बीते दिनों एक अमेरिकी डिजिटल फॉरेंसिक फर्म की रिपोर्ट में पाया गया था कि एल्गार परिषद मामले के एक आरोपी आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के लैपटॉप में उन्हें फंसाने वाले दस्तावेज़ प्लांट किए गए थे. 84 वर्षीय स्वामी की जुलाई 2021 में अस्पताल में उस समय मौत हो गई थी, जब वह चिकित्सा के आधार पर ज़मानत का इंतज़ार कर रहे थे.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर हेनी बाबू के वकील युग चौधरी ने बताया कि पीठ ने निर्देश दिया है कि उनके मुवक्किल को मोतियाबिंद का ऑपरेशन और चिकित्सकीय जांच के लिए 20 दिसंबर को अस्पताल ले जाया जाए और 24 दिसंबर को वापस जेल ले आया जाए.
मैसाच्युसेट्स स्थित डिजिटल फॉरेंसिक फर्म आर्सेनल कंसल्टिंग की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टेन स्वामी लगभग पांच वर्ष तक एक मैलवेयर कैंपेन के निशाने पर थे, जब तक कि जून 2019 में पुलिस द्वारा उनके उपकरण ज़ब्त नहीं किए गए.
साल 2008 में नासिक ज़िले के मालेगांव में हुए बम धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी और सौ से अधिक घायल हुए थे. भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने मामले में ख़ुद को आरोपमुक्त करने की मांग की थी. उनके साथ ही सह-आरोपी समीर कुलकर्णी और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने भी अपनी याचिकाएं वापस ले ली हैं.
एल्गार परिषद मामले की जांच कर रही एनआईए ने बॉम्बे हाईकोर्ट से सामाजिक कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली ज़मानत के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने एनआईए से कहा कि वे हाईकोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप नहीं करेंगे.
कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने 22 नवंबर 2022 को गिरफ़्तार किया था. उनकी गिरफ़्तारी के एक साल पूरे होने पर मानवाधिकार समूहों ने कहा कि उनकी मनमानी हिरासत भारतीय अधिकारियों द्वारा जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार रक्षकों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन की एक लंबी सूची का हिस्सा है.
एनआईए ने सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा के माओवादियों के साथ संबंधों का हवाला देते हुए उन्हें जेल के बजाय घर में नज़रबंद करने के सुप्रीम कोर्ट के 10 नवंबर के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था. 70 वर्षीय नवलखा एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में अप्रैल 2020 से जेल में बंद हैं और अनेक रोगों से जूझ रहे हैं.
एल्गार परिषद मामले की जांच कर रही एनआईए ने बॉम्बे हाईकोर्ट से अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुंबड़े को ज़मानत दिए जाने के फैसले पर एक सप्ताह की रोक लगाए जाने का आग्रह किया, ताकि वह इस फैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके. पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और अपने आदेश पर एक सप्ताह की रोक लगा दी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने अक्टूबर में दिल्ली पुलिस को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत दर्ज उन मामलों की संख्या बताने को कहा था, जिनमें उसने 90 दिनों की निर्धारित समयसीमा के भीतर आरोपपत्र दाखिल किए थे.
याचिकाकर्ता मंज़र इमाम को 1 अक्टूबर 2013 को इंडियन मुजाहिदीन से संबंध रखने के आरोप में एनआईए ने गिरफ़्तार कर लिया था, वे तब से जेल में हैं और अब तक उन पर आरोप भी तय नहीं हुए हैं.
खालिस्तान के अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के भारतीय अनुरोध को ख़ारिज करते हुए इंटरपोल ने कहा कि जिस यूएपीए के तहत नोटिस जारी करने के लिए कहा गया, उस क़ानून की आलोचना अल्पसंख्यक समूहों और अधिकार कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ दुरुपयोग किए जाने को लेकर होती रही है.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ का एक अध्ययन बताता है कि वर्ष 2009 से 2022 के बीच एनआईए ने यूएपीए के कुल 357 मामले दर्ज किए. इनमें से 238 मामलों की जांच में पाया गया कि 36 फीसदी में आतंकवाद की कुछ घटनाएं हुई थीं, पर 64 फीसदी मामलों में ऐसी कोई विशेष घटना नहीं हुई जिनमें हथियार शामिल थे.
एल्गार परिषद मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेनी बाबू पर एनआईए ने प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के नेताओं के निर्देश पर माओवादी गतिविधियों व विचारधारा के प्रचार के षड्यंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया है.
एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता 65 वर्षीय वर्णन गोंजाल्विस के वकील ने बताया कि वह लगभग 10 दिनों से बीमार हैं. हालांकि तलोजा केंद्रीय जेल के कर्मचारी उन्हें केवल दवा देते रहे और उचित इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करने से इनकार कर दिया था.
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने आरोप लगाया है कि भाजपा अपने युवा मोर्चा के नेता प्रवीण नेत्तारू की हत्या के मामले में एनआईए का दुरुपयोग कर रही है, ताकि पीएफआई के नेताओं और सदस्यों के ख़िलाफ़ कार्रवाई के बहाने मुसलमानों को निशाना बनाया जा सके. नेत्तारू की 26 जुलाई को हत्या कर दी गई थी.