द गार्डियन की एक रिपोर्ट बताती है कि फेसबुक और इंस्टाग्राम के मालिक मेटा ने भारत के चुनाव के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से हेरफेर कर बनाए गए ऐसे राजनीतिक विज्ञापनों को मंज़ूरी दी, जो ग़लत सूचना फैलाते थे और धार्मिक हिंसा भड़काने वाले थे.
द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने अपनी एक रिपोर्ट में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उन आवाजों को अनुचित तरीके से दबाने और हटाने के एक पैटर्न का दस्तावेज़ीकरण किया है, जिसमें फिलिस्तीन के समर्थन में शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति और मानवाधिकारों के बारे में बहस शामिल है.
संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के 33 राज्यों ने इंस्टाग्राम और फेसबुक की मूल कंपनी मेटा पर मुक़दमा दायर करते हुए आरोप लगाया है कि मेटा जानबूझकर अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के ज़रिये युवाओं को इनकी लत लगा रहा है, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं.
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विपक्षी दलों के समूह ‘इंडिया गठबंधन’ ने द वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए फेसबुक के मुख्य कार्यकारी मार्क जुकरबर्ग और गूगल के सीईओ सुंदर पिचई को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि मेटा/फेसबुक भारत में सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक नफ़रत को भड़काने का दोषी है.
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि श्रीनगर में भारतीय सेना की चिनार कॉर्प्स से जुड़े फ़र्ज़ी सोशल मीडिया एकाउंट्स के ज़रिये उनका नैरेटिव फैलाया गया और कश्मीरी पत्रकारों को निशाना बनाया गया. भारत में फेसबुक के अधिकारियों को मेटा नियमों के इस उल्लंघन की जानकारी होने के बावजूद सरकारी कार्रवाई के डर से उन्होंने कोई क़दम नहीं उठाया.
एशिया इंटरनेट कोअलिशन के अलावा इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित विभिन्न प्रेस निकायों ने कानून और स्वतंत्र प्रेस पर इसके प्रभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की है. इनकी ओर से कहा गया था कि आईटी नियम सरकार या उसकी नामित एजेंसी को कोई ख़बर फ़र्जी है या नहीं, यह निर्धारित करने के लिए ‘पूर्ण’ और ‘मनमानी’ शक्ति प्रदान करेंगे.
यूट्यूब के अनुसार, हरियाणा के भिवानी में राजस्थान के दो मुस्लिम युवकों की गो तस्करी के आरोप में बेरहमी से हत्या मामले के संदिग्ध मोनू मानेसर ने कंपनी की क्रिएटर्स पॉलिसी का उल्लंघन किया है. मोनू मानेसर के कुछ वीडियो पर उम्र संबंधी प्रतिबंध भी लगाए गए हैं.
भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हमलों की निगरानी करने वाले एक एक्टिविस्ट द्वारा रिपोर्ट किए जाने पर फेसबुक ने इन पोस्ट को हटाने से इनकार कर दिया. हालांकि, जब वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस संबंध में पूछताछ की, उसके बाद इन्हें हटाया गया.
दुनिया भर के कम से कम 21 भारतीय प्रवासी संगठनों ने 'द वायर' पर छापे को भारत में पत्रकारिता और प्रेस की स्वतंत्रता में लगातार आ रही गिरावट के तौर पर देखा है और कहा है कि छापेमारी और कुछ नहीं, बल्कि सरकार से सवाल पूछने वाले पत्रकारों को धमकाने और चुप कराने की सरकारी शक्ति का सार्वजनिक प्रदर्शन था.
भाजपा नेता अमित मालवीय की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने ‘द वायर’ के दफ़्तर और इसके संपादकों के घरों में तलाशी लेते हुए कई डिजिटल उपकरण ज़ब्त किए थे. एडिटर्स गिल्ड ने दिल्ली पुलिस से जांच में निष्पक्षता बरतने की अपील करते हुए कहा कि वे लोकतांत्रिक सिद्धांतों का अपमान करने वाले तरीके न अपनाएं.
भाजपा नेता अमित मालवीय की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने 31 अक्टूबर को दिल्ली में द वायर के दफ़्तर समेत संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु, डिप्टी एडिटर जाह्नवी सेन और मुंबई में सिद्धार्थ भाटिया और प्रोडक्ट कम बिज़नेस हेड मिथुन किदांबी के घर तलाशी लेते हुए विभिन्न उपकरणों को ज़ब्त किया था.
द वायर स्वीकार करता है कि इसकी मेटा संबंधी रिपोर्ट्स के प्रकाशन से पहले की आंतरिक संपादकीय प्रक्रियाएं उन मानकों को पूरा नहीं करती थीं जो द वायर ने अपने लिए तय किए हैं और जिनकी इसके पाठक इससे उम्मीद करते हैं.
अब तक की समीक्षा में सामने आई विसंगतियों के मद्देनज़र द वायर इसकी मेटा कवरेज में शामिल तकनीकी टीम द्वारा की गई पिछली रिपोर्टिंग की भी गहन समीक्षा करेगा.