गोधरा में जुलाई 2020 में दो लोगों के ख़िलाफ़ हत्या के इरादे से गोवंश ले जाने के आरोप में केस दर्ज किया गया था. अब अदालत ने इसे ख़ारिज करते हुए दो आरोपियों को बरी कर दिया और निर्देश दिया कि झूठे केस के लिए तीन पुलिसकर्मियों और दो पंच गवाहों के ख़िलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की जाए.
मामला लखीमपुर खीरी ज़िले के मितौली थाने की है, जहां बीते शुक्रवार एक पांच वर्षीय बच्ची की हत्या के केस में पूछताछ के लिए उसके पड़ोस में रहने वाले 50 वर्षीय आसाराम को बुलाया गया था. इसी शाम आसाराम की मौत हो गई. उनके परिजनों द्वारा प्रताड़ित किए जाने के आरोप के बाद दो पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
रामपुर के मिलक कोतवाली क्षेत्र के एक गांव का मामला. बताया गया है कि गांव में एक सरकारी भूखंड पर बीआर आंबेडकर की तस्वीर वाला बोर्ड लगाने को लेकर हुई झड़प में 17 वर्षीय दलित युवक की मौत हो गई और दो लोग घायल हो गए. रामपुर डीएम ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2017 के बाद से हिरासत में बलात्कार के दर्ज किए गए 275 मामलों में से उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 92 मामले शामिल हैं. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने ऐसे मामलों के लिए क़ानून प्रवर्तन प्रणालियों के भीतर संवेदनशीलता और जवाबदेही की कमी को ज़िम्मेदार ठहराया है.
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में पुलिसकर्मियों ने एक सड़क दुर्घटना पीड़ित के शव को एक नहर में फेंक दिया था. यह मामला तब सामने आया जब इस कृत्य का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. राष्ट्रीय मानव आयोग ने कहा कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के साथ मानवाधिकारों का अस्तित्व समाप्त नहीं होता है.
गुजरात राज्य विधि आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि यह बड़ी सार्वजनिक चिंता का विषय है कि गुजरात में हिरासत में मौत की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं. यह स्वीकार करने की ज़रूरत है कि पुलिस की कार्यप्रणाली पर संदेह बड़े पैमाने पर उठाया जा रहा है, क्योंकि कई पुलिसकर्मी अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के महराजगंज ज़िले का मामला. भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के ज़िलाध्यक्ष राही मासूम रज़ा पर एक दलित लड़की के साथ बलात्कार और उसके पिता की हत्या का आरोप लगा है. अब बयान बदलने के लिए लड़की को एक कॉन्स्टेबल के द्वारा रिश्वत देने का मामला सामने आया है, जिसके बाद पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की गई. रज़ा फिलहाल फ़रार है.
2006 में नोएडा में डकैती के एक मामले में 26 वर्षीय व्यक्ति की हिरासत में लिए जाने के बाद मौत हो गई थी, जिसके लिए 2019 में यूपी पुलिस के पांच कर्मचारियों को दस साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी. अब दिल्ली हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड में गंभीर विसंगतियों का हवाला देते हुए निचली अदालत के सज़ा के आदेश को बरक़रार रखा है.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपनी नई सोशल मीडिया नीति में पुलिसकर्मियों द्वारा ड्यूटी के दौरान वर्दी पहनकर रील बनाने, उन्हें सोशल मीडिया पर अपलोड करने तथा आधिकारिक दस्तावेज़ों की तस्वीरें साझा करने आदि पर पाबंदी लगा दी है. साथ ही सरकार या इसकी नीतियों, कार्यक्रमों या राजनीतिक पार्टी, राजनीतिक व्यक्ति, राजनीतिक विचारधारा और राजनेताओं पर पुलिसकर्मियों द्वारा कोई टिप्पणी नहीं करने का निर्देश जारी किया गया है.
बीते 3 अक्टूबर को खेड़ा ज़िले के एक गांव में एक मस्जिद के पास गरबा कार्यक्रम का विरोध किए जाने के बाद हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच विवाद हो गया था. घटना से संबंधित एक वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी मुस्लिम युवकों को पोल से बांधकर उन्हें लाठियों से पीटते नज़र आए थे. पीड़ितों ने 15 पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.
उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले के अलापुर थाना क्षेत्र की ककराला पुलिस चौकी में का मामला. युवक की पहचान 22 वर्षीय रेहान शाह के रूप में हुई है. परिजनों का आरोप है कि चौकी के अंदर पूछताछ के दौरान रेहान को करंट का झटका दिया गया और उनके गुप्तांग में प्लास्टिक की पाइप डाल दी गई थी. बाद में पुलिसकर्मियों ने उन्हें छोड़ने के एवज में पांच हज़ार रुपये की रिश्वत भी ली थी.
उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले का मामला. बीते नौ मई को एक ही परिवार के दो पक्षों में हुए झगड़े के मामले में पुलिस टीम लगातार दबिश दे रही थी. आरोप है कि पुलिस ने एक पक्ष की युवती के साथ मारपीट और छेड़छाड़ की, जिससे दुखी होकर उसने फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली. हालांकि पुलिस इन आरोपों को निराधार बताया है.
घटना नागपुर की है, जहां 38 वर्षीय महेश शालिकराम राउत ने ज़हर खाकर जान दे दी. उनके भाई का आरोप है कि महेश द्वारा स्थानीय झगड़े की शिकायत करने के बाद उन्हें पुलिस ने पीटा, जिससे अवसाद में आकर उन्होंने यह कदम उठाया. पुलिस ने इससे इनकार करते हुए दुर्घटनावश मौत का मामला दर्ज किया है.
अदालत ने कहा कि हम क़ैदियों के सुधार और पुनर्वास के दौर में आ गए हैं. पुलिस एवं जेल प्रशासन की ट्रेनिंग अलग-अलग होती है, इसी आधार पर उनकी सोच का भी निर्माण होता है, इसलिए पुलिस अधिकारी को जेल का काम नहीं सौंपा जा सकता.
उत्तर प्रदेश के नोएडा में चेकिंग के दौरान एक ट्रेनी सब इंस्पेक्टर ने जिम ट्रेनर को गोली मार दी थी. आरोप है कि सब इंस्पेक्टर ने प्रमोशन की वजह से ऐसा किया था.