गुजरात: 2016 के विरोध प्रदर्शन मामले में कोर्ट ने जिग्नेश मेवाणी को छह महीने की सज़ा सुनाई

गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष जिग्नेश मेवाणी को 2016 के एक विरोध प्रदर्शन से जुड़े मामले में सड़क अवरुद्ध करने को लेकर यह सज़ा सुनाई गई है. इससे पहले मई महीने में गुजरात की एक अदालत ने साल 2017 में बगैर अनुमति के ‘आज़ादी रैली’ निकालने के लिए मेवाणी को तीन महीने क़ैद की सज़ा सुनाई थी.

प्रधानमंत्री की 10 लाख नौकरियों की घोषणा पर राहुल गांधी ने कहा, यह ‘महाजुमलों’ की सरकार है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों को अगले डेढ़ साल में 10 लाख लोगों की भर्ती करने का निर्देश दिया गया है. राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी नौकरियां बनाने में नहीं, नौकरियों पर ‘न्यूज़’ बनाने में एक्सपर्ट हैं. बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि आम चुनाव से पहले भर्ती की घोषणा, नया चुनावी छलावा तो नहीं है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह घोषणा इसलिए की गई, क्योंकि लोकसभा के अलावा राजस्थान, मध्य प्रदेश और

मेरी गिरफ़्तारी 56 इंच की कायरता: जिग्नेश मेवाणी

वीडियो: गुजरात के वडगाम से कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े एक ट्वीट के संबंध में असम पुलिस ने बीते दिनों गिरफ़्तार कर लिया था. इस मामले में ज़मानत पर रिहा होने के बाद मेवाणी ने प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है.

गुजरात: कोर्ट ने 2017 की आज़ादी रैली मामले में जिग्नेश मेवाणी को तीन महीने जेल की सज़ा सुनाई

गुजरात की एक अदालत ने साल 2017 में मेहसाणा से बनासकांठा ज़िले के धनेरा तक बगैर अनुमति के ‘आज़ादी रैली’ निकालने के लिए निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी और नौ अन्य लोगों को तीन महीने क़ैद की सज़ा सुनाई है. मेवाणी को बीते हफ्ते असम पुलिस द्वारा दर्ज एक मामले में ज़मानत पर रिहा किया गया था.

मेरी गिरफ़्तारी पीएमओ द्वारा रची गई एक पूर्व नियोजित साज़िश थी: जिग्नेश मेवाणी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े एक ट्वीट के कारण असम पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के बाद रिहा किए गए विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि उनके ख़िलाफ़ दर्ज मामले गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें ‘बदनाम करने’ की ‘पूर्व नियोजित साज़िश’ का हिस्सा थे. उन्होंने इसे ‘56 इंच का कायरतापूर्ण’ कृत्य क़रार दिया. उन्होंने कहा कि उनकी गिरफ़्तारी के पीछे पीएमओ में बैठे कुछ गोडसे भक्त थे.

केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर न आने वाले एसपी-डीआईजी को आगे पोस्टिंग न देने का प्रस्ताव: रिपोर्ट

एक रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्रालय का यह क़दम केंद्र द्वारा राज्यों को भेजे उस प्रस्ताव के ठीक बाद आया है, जिसमें अखिल भारतीय सेवा नियमों में संशोधन की बात कही गई थी, जो केंद्र सरकार को शक्ति देता कि वह किसी भी आईएएस, आईपीएस और भारतीय वन सेवा अधिकारी को राज्य की अनुमति या बिना अनुमति के भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुला सकती है.

सीआईसी ने लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री के बाल कटवाने संबंधी आरटीआई को नकारा

मई 2020 में एक व्यक्ति ने आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी कि क्या लॉकडाउन में सैलून बंद होने से प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगियों पर उतना ही प्रभाव पड़ा, जितना किसी आम नागरिक पर. सीआईसी ने इसे 'बेतुका' बताते हुए कहा कि यह अधिनियम के प्रावधानों के दुरुपयोग के समान है.

उत्तर प्रदेश: वाराणसी का ग़रीब तबका योगी सरकार को जनविरोधी क्यों बता रहा है

उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव भाजपा के व्यवसायिक हिंदू राष्ट्रवाद के मॉडल से आकर्षित लोगों और इस मॉडल से बाहर किए जा चुके लोगों के बीच की लड़ाई बन गया है.

कोविड वैक्सीन के उत्पादन के लिए पीएम केयर्स फंड से सौ करोड़ रुपये नहीं दिए गएः आरटीआई

मई 2020 में पीएमओ की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कोविड-19 वैक्सीन के डिजाइनर्स और डेवलपर्स की मदद के लिए पीएम केयर्स फंड से सौ करोड़ रुपये देने की बात कही गई थी. अब एक आरटीआई आवेदन के जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय बताया कि वैक्सीन उत्पादन के लिए पीएम केयर्स फंड से कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई.

पीएमओ बैठक विवाद: क़ानून मंत्रालय ने कहा, वह पत्र सचिव या सीईसी के प्रतिनिधि के लिए था

चुनाव आयोग को बीते 15 नवंबर को कानून मंत्रालय की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा मतदाता सूची को लेकर एक बैठक लेने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. इस ‘असामान्य’ पत्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.

केंद्र से बैठक में शामिल होने का पत्र मिलने पर चुनाव आयुक्त ने पीएमओ से बातचीत की थीः रिपोर्ट

चुनाव आयोग को बीते 15 नवंबर को कानून मंत्रालय की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा एकल मतदाता सूची को लेकर एक बैठक लेने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. यह पत्र बहुत ही असामान्य था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.

पीएमओ की बैठक में चुनाव आयुक्तों को बुलाने वाले पत्र पर पूर्व सीईसी ने कहा- यह उचित नहीं

बीते 15 नवंबर को चुनाव आयोग को क़ानून मंत्रालय का एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा एकल मतदाता सूची को लेकर एक बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. इस पत्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.

पीएमओ के चुनाव सुधारों पर चुनावों आयुक्तों के साथ बातचीत पर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा

चुनाव आयोग को बीते 15 नवंबर को क़ानून मंत्रालय की ओर से एक पत्र मिला था, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा एकल मतदाता सूची को लेकर एक बैठक लेने वाले हैं और चाहते हैं कि इसमें ‘मुख्य चुनाव आयुक्त’ मौजूद रहें. यह पत्र बहुत ही असामान्य था, क्योंकि चुनाव आयोग आमतौर पर अपने कामकाज की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए सरकार से दूरी बनाए रखता है.