बीते हफ्ते यूपी के औरैया के एक जौहरी के बेटे का अपहरण कर लिया गया था, जिसका शव अगले दिन दिल्ली में मिला. अब यूपी पुलिस ने कहा है कि जब वह मामले के आठ आरोपियों को पकड़ने गई तो उन्होंने भागने की कोशिश की, जिसके बाद उसने उन पर गोली चलाई.
मध्य प्रदेश के इंदौर ज़िले की महू तहसील का मामला. पुलिस के अनुसार, बीते 15 मार्च को एक युवती की मौत के बाद उनके रिश्तेदारों और जय आदिवासी युवा संगठन के सदस्यों ने रात में बड़गोंडा पुलिस स्टेशन के तहत डोंगरगांव पुलिस चौकी का घेराव किया. इस दौरान भीड़ हिंसक हो गई और पुलिस फायरिंग में आदिवासी युवक की मौत हो गई.
असम विधानसभा में पूछे गए एआईयूडीएफ विधायक अशरफुल हुसैन के एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री शर्मा ने यह जानकारी दी है. बीते 24 फरवरी को राज्य के उदलगुरी ज़िले में एक पुलिस एनकाउंटर में डकैत होने के संदेह में एक व्यक्ति की मौत की सीआईडी जांच ने पुष्टि की कि यह ‘ग़लत पहचान’ का मामला था. मृतक एक किसान थे.
2018 में तमिलनाडु के तूतुकुडी में स्टरलाइट विरोधी प्रदर्शन में भाग लेने वाले नागरिकों पर पुलिस फायरिंग की जांच के लिए बने जस्टिस अरुणा जगदीशन कमीशन ऑफ इंक्वायरी ने प्रदर्शनकारियों पर 'बिना किसी कारण के अत्यधिक घातक बलप्रयोग' के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफ़ारिश की है.
भाजपा प्रवक्ताओं के पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए गए बयानों के ख़िलाफ़ रांची में हुए प्रदर्शनों में हुई हिंसा के मद्देनज़र राज्यपाल रमेश बैस ने डीजीपी नीरज सिन्हा समेत वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया था.
पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ निलंबित भाजपा नेताओं की टिप्पणी के विरोध में बीते 10 जून को झारखंड की राजधानी रांची में हुई हिंसा के दौरान 20 वर्षीय साहिल और 15 वर्षीय मुदस्सिर आलम की गोली लगने से मौत हो गई थी. उनके परिवारों ने पूछा है कि गोली चलाने का कारण क्या था और क्या पुलिस के पास यही एकमात्र विकल्प था? सरकार को जवाब देना चाहिए और दोषियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया जाना चाहिए.
पूर्वी उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले की घटना. पुलिस का कहना है वह इस्लामनगर गांव में गोकशी के एक मामले में अब्दुल नाम के व्यक्ति को गिरफ़्तार करने के लिए दबिश देने गई थी. इस बीच ग्रामीणों ने पुलिस टीम पर हल्ला बोल दिया और पत्थरबाज़ी के साथ-साथ गोली भी चलाई, जिसमें महिला की मौत हो गई. इस महीने यह तीसरी घटना है, जिसमें दबिश के दौरान तीन महिलाओं की जान जा चुकी है.
हिमंता बिस्वा सरकार की अपराध को लेकर 'नरमी न बरतने' की नीति अपनाने के बाद मई से अब तक कम से कम 46 कथित अपराधी घायल हुए हैं. पुलिस आंकड़ों के मुताबिक़, मारे गए 28 आरोपियों में चार ड्रग तस्कर, सरकार के बेदख़ली अभियान के ख़िलाफ़ उतरे दो प्रदर्शनकारी, 11 'चरमपंथी' व 11 'अपराधी' शामिल हैं.
पुस्तक समीक्षा: हुमरा क़ुरैशी की किताब ‘द इंडियन मुस्लिम्स- ग्राउंड रियालिटीज़ ऑफ लार्जेस्ट मायनॉरिटी इन इंडिया’ आजा़दी की 75वीं सालगिरह मनाने के इस दौर में ‘हिंदोस्तां के मुसलमान’ किस तरह अपने सबसे ‘स्याह दौर’ से गुजर रहे हैं, इसका ज़िक्र करते हुए यह आशंका ज़ाहिर करती है कि ‘अगर सांप्रदायिक विषवमन नियंत्रित नहीं किया गया तो आपसी विभाजन बदतर हो जाएगा.’
अगर किसी के ख़िलाफ़ शक़ और नफ़रत समाज में भर दी जाए तो उस पर हिंसा आसान हो जाती है क्योंकि उसका एक कारण पहले से तैयार कर लिया गया होता है. आज हिंसा और हत्या की इस संस्कृति को समझना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है इसके पहले कि यह देश को पूरी तरह तबाह कर दे.
असम में ज़मीन से ‘बाहरी’ लोगों की बेदख़ली मात्र प्रशासनिक नहीं, राजनीतिक अभियान है. बेदख़ली एक दोतरफा इशारा है. हिंदुओं को इशारा कि सरकार उनकी ज़मीन से बाहरी लोगों को निकाल रही है और मुसलमानों को इशारा कि वे कभी चैन से नहीं रह पाएंगे.
एक फैक्ट फाइंडिंग टीम की जांच में पता चला है कि असम के दरांग जिले में 21 सितंबर को प्रशासन द्वारा बेदख़ली अभियान के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में जिन तीन लोगों को गोली लगी थी, उनके शरीर से 27 सितंबर तक गोलियां नहीं निकाली गई थीं.
असम के दरांग ज़िले के सिपाझार में 23 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा एक कृषि परियोजना के लिए अधिग्रहीत ज़मीन से कथित ‘अवैध अतिक्रमणकारियों’ को हटाने के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़प हो गई थी. इस दौरान पुलिस की गोलीबारी में 12 साल के बच्चे सहित दो लोगों की मौत हुई, जबकि नौ पुलिसकर्मियों सहित 15 लोग घायल हुए थे.
घटना दरांग ज़िले के सिपाझार की है, जहां पुलिस ने अतिक्रमण हटाने के एक अभियान के दौरान गोलियां चलाईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. पुलिस का दावा है कि स्थानीय लोगों ने उन पर हमला किया था, जिसके बाद उन्हें बल प्रयोग करना पड़ा. राज्य सरकार ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.
पलानीसामी ने तूतीकोरिन में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग को सही ठहराया. स्टालिन ने मुख्यमंत्री का इस्तीफ़ा मांगा, गृह मंत्रालय ने तमिलनाडु से रिपोर्ट मांगी.