एकाध दशक में गाली का व्यवहार बहुत फैला और मान्य हुआ है. हम इसे अपने लोकतंत्र का गाली-समय भी कह सकते हैं.
भारतीय प्रेस परिषद ने मार्च 2020 से लेकर फरवरी 2021 की अवधि के दौरान नौकरी से निकाले गए पत्रकारों को एक ऑनलाइन फॉर्म भरने या विवरण के साथ ईमेल भेजने के लिए कहा है.
‘ह्वाइल वी वॉच्ड’ डॉक्यूमेंट्री घने होते अंधेरों की कथा सुनाती है कि कैसे इसके तिलस्म में देश का लोकतांत्रिक ढांचा ढहता जा रहा है और मीडिया ने तमाम बुनियादी मुद्दों और ज़रूरी सवालों की पत्रकारिता से मुंह फेर लिया है.
जब पत्रकारिता सांप्रदायिकता की ध्वजवाहक बन जाए तब उसका विरोध क्या राजनीतिक के अलावा कुछ और हो सकता है? और जनता के बीच ले जाए बग़ैर उस विरोध का कोई मतलब रह जाता है? इस सवाल का जवाब दिए बिना क्या यह समय बर्बाद करने जैसा नहीं है कि 'इंडिया' गठबंधन का तरीका सही है या नहीं.
हिंसाग्रस्त मणिपुर संबंधी एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर राज्य पुलिस द्वारा दायर एफआईआर को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि गिल्ड अपनी रिपोर्ट में सही या ग़लत हो सकता है, लेकिन अपने विचार रखने की स्वतंत्रता का अधिकार है.
वीडियो: विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन ने चौदह न्यूज़ एंकरों के नामों की घोषणा करते हुए कहा है कि इनके शो पर गठबंधन में शामिल कोई भी दल अपना प्रतिनिधि नहीं भेजेगा. इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय को तीन महीने के भीतर ‘पुलिसकर्मियों द्वारा मीडिया ब्रीफिंग पर एक व्यापक मैनुअल’ तैयार करने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि मीडिया रिपोर्टिंग जो किसी आरोपी को फंसाती है, वह अनुचित है. पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग से जनता में यह संदेह भी पैदा होता है कि उस व्यक्ति ने अपराध किया है. रिपोर्टिंग पीड़ितों की निजता का भी उल्लंघन कर सकती हैं.
इंडिया 'गठबंधन' की समन्वय समिति की पहली बैठक बुधवार को नई दिल्ली में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के आवास पर हुई थी, जहां 12 दलों के नेताओं के बीच जाति जनगणना के मुद्दे पर आम सहमति बनी.
हिंसाग्रस्त मणिपुर संबंधी एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट को लेकर राज्य पुलिस द्वारा अपने खिलाफ दायर की गई एफ़आईआर का सामना कर रहे एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में बतया कि सेना के अनुरोध पर उसकी टीम ने वहां का दौरा किया था. पत्र में सेना ने स्थानीय मीडिया पर एक समुदाय के प्रति पक्षपाती होने का आरोप लगाया था.
जी-20 और उसके बाहर के देशों में भी मीडिया के सामने पेश आ रही समान मुश्किलों और ख़तरों के बावजूद न ही जी-20 सरकारों की- और निश्चित रूप से न ही जी-20 के वर्तमान अध्यक्ष की मीडिया की आज़ादी पर चर्चा में कोई दिलचस्पी है.
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प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, भारतीय विमेन प्रेस कोर, प्रेस एसोसिएशन, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन ने कहा कि 'द कश्मीर वाला' के ख़िलाफ़ सरकार की कार्रवाई 'प्रेस की आज़ादी की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाती है.'
वीडियो: श्रीनगर से संचालित होने वाली 'द कश्मीरवाला' न्यूज़ वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया गया है और इसके ट्विटर और फेसबुक पेज भी ब्लॉक हो चुके हैं. अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से सूबे में मीडिया के क्या हालात हैं, बता रहे हैं अजय कुमार.
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'तानाशाही प्रथाओं को बढ़ाने के लिए डिजिटल कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल' को दर्ज करने वाले 'अनफ्रीडम मॉनिटर' प्रोजेक्ट में 20 देश शामिल थे. रिपोर्ट में भारत के प्रधानमंत्री, सत्तारूढ़ पार्टी और उनके 'फॉलोवर्स' का ज़िक्र 'सूचना को नियंत्रित करने की मांग करने वाली सरकारों' पर हुई चर्चा में किया गया है.