पिछले पांच वर्षों में जीएसटी क़ानून निश्चित रूप से बदलाव हुए हैं और समय-समय पर संशोधनों के ज़रिये करदाताओं के सामने आने वाले कई मुद्दे स्पष्ट हुए हैं. लेकिन अब भी कई ऐसे मसले बाक़ी हैं जो जीएसटी व्यवस्था के अमल को प्रभावित करते हैं.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, मई में भारत की बेरोज़गारी दर 7.1% रही. आंकड़े मूल रूप से दावा करते हैं कि सही प्रकार की नौकरियां न मिलने से निराश होकर कामकाजी उम्र के 90 करोड़ भारतीयों में से आधों, विशेष रूप से महिलाओं, ने रोज़गार की तलाश करना ही बंद कर दिया है.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री नारायण राणे ने बताया कि उनके मंत्रालय द्वारा कराए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 67 फीसदी एमएसएमई तीन महीने से अस्थायी तौर पर बंद थे और 50 फीसदी से अधिक इकाइयों ने अपने राजस्व में 25 फीसदी से अधिक की गिरावट का सामना किया.
राष्ट्रीय कार्मिक प्रबंधन संस्थान द्वारा आयोजित वेब बैठक में विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने कहा कि सरकार, कंपनियों के प्रबंधन, श्रमबल को मिलकर समन्वित तरीके से काम करना होगा तभी अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकाला जा सकेगा और वृद्धि को प्रोत्साहन दिया जा सकेगा.
अगले छह महीनों में विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था में अधिक तेज़ी से होने वाले जिस सुधार को लेकर प्रधानमंत्री इतने आश्वस्त हैं, वह भारी-भरकम सरकारी ख़र्च के बिना असंभव लगता है. अर्थव्यवस्था को इतना नुकसान पहुंचाया जा चुका है कि सुधार की कोई कार्य योजना पेश करने से पहले गंभीरता से इसका अध्ययन करना ज़रूरी है.
ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन द्वारा कराया गया ये सर्वे एमएसएमई, स्व-रोजगार, कॉरपोरेट सीईओ और कर्मचारियों से प्राप्त कुल 46,525 जवाबों पर आधारित है.
सूक्ष्म,लघु और मध्यम उपक्रम यानी एमएसएमई क्षेत्र के लिए सरकार ने तीन लाख करोड़ रुपये के गारंटी फ्री लोन का ऐलान किया है. उम्मीद की जा रही है कि यह बेरोज़गारी के संकट को ख़त्म करने में मददगार साबित होगा और बाज़ार में मांग पैदा करेगा, लेकिन इस क्षेत्र के हालात ऐसे नहीं है कि सिर्फ एक लोन पैकेज से तस्वीर बदल जाए.
केंद्र सरकार पहले भी राजकोषीय घाटा कम करने के लिए आरबीआई से अंतरिम लाभांश ले चुकी है. पिछले साल सरकार ने आरबीआई से 28 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश लिया था. इससे पहले 2017-18 में इस तरह से 10 हजार करोड़ रुपये लिए गए थे.
पिछले साल इसी अवधि में आपात कोष 2.32 लाख करोड़ रुपये पर था. यह वह कोष है जो केंद्रीय बैंक आपात स्थिति से निपटने के लिए अपने पास रखता है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री इसको लेकर बेखबर हैं कि उनके खुद के द्वारा पैदा की गई आर्थिक त्रासदी को कैसे दूर किया जाए. आरबीआई से चुराने से काम नहीं चलने वाला है. यह किसी दवाखाने से बैंड-एड चुराकर, गोली लगने से हुए घाव पर लगाने जैसा है.
आरबीआई के निदेशक मंडल ने केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद यह कदम उठाया है. आरबीआई ने सरकार को जो राशि देने का फैसला किया है वह पिछले पांच सालों के मुकाबले तीन गुना अधिक है.
भाजपा ने अपने 2019 के संकल्प पत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि मानने, आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टालरेंस की नीति अपनाने, किसानों और छोटे दुकानदारों के लिए 60 वर्ष की उम्र के बाद पेंशन की योजना सहित नए भारत के निर्माण के लिए लोगों से जनादेश मांगा.
आरबीआई में वित्त वर्ष जुलाई से जून की अवधि में होता है और अमूमन वह अगस्त में खाता बंद होने के बाद ही सरकार को लाभांश देता है. हालांकि, आरबीआई ने अंतरिम लाभांश की रकम तय करने के लिए पहली बार अपने छमाही खातों का ऑडिट कराया है.
उन 35 लाख लोगों को प्रधानमंत्री सपने में आते होंगे, जिनके एक सनक भरे फैसले के कारण नौकरियां चली गईं. नोटबंदी से दर-ब-दर हुए इन लोगों तक सपनों की सप्लाई कम न हो इसलिए विज्ञापनों में हज़ारों करोड़ फूंके जा रहे हैं. मोदी सरकार ने साढ़े चार साल में करीब 5000 करोड़ रुपये इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट के विज्ञापनों पर ख़र्च किए हैं.
भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुसार, मार्च 2017 तक लोन न चुकाने का मार्जिन 8,249 करोड़ था जो मार्च 2018 तक बढ़कर 16,111 करोड़ रुपये हो गया.