केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) तैयार करने वाले इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज के निदेशक केएस जेम्स को निलंबित किए जाने पर विपक्ष ने कहा है कि सरकार वास्तविक डेटा सामने आने से डरती है और जेम्स को 'बलि का बकरा' बनाया गया है.
केंद्र सरकार ने इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (एनएफएचएस) के निदेशक केएस जेम्स को भर्ती में अनियमितता का हवाला देते हुए निलंबित कर दिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला आईआईपीएस राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण तैयार करता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 2020 में ही भारत में कोरोना वायरस संक्रमण से 8.30 लाख लोगों की मौत हुई. द रिपोर्टर्स कलेक्टिव का विश्लेषण बताता है कि इन अनुमानों को तथ्यों से परे बताकर ख़ारिज करने के लिए केंद्र सरकार ने जिन आंकड़ों का इस्तेमाल किया, उनकी विश्वसनीयता भी संदिग्ध है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, क़ानूनी उम्र से पहले महिलाओं के विवाह के संबंध सबसे ख़राब स्थिति पश्चिम बंगाल की है, जहां ऐसी स्त्रियों की संख्या 42 फ़ीसदी है. सबसे बेहतर स्थिति लक्षद्वीप की है, जहां महज़ चार फ़ीसदी महिलाओं का विवाह 18 साल की आयु से पहले हुआ है.
सीआईएबीसी परिसंघ ने ज्ञापन देकर कहा है कि शराबबंदी के कारण ही बिहार में अवैध शराब की तस्करी बढ़ी है तथा सरकारी ख़ज़ाने को बड़ा नुक़सान हुआ है. हाल ही में आए एनएफएचएस-5 के मुताबिक़ बिना शराबबंदी वाले महाराष्ट्र की तुलना में बिहार में शराब का उपभोग अधिक है.
साल 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शराबबंदी लागू की थी. अब राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में सामने आया है कि बिना शराबबंदी वाले महाराष्ट्र की तुलना में बिहार में शराब का उपभोग अधिक है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के सर्वे से पता चला है कि आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल में 15 वर्ष से 19 वर्ष की आयुवर्ग में सबसे ज़्यादा संख्या में महिलाएं या तो मां बन चुकी थीं या गर्भवती थीं.
स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, पोषण इत्यादि पर आंकड़े इकट्ठा करने वाले राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानी एनएफएचएस ने अपने पांचवे सर्वे में पहली बार इंटरनेट इस्तेमाल के आंकड़े जुटाए हैं, जो शहरी, ग्रामीण और लैंगिक स्तर पर असमानताओं को दर्शा रहे हैं.
भारत की मिथकीय कल्पना एक शाकाहारी समाज के तौर पर की जाती रही है, लेकिन किसी भी सामाजिक समूह के खान-पान या आहार की आदतों से जुड़ा कोई दावा पूरी तरह सही नहीं हो सकता.
स्वास्थ्य राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने एक सवाल के जवाब में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे पर आधारित आंकड़ों की जानकारी राज्यसभा में दी.