अहमदाबाद में गिरफ़्तार किए गए पत्रकार महेश लांगा के वकील ने कहा है कि जिस कंपनी (डीए एंटरप्राइज) का नाम एफआईआर में दर्ज है, उनके मुवक्किल न तो उसके निदेशक है और न ही प्रमोटर.
गुजरात के जूनागढ़ का मामला. दलित व्यक्ति के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया है कि जूनागढ़ के एक थाने में तैना सब-इंस्पेक्टर ने हिरासत में हर्षिल जादव के साथ बेरहमी से मारपीट की थी. आरोप है कि पिटाई नहीं करने के बदले में सब-इंस्पेक्टर ने 5 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी.
पंजाब के मुक्तसर ज़िले में एक वकील को हिरासत में यातना देने, अप्राकृतिक यौन संबंध के लिए उकसाने, ग़लत तरीके से क़ैद में रखने और उसकी जान को ख़तरा पैदा करने के आरोप में छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने श्री मुक्तसर साहिब के एसएसपी को निलंबित करने की भी मांग की है.
असम के बजाली ज़िले के एक व्यवसायी रबीउल इस्लाम ने आरोप लगाया है कि उन्हें पुलिस ने ग़लत तरीके से हिरासत में लिया और 2.5 करोड़ रुपये देने के लिए कहा, ऐसा नहीं करने पर उन्हें एनकाउंटर में मारने की धमकी दी और उनकी हत्या को ‘जिहादी तत्वों के साथ संबंध’ बताकर उचित ठहराने की बात कही थी.
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी ज़िले का मामला. 24 वर्षीय युवक को शनिवार शाम हैदरगढ़ पुलिस मारपीट के मामले में तीन चार अन्य लोगों के साथ पकड़कर कोतवाली लाई थी. मृतक के पिता ने आरोप लगाया कि उनके बेटे को पुलिस हिरासत में मार दिया गया और शव को आत्महत्या का रूप देने के लिए पेड़ से लटका दिया गया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा संसद में पेश राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुजरात के बाद पिछले पांच साल में महाराष्ट्र में 76, मध्य प्रदेश में 49, उत्तर प्रदेश में 41, तमिलनाडु में 40, बिहार में 38, राजस्थान में 32, पंजाब में 31, पश्चिम बंगाल में 30 और दिल्ली में 29 लोगों की मौत हिरासत में हुई है.
असम विधानसभा में पूछे गए एआईयूडीएफ विधायक अशरफुल हुसैन के एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री शर्मा ने यह जानकारी दी है. बीते 24 फरवरी को राज्य के उदलगुरी ज़िले में एक पुलिस एनकाउंटर में डकैत होने के संदेह में एक व्यक्ति की मौत की सीआईडी जांच ने पुष्टि की कि यह ‘ग़लत पहचान’ का मामला था. मृतक एक किसान थे.
हैदराबाद पुलिस ने चेन स्नेचिंग के एक मामले में मोहम्मद क़ादिर को पकड़ा था. परिवार का दावा है कि इस घटना से क़ादिर का कोई संबंध नहीं था. मौत से पहले अस्पताल से क़ादिर ने एक वीडियो जारी कर पुलिस हिरासत में प्रताड़ना के आरोप लगाए थे.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा को सूचित किया है कि वर्ष 2017 से 2022 के बीच गुजरात में पुलिस हिरासत में 80 लोगों की मौत हुई है. इसके बाद महाराष्ट्र में 76, उत्तर प्रदेश में 41, तमिलनाडु में 40 और बिहार में 38 लोगों की मौत के मामले सामने आए हैं.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद में एक सवाल के जवाब में बताया है कि पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों की संख्या में पिछले तीन वर्षों में लगभग 60 फीसदी और पिछले दो वर्षों में 75 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. महाराष्ट्र में ऐसे मामलों में दस गुना की वृद्धि हुई है.
घटना कठुआ ज़िले की है. पुलिस ने युवक को हेरोइन रखने के आरोप में गिरफ़्तार किया था. मृतक के परिजनों का आरोप है कि मौत का कारण पुलिस हिरासत में दी गई प्रताड़ना है.
हिरासत में मौत के एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि पुलिस के पास लोगों की गतिविधियों और अपराध को नियंत्रित करने की शक्ति है, लेकिन यह अबाध नहीं है. उक्त शक्ति के प्रयोग की आड़ में पुलिसकर्मी किसी नागरिक के साथ अमानवीय तरीके से अत्याचार या व्यवहार नहीं कर सकते हैं.
16 सितंबर 2020 को ईरान पुलिस की हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत के दो महीने बाद भी यहां राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी हैं. राजधानी तेहरान में अमीनी को अनुचित तरीके से हिजाब पहनने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. ईरान के खिलाड़ियों ने देश में जारी इन प्रदर्शनों के प्रति अपना समर्थन जताया है.
उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद शहर के दारागंज थाना का मामला. रास्ते को लेकर पड़ोसी से विवाद के बाद पुलिस लवकेश शर्मा नामक व्यक्ति को दो नवंबर को थाने ले गई थी. मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उन पर ‘थर्ड डिग्री’ का इस्तेमाल करते हुए उनकी पिटाई की, जो उनके शरीर पर पड़े निशान से स्पष्ट है.
हरियाणा पुलिस ने उत्तर प्रदेश के बिजनौर ज़िले के रहने वाले दवा कारोबारी संजीव कुमार को नशीली दवाएं बेचने के आरोप में बीते 15 अक्टूबर को गिरफ़्तार किया था. पुलिस का दावा है कि अभियुक्त के फ़रार होने की कोशिश के दौरान दो मंज़िला होटल से गिरने के कारण उनकी मौत हुई है.